Sikshak diary ki paribhasa in hindi / sikshak diary kya hai, arth,sikshak diary paribhasa pdf Notes |शिक्षक डायरी का अर्थ, परिभाषा और महत्व उपयोग


शिक्षक डायरी की परिभाषा

 (Definition of Teacher's Diary )

 



परिचय (Introduction )

 शिक्षक डायरी हम उस अभिलेख को कहते हैं जिसमें एक शिक्षक अपने विद्यालय के पूरे दिन के कार्यक्रम एवं गतिविधियों का संपूर्ण विवरण लेकर रखता है। प्रत्येक वस्तु,क्रिया एवं कार्य को याद रखना और दायित्व को ठीक प्रकार से निभाने में यह डायरी एक शिक्षक को मदद करते हैं। यह शायरी शिक्षक के लिए ' एक मील का पत्थर' साबित होती है।

 शिक्षक डायरी(Definition of Teacher diary in Hindi )

 शिक्षक डायरी एक डायरी है जिसमें शिक्षक अपनी कक्षाओं में क्या होता है और इसके बारे में अपने विचार दर्ज करता है।  शिक्षक डायरी का उपयोग विकास उपकरण के रूप में किया जाता है।


 उदाहरण

 एक कक्षा के खराब होने के बाद, शिक्षिका अपनी डायरी में नोट्स बनाती है कि क्या हुआ, उसने क्या सोचा कि इसके कारण क्या थे, उन्हें कैसे बदला जाए और एक छोटी कार्य योजना के बारे में विचार।


 कक्षा में

 शिक्षक डायरी विकास का एक कोर्स शुरू करने का एक अच्छा तरीका है;  एक स्वाभाविक दूसरा चरण सहकर्मी अवलोकन होगा, यानी कक्षा का उसी तरह विश्लेषण करने के लिए किसी अन्य शिक्षक को प्राप्त करना।

Definition of Teacher diary in English 

A teacher diary is a diary where a teacher records what happens in their classes and their thoughts about it. Teacher diaries are used as development tools.


Example

After a class that went badly, the teacher makes notes in her diary about what happened, what she thought the causes were, ideas about how to change them and a short action plan.


In the classroom

Teacher diaries are a good way to start a course of development; a natural second step would be peer observation, i.e. getting another teacher to analyse the class in the same way.

शिक्षक डायरी में अध्यापक को समस्त प्रकार के अवकाशों, शासकीय कार्यों, प्रशिक्षणों आदि का पूरा ब्योरा भरना पड़ता है, जिससे अध्यापक के सामने पक्ष में उपलब्ध कुल शिक्षण कालांशों का विवरण आ जाता है जिससे वह अपने पक्ष के पाठ्यक्रम को पढ़ाने की प्रभावी कार्ययोजना का निर्माण कर अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकता है।

शिक्षक डायरी के उद्देश्य 

  • योजना बनाने में 
  • दस्तावेज वितरण में 
  • समीक्षा करने में 
  • सपोर्टिव सुपरविजन में 



किसी कार्य को सुचारू रूप से करने के लिए अभिलेखीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बिना अभिलेखीकरण के किसी कार्य को पूरी प्रमाणिकता के साथ करना लगभग असम्भव हो जाता है। एनसीएफ 2005 में अध्यापकों से की गईं अपेक्षाएँ बिना अध्यापक डायरी के पूरी नहीं हो सकती। बिना डायरी की सहायता के विद्यार्थियों को उनकी आवश्यकतानुसार शिक्षित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अध्यापक डायरी अध्यापक की विश्वसनीय सहयोगी होती है। एनसीएफ 2005 की अपेक्षाओं को पूरा करने में अध्यापक डायरी “मील का पत्थर” साबित हो रही है।


जब से मैं अध्यापक बना हूँ, तब से अन्य अध्यापकों की भाँति मैंने भी अध्यापन कार्य करना प्रारम्भ किया। मुझे कहने में बिलकुल भी संकोच नहीं कि मैंने भी अन्य अध्यापकों की भाँति ही अध्यापन का वही घिसा-पिटा परम्परागत तरीका अपना लिया। कक्षा में बिना तैयारी के ही जाता और विद्यार्थियों से पूछता कि मैंने कहाँ तक पढ़ा दिया है और आज कहाँ से और क्या पढ़ाना है। विद्यार्थी बताते कि सर, कल यहाँ तक पढ़ा दिया है और मैं उसके आगे का प्रकरण पढ़ाना आरम्भ कर देता था। पढ़ाते समय मुझे लगता कि मेरे सारे विद्यार्थी मेरी बात को अक्षरशः समझ रहे हैं। मेरी आदत है कि मैं विद्यार्थियों से शिक्षण के बीच-बीच में पूछता रहता हूँ कि अमुक बात समझ में आई कि नहीं। विद्यार्थी बहुत ही जोशो-खरोश से हाँ बोलते थे और मैं अपने मन में अत्यधिक प्रसन्न होता कि मैंने बहुत अच्छा पढ़ाया जिससे मेरे समस्त विद्यार्थी मेरी बात को आत्मसात कर सके।


जब अर्द्धवार्षिक परीक्षा होती तो उनको मैं जो भी प्रश्न हल करने के लिए देता यही सोचकर देता कि मैंने बहुत अच्छी प्रकार प्रश्नपत्र में दी गई दक्षताओं को विद्यार्थियों को सिखला दिया है, परन्तु मेरी यह गलतफहमी बहुत ही जल्द दूर हो जाती जब मैं विद्यार्थियों की उत्तर पुस्किाओं को चेक करने बैठता तो अपना सिर पकड़कर बैठ जाता क्योंकि परिणाम मेरी सोच के बिलकुल उलट होता था। एक दो प्रतिशत विद्यार्थियों के नम्बर तो ठीक आते थे परन्तु अधिकांश विद्यार्थी या तो ई ग्रेड में आते या फिर सी और डी ग्रेडों में। मैं विद्यार्थियों की इस दशा से हतोत्साहित हो जाता था। मेरी इच्छा होती थी कि मैं विद्यार्थियों के लिए उपरोक्त पाठ्यक्रम दोबारा सिखला दूँ। परन्तु तब तक काफी देर हो चुकी होती थी। हमारा अग्रिम पाठ्यक्रम भी हमें निश्चित समय में पूरा करना था। अतः हम आगे के पाठ्यक्रम को करवाना प्रारम्भ कर देते थे। वार्षिक परीक्षा में फिर यही नतीजा सामने आता था। हमारा समस्त विद्यालयीय स्टाफ इस समस्या पर बैठकर चर्चा करता और अगले सत्र से और अधिक अच्छे से शिक्षण करने का संकल्प लेते तथा अत्यन्त मेहनत से पढ़ाते भी थे परन्तु वर्तमान का भी परीक्षाफल गत वर्ष की भाँति ही होता।


इस बीच कई बार अधिकारियों, समन्वयकों आदि ने अध्यापक डायरी बनाने की बात कही लेकिन मैं इसको आवश्यक नहीं समझता था, इसलिए कभी मैंने अध्यापक डायरी नहीं बनाई। गत कुछ वर्षों से विभाग द्वारा अध्यापक डायरी अनिवार्य कर दी गई। जिससे अध्यापकों को डायरी को बनाना पड़ा। मैं भी उन्हीं अध्यापकों में से था। अनिच्छा होते हुए भी मुझे मजबूरी में अध्यापक डायरी बनानी पड़ी। मैंने बाजार से अध्यापक डायरी खरीद कर उसे बोझ के रूप में आधा-अधूरा भरा तथा बेमन से उसके अनुसार अध्यापन कार्य करना आरम्भ किया। जैसे-जैसे मैंने इसका अध्ययन प्रारम्भ किया तो मुझे समझ आने लगा कि यह मेरे शिक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अन्ततोगत्वा मैंने इसके प्रयोग की बात मन में बैठा ली और मैं इस कार्य में जुट गया। बाजार से खरीदी गई डायरी में कई कमियाँ थीं जिससे मुझे काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा। धीरे-धीरे मैं इसमें अपनी आवश्यकतानुसार पन्नों को जोड़ता चला गया और आज मैं अपनी डायरी के आधार पर विद्यार्थियों को शिक्षा दे रहा हूँ और मुझे पहले की अपेक्षा काफी सफलता प्राप्त हो रही है। आज मेरे विद्यार्थियों ने वास्तविक रूप से सीखना प्रारम्भ कर दिया है।


अगर हम यह देखें कि शिक्षक डायरी आखिर अध्यापन कार्य में अध्यापक की किस प्रकार मददगार होती है तो इसे हम इस तरह समझ सकते हैं।


सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की जानकारी दिलाती है


शिक्षक डायरी में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को अंकित करना पड़ता है। जिससे अध्यापक को सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की जानकारी रहती है और वह पाठ्यक्रम और उपलब्ध कालांशों को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों के अध्यापन की रूपरेखा तैयार कर लेता है। जिससे उसे कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है और विद्यार्थी को सिखाने के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाकर व उसे अपनाकर वह अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर सकता है। 


शिक्षक डायरी अध्यापकों को एक मासिक और पाक्षिक लक्ष्य प्रदान करती है


शिक्षक डायरी में हमको पूरे पाठ्यक्रम को मासों में बाँटना पड़ता है। इसलिए हमारे सामने यह लक्ष्य निर्धारित हो जाता है कि हमें अमुक माह में कितना पाठ्यक्रम पढ़ा देना है। इस मासिक पाठ्यक्रम को हमें पक्ष में बाँटना पड़ता है। जिससे हमारे सामने एक पक्ष का लक्ष्य निश्चित हो जाता है। जिससे हम आसानी से अपनी कार्य योजना को अंजाम दे हैं।


शिक्षक डायरी हमें पक्ष में पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए उपलब्ध कुल कालांशों का बोध कराती है


शिक्षक डायरी में अध्यापक को समस्त प्रकार के अवकाशों, शासकीय कार्यों, प्रशिक्षणों आदि का पूरा ब्योरा भरना पड़ता है, जिससे अध्यापक के सामने पक्ष में उपलब्ध कुल शिक्षण कालांशों का विवरण आ जाता है जिससे वह अपने पक्ष के पाठ्यक्रम को पढ़ाने की प्रभावी कार्ययोजना का निर्माण कर अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकता है।


कितना पढ़ाया गया और कितना पाठ्यक्रम अवशेष रहा, की जानकारी प्रदान करती है


शिक्षक डायरी में अध्यापक को पक्ष में कितना और क्या-क्या पढ़ाया तथा कितना और क्या- क्या अवशेष रह गया की भी अंकना करनी पड़ती है। जिससे अध्यापक को पता चल जाता है कि अमुक पक्ष में मेरे लक्षित पाठ्यक्रम में से क्या अवशेष रहा और यह जानकारी होने पर वह इसे अपनी आगामी कार्ययोजना में सम्मिलित कर लेता है। जिससे दक्षता का कोई भी बिन्दु छूटने नहीं पाता तथा विद्यार्थियों को योजनानुसार शिक्षण प्रदान करने में सहायता मिल जाती है।


दक्षताओं की जानकारी प्रदान करती है


डायरी में अध्यापक को दक्षताओं को भी भरना पड़ता है जिससे उसे यह ज्ञात रहता है कि विद्यार्थियों को कौन-सी दक्षता सिखलानी है और उसे सिखाने के लिए उसे किन-किन टूल्सों को अपनाना है उनकी शिक्षक पहले से तैयारी करके कक्षा में जाता है और अपने शिक्षण को और ज्यादा प्रभावी बना सकता है।


उपचारात्मक विद्यार्थियों को चुनने और उनके लिए कार्य योजना बनाने में मदद करती है


एक दक्षता सिखलाने के पश्चात शिक्षक विद्यार्थियों का मूल्यांकन करके देखता है और उसे पता चल जाता कि उसके अमुक विद्यार्थियों ने अभी तक दक्षता प्राप्त नहीं की है। उपचारात्मक विद्यार्थियों की पहचान करने के उपरान्त शिक्षक को उसके उपचार के लिए कार्यक्रम बनाने को बाध्य होना पड़ता है, क्योंकि डायरी में उपचारात्मक विद्यार्थियों के उपचार के लिए बनाई गई कार्य योजना को अंकित करना पड़ता है। कार्य योजना को बना लेने के बाद शिक्षक आसानी से उपचारात्मक विद्यार्थियों को उपचार दे सकता है तथा उन्हें भी मुख्य धारा में शामिल करने में उसे सफलता प्राप्त हो जाती है।


पाठ्यारिक्त रचनात्मक कार्यों का विवरण


एक अध्यापक को अपने द्वारा किए जाने वाले पाठ्यारिक्त रचनात्मक कार्यों को भी डायरी में अंकित करना पड़ता है। जिससे उसके द्वारा समाज के लिए किए जाने वाले कार्य भी रिकार्ड में में रहते हैं और शिक्षक को पता लगता रहता है कि उसने अपने मुख्य कार्य शिक्षण के अतिरिक्त समाज के लिए भी कुछ किया है कि नहीं । यह अंकना उसे समाजोपयोगी रचनात्मक कार्यों को करने के लिए प्रेरणा प्रदान करती रहती है।


गत वर्षों में मैं अधिकारियों के दबाव मे कारण बाजार में उपलब्ध डायरी को भरकर अपने कार्य की इतिश्री समझ लेता था, परन्तु जैसे-जैसे मैंने इसका अध्ययन और उपयोग करता गया वैसे-वैसे वास्तव में मैं इसका (शिक्षक डायरी का) मुरीद बनता चला गया और मैंने बाजार में उपलब्ध डायरी को अपनी आवश्यकतानुसार डिजायन करना प्रारम्भ कर दिया तथा इसके अनुसार शिक्षण कार्य आरम्भ कर दिया तथा अपने प्रत्येक कार्य की अंकना अपनी डायरी में करता चला गया।

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