शिक्षण में उद्देश्यों की आवश्यकता(Need of Objectives in Teaching)
किसी भी विषय की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए उसके उद्देश्यों पर विचार करना आवश्यक है। उद्देश्यों के ज्ञान के अभाव में शिक्षण कार्य उचित रूप से नहीं हो सकता। इस विषय में एक विद्वान का कथन है,कि ,"उद्देश्य के ज्ञान के बिना शिक्षक उस नाविक के समान है जिसे अपने लक्ष्य का ज्ञान नहीं है तथा उसके शिक्षार्थी उस पतवारहीन नौका के समान है जो समुद्र की लहरों के थपेड़े खाकर तट की ओर बहती है।"
आजकल की शिक्षा का प्रमुख दोष उसका उद्देश्यहीन होना है। अध्यापकों को यह ज्ञात नहीं है कि वे शिक्षा किस उद्देश्य से दे रहे हैं और छात्रों को भी यह ज्ञात नहीं है कि वे किस उद्देश्य से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अतः ऐसी दशा में विज्ञान शिक्षण के उद्देश्यों को निश्चित करना अति आवश्यक हो जाता है। उद्देश्यों के निर्धारित हो जाने पर अध्यापक तथा छात्र दोनों लाभान्वित होते हैं तथा शिक्षण कार्य सुचारू रूप से चलता है। विषय के प्रति तन्मयता की भावना का जन्म उद्देश्यों के निश्चित हो जाने पर ही होता है। उद्देश्यों का निर्धारण हो जाने पर अध्यापक का कार्य सरल हो जाता है तथा छात्रों में आत्म बल एवं दृढ़ता आती है। उन्हें ज्ञात हो जाता है कि वह जो कार्य कर रहे हैं वह सार्थक तथा उद्देश्य पूर्वक है। यह भावना दोनों पक्षों में उत्साह वृद्धि करती है।
विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य(Objectives of teaching Of Science)
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि किसी भी विषय को पढ़ाने से पहले उस विषय के लिए कुछ उद्देश्य निर्धारित कर लेना आवश्यक होता है। यही बात विज्ञान विषय के लिए भी सत्य है विद्यार्थियों के व्यवहार में अप्रत्याशित परिवर्तन करने के लिए यह आवश्यक है कि पढ़ाने से पहले कुछ उद्देश्यों को निर्धारित कर लिया जाए तथा उन्हीं उद्देश्यों के आधार पर विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान किया जाए। उद्देश्यों को निर्धारित करने के लिए कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:-
उद्देश्यों को बालकों की आवश्यकताओं तथा रुचिओं की पूर्ती करनी चाहिए।
उद्देश्यों से सीखने वाले व्यवहार में परिवर्तन किया जाना चाहिए।
उद्देश्यों से बालकों की प्रगति का मूल्यांकन करने में सहायता मिलनी चाहिए।
उद्देश्यों को प्रजातंत्र य शिक्षा के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बनाया जाना चाहिए।
उद्देश्यों में सहायक सामग्री को छांटने के लिए तथा उसके संगठन के लिए सहायता मिलनी चाहिए।
NCF 2005: विज्ञान की समझ
- कौशल प्राप्त करने और वैज्ञानिक ज्ञान के सत्यापन और पीढ़ी के लिए अग्रणी प्रक्रियाओं और तरीकों को समझने के लिए
- विज्ञान के विकास और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का निर्माण करना।
- प्रौद्योगिकी, विज्ञान और समाज के इंटरफेस में वैश्विक और स्थानीय मुद्दों से संबंधित और सराहना करने के लिए
- पेशेवर क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए सैद्धांतिक ज्ञान और साथ ही व्यावहारिक कौशल प्राप्त करना।
- कुछ मूल्यों को आत्मसात करने के लिए – ईमानदारी, सहयोग, अखंडता, पर्यावरण का संरक्षण, और जीवन के लिए चिंता – और महत्वपूर्ण सोच को विकसित करना।
BCF-2008 : विज्ञान की समझ
- प्राथमिक स्तर पर पहली तथा दूसरी श्रेणी में सफाई , स्वस्थ आदतों के निर्माण तथा निरीक्षण शक्ति के विकास पर बल देना चाहिए ।
- विद्यार्थियों को भौतिक तथा जीव विज्ञान से संबंधित वातावरण की मुख्य बातों , मान्यताओं , सिद्धांतों तथा प्रतिक्रियाओं की पर्याप्त जानकारी प्रदान करनी चाहिए ।
- तीसरी तथा चौथी श्रेणी में अध्ययन के अंतर्गत स्वास्थ्य रक्षा तथा सफाई को सम्मिलित करना चाहिए ।
- विद्यार्थियों के भौतिक विज्ञान , जीव विज्ञान , सामाजिक विज्ञान से संबंधित वातावरण पर भी ध्यान केंद्रित होना चाहिए।
माध्यमिक स्तर पर एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य (Objective of teaching of science at Secondary Stage)
माध्यमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य क्या होने चाहिए इस पर विद्वान एकमत नहीं है विभिन्न विद्या विद्वानों ने अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए हैं। विज्ञान शिक्षण के विद्वानों ने माध्यमिक स्तर पर निम्नलिखित तीन उद्देश्यों को निर्धारित किया है।
1. व्यवहारिक उद्देश्य ( Practical Objectives):-
विज्ञान केवल पुस्तक विज्ञान के आधार पर पढ़ने-पढ़ाने का विषय नहीं है बल्कि यह एक व्यवहारिक विषय है। विज्ञान शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों को यह समझाया जाए कि विज्ञान का संबंध केवल पुस्तक तथा प्रयोगशाला तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका संबंध दैनिक जीवन में भी है। विज्ञान का शिक्षण तभी सफल हो सकता है जब विज्ञान शिक्षण दैनिक जीवन की क्रियाओं पर आधारित हो।
2. सांस्कृतिक उद्देश्य ( Cultural Objectives) :-
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। वास्तव में विज्ञान ने आधुनिक संस्कृति को अत्यंत प्रभावित किया है। इसलिए आधुनिक संस्कृति को समझने के लिए विज्ञान का अध्ययन आवश्यक है। इस प्रकार विज्ञान शिक्षण के माध्यम से आधुनिक संस्कृति का ज्ञान कराना एक अन्य उद्देश्य है। सांस्कृतिक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए निर्मला गुप्ता ने लिखा है, "वह अध्यापक जिसने अपने छात्रों में कुछ रागात्मक अनुभूतियां जैसे; उत्साहपूर्ण घटना, अलौकिक स्नेह, संसार की आश्चर्यजनक वस्तुओं तथा व्यक्तियों को देखने की उत्कंठा, उत्पन्न नहीं की, विज्ञान का वास्तविक अध्यापक कहलाने योग्य नहीं हो सकता। विज्ञान के अधिकांश अविष्कारों का सम्बन्ध किसी न किसी हर्ष, त्याग, स्नेह और उत्साहपूर्ण घटनाओं से होता है। इसलिए बालकों को एडिशन, न्यूटन, आर्किमिडीज आदि के जीवन का अध्ययन कराने से उनमें मनोवैज्ञानिक मनोवृति की नई भावनाएं उत्पन्न होंगे और इसके फलस्वरूप उनमें सांस्कृतिक भावना का विकास होगा।
3.अनुशासनात्मक उद्देश्य (Disciplinary Objectives) :-
विज्ञान शिक्षण का एक उद्देश्य छात्रों में मानसिक अनुशासन उत्पन्न करना है। विज्ञान शिक्षण के द्वारा यह प्रयास किया जाना आवश्यक है जिससे कि छात्रों की मानसिक प्रक्रिया ठीक प्रकार से कार्य कर सके। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही छात्रों के निरीक्षण तक तथा प्रयोगात्मक शक्ति का विकास किया जाता है। शिक्षक उनके सामने विभिन्न समस्याएं प्रस्तुत करते हैं तथा छात्र अपनी मानसिक योग्यता द्वारा उन्हें हल करने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार मानसिक अनुशासन उत्पन्न किया जाता है।
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