BPSC ki taiyari kaise karen -60-62वीं बी . पी . एस . सी . मुख्य परीक्षा , 2018 सामान्य अध्ययन PAPER 1(खण्ड -1)



60-62वीं बी . पी . एस . सी . मुख्य परीक्षा , 2018

सामान्य अध्ययन

          PAPER 1(खण्ड -1)

 

1 . 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान बिहार में जनभागीदारी का वर्णन कीजिए ।

उत्तर - गाँधीर्जी के सामाजिक - सांस्कृतिक विचारों की महत्ता का वर्णन कीजिए । उत्तर - गाँधीजी के सामाजिक - सांस्कृतिक विचार उन शाश्वत मूल्यों पर आधारित है जो शोषण और असमानता से मुक्त आदर्श समाज की स्थापना सहायक हैं गाँधीजी जी दृष्टि में सभी मनुष्य समान हैं क्योंकि सभी ईश्वर की संतान हैं , जाति , धर्म , रंग आदि के आधार पर ऊँच - नीच का भेदभाव ईश्वरीय नियमों का उल्लंघन है । ' सबका ईश्वर एक है " , की भावना के उदय से ही समानता आ सकती है , यही आध्यात्मिक नैतिकता है । सच्चे अर्थों में सबका धर्म एक है , अलग - अलग पंथ एक ही ईश्वर को पाने के अलग - अलग मार्ग हैं , यही भावना आदर्श समाज के निर्माण में सहायक है । आदर्श समाज के निर्माण में कानून और धर्मनिरपेक्ष राजनीति की जगह नैतिकता अधि क प्रासंगिक है । गाँधीजी सर्वधर्मसमभाव में विश्वास रखते थे , साम्प्रदायिक - एकता के समर्थक और हिन्दु - मुस्लिम एकता के प्रतिपादक थे । अपने इसी आदर्श की रक्षा के लिए उन्होंने प्राणों की आहुति दे दी । साम्प्रदायिक एकता का गीत ही उनके आश्रम की प्रार्थना थी " अल्लाह , ईश्वर तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान । " गाँधीजी वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे लेकिन जाति प्रथा के विरोधी थे । वर्ण व्यवस्था में सामाजिक समानता का भाव है , इस व्यवस्था में व्यक्ति के वर्ण का निर्धारण उसके ' कर्म ' , ' रुचि ' , ' व्यवसाय ' , ' नैसर्गिक प्रतिभा ' के आधार पर होती है लेकिन असमानता , ऊँच - नीच , अस्पृश्यता का भाव नहीं है जबकि जाति - प्रथा में व्यक्ति की जाति का निर्धारण जन्म , कुल , वंश के आधार पर होती है , इसमें असमानता , ऊँच - नीच , अस्पृश्यता का भाव निहित है । गाँधी ' अस्पृश्यता ' के घोर विरोधी थे । उनका मानना था कि यह प्रथा हिन्दू समाज का कोढ़ है । हिन्दू समाज तबतक उन्नति नहीं कर सकता जब तक अस्पृश्यता को आमूल नष्ट न कर दिया जाय । उन्होंने अछूतोद्धार के लिए कई क्रान्तिकारी कदम उठाए । अपने आश्रम में उन्होंने अछूतोद्धार का काम सबसे पहले किया । तथाकथित अस्पृश्य वर्ग के लिए ' हरिजन शब्द को लोकप्रिय बनाया । उनके प्रयासों से हरिजनों के लिए मंदिर प्रवेश पर लगी रोक हटायी यगी । गाँधीजी लैंगिक समानता के प्रबल पक्षधर थे । उनकी दृष्टि में स्त्री को पुरुष से निम्न समझना अन्याय है , प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है और ईश्वर की दृष्टि में पाप है । उनकी दृष्टि में स्त्री को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समानता का अधिकार मिलना चाहिए अन्यथा समाज की सर्वांगीण उन्नति असंभव है । गाँधीजी प्रचलित पाश्चात्य अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से क्षुब्ध थे इसीलिए उन्होंने एक नयी शिक्षा पद्धति की सिफारिश की जिसे " वर्धा स्कीम ऑफ एजुकेशन " का नाम दिया गया , इस स्कीम का मुख्य आधार था “ बुनियादी शिक्षा " ( Basic Education ) । गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा के मुख्य बिन्दु इस प्रकार है I. 7 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य एवं नि : शुल्क शिक्षा । II . शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो । III . हस्तकला को महत्त्व दिया जाय । IV . शिक्षा जीवन यथार्थ से जुड़ी एवं स्वालम्बन के सिद्धान्त के अनुरूप हो । V. शिक्षा का बुनियादी उद्देश्य हो , " अच्छे नागरिक बनाना । " VI . शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सबको समान रूप से होना चाहिए । जब गाँधीजी ने उच्च शिक्षा की बात की तब भी उनके बुनियादी सिद्धान्त वही रहे । उन्होंने शिक्षा सिद्धान्त को एक व्यापक अर्थ दिया उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल मानसिक नहीं है , चारित्रिक , नैतिक , सामाजिक , आर्थिक तथा शारीरिक उन्नति भी शिक्षा के उद्देश्य हैं । गाँधीजी ' विवाह ' को एक पवित्र बंधन मानते थे , काम वासना शांत करने का साध न नहीं । वे विधवा विवाह के समर्थक थे लेकिन बाल - विवहा , बेमेल विवाह , बहुविवाह , सती -प्रथा , पर्दा - प्रथा के विरोधी थे । गाँधीजी " अहिंसा परमोधर्म : " में विश्वास करते थे । ' अहिंसा ' का तात्पर्य है , मन , वचन और कर्म से शत्रु के प्रति हिंसा का भाव या व्यवहार न रखना । उनकी रणनीति ' सत्याग्रह ' का आधार ' अहिंसा ' ही था । सत्याग्रह का तात्पर्य है स्वयं कष्ट सहकर शत्रु का हृदय परिवर्तन । गाँधीजी का मानना था कि स्वस्थ सामाजिक विकास में ' ट्रस्टीशिप ' की अवधारणा काफी सहायक है । ' ट्रस्टी ' का तात्पर्य है , व्यक्ति को स्वयं अपनी सम्पत्ति का स्वामी नहीं ' ट्रस्टीशिप समझना चाहिए और अपनी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के बाद शेष धन का उपयोग समाज कल्याण में करना चाहिए । समग्रतः गाँधीजी के सामाजिक - सांस्कृतिक विचार शाश्वत मूल्यों पर आधारित है , विश्व की तमाम समस्याओं मसलन समाजार्थिक असंतोष , आक्रोश , उग्रवाद , आतंकवाद , शोषण , विषमता , गरीबी , भूखमरी आदि का निदान उनके सामाजिक - सांस्कृतिक विचारों में निहित हैं।

किसी भी प्रश्न का उत्तर चाहिए तो कमेंट करें।

2. बिहार में 1813 से 1947 तक पाश्चात्य शिक्षा के विकास की विवेचना कीजिए ।

3. मौर्य कला पर प्रकाश डालिए तथा बिहार में इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिए ।

4. " गाँधी की रहस्यात्मकता में मौलिक विचारों का , दाव - पेंचों की सहज प्रवृत्ति और लोक चेतना में अनोखी पैठ के साथ अनोखा मेल शामिल है । " व्याख्या कीजिए ।

5. वंगला साहित्य तथा संगीत में रवीन्द्रनाथ टैगोर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए ।

6. जवाहरलाल नेहरू की विदेश नीति के प्रमुख लक्षणों का परीक्षण कीजिए ।

 खण्ड- II

7. डोकलाम गतिरोध क्या है ? इसके अन्तर्निहित कारण क्या थे ? भारत ने इससे राजनयिक एवं रणनीतिक मंच पर क्या सीखा ? क्या इस प्रकार के विवादों को सुलझाने में गाँधी दर्शन उपयोगी हो सकता है ? यदि हाँ , तो कैसे ?

8. विमुद्रीकरण योजना को स्पष्ट कीजिए । आपके विचारों में किस हद तक यह योजना सफल अथवा असफल रही ? बिहार सरकार की शराब प्रतिवन्ध नीति पर इसके क्या प्रभाव पड़े ?

9. उत्तर कोरिया एवं अमेरिका के बीच विवाद को विस्तार से समझाइए । क्या इस विवाद को हल करने में संयुक्त राष्ट्र संघ एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ? यदि हाँ , तो कैसे ? और , यदि नहीं , तो इसके अन्तर्निहित कारण क्या हैं ? इस विवाद का सुलझाने में कुछ उपयुक्त सुझाव दीजिए । |

10. जी . एस . टी . क्या है ? भारत में इसके परिचय के पीछे क्या प्रमुख कारण थे ? भारत की अर्थव्यवस्था एवं मौद्रिक नीति पर इसके कार्यान्वयन से क्या लाभ एवं नुकसान हुए ?

11. मानवाधिकारों से आप क्या समझते हैं ? संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा ( 1948 ) पर प्रकाश डालिए । बिहार सरकार द्वारा पिछले एक दशक में इन्हें बढ़ावा देने हेतु क्या प्रमुख प्रयास किए गए ?

PAPER - II

खण्ड- I

1. " राज्य की नीति के निर्देशक तत्त्व पवित्र घोषणा मात्र नहीं है बल्कि राज्य की नीति के मार्ग - दर्शन के लिए सुस्पष्ट निर्देश हैं । " व्याख्या कीजिए और बताइए कि वे व्यवहार में कहाँ तक लागू किये गये हैं ?

2. ' हिन्दुत्व ' अवधारणा का परीक्षण कीजिए । क्या यह धर्मनिरपेक्षवाद का विरोधी है ?

3. भारतीय राजनीति में प्रमुख दबाव समूहों की पहचान कीजिए और भारत की राजनीति में उनकी भूमिका का परीक्षण कीजिए ।

4. बिहार की राजनीति में राज्यपाल की शक्तियों तथा वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए ।

खण्ड- II

5 . " भारत में दीर्घकालीन रोजगार नीति का मुख्य मुद्दा रोजगार प्रदान करना नहीं वरन् श्रम शक्ति की रोजगार क्षमता को बढ़ाना है । " इस कथन का विवेचन गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व प्रशिक्षण के मार्फत ज्ञान व दक्षता के विकास के विशेष सन्दर्भ में कीजिए । देश में 2000 के बाद क्षेत्रवार रोजगार सृजन की प्रवृत्तियों और फलितार्थों को भी समझाइए ।

6. भारतीय कृषि में संवृद्धि एवं उत्पादकता की प्रवृत्तियों की व्याख्या कीजिए । देश में उत्पादकता में सुधार लाने और कृषि आय को बढ़ाने के उपाय भी सुझाइए ।

7. " हाल की अवधि में पंचायत व्यवस्था के सशक्तिकरण के माध्यम से विकेन्द्रित नियोजन भारत की आयोजना का केन्द्रबिन्दु रहा है । " इस कथन को समझाते हुए समन्वित प्रादेशिक विकास नियोजन की एक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए । संविधान के 73 वें व 74 वें संशोधन के बाद भारत में विकेन्द्रित नियोजन के परिदृश्य का आलोचनात्मक परीक्षण भी कीजिए ।

 8. भारत में सार्वजनिक वस्तु अनुदान , मेरिट वस्तु अनुदान और गैर - मेरिट वस्तु अनुदानों से आपका क्या तात्पर्य है ? देश में उर्वरक , खाद्य व पेट्रोलियम अनुदानों की समस्या तथा हाल ही की प्रवृत्तियों को समझाइए ।

खण्ड- III

9. भारत के लिये प्रदूषण गंभीर खतरा बन गया है । इसके कारणों की पहचान कीजिए एवं इंगित कीजिए कि शासन द्वारा कौन - से अनिवार्य कदम उठाए जाने चाहिए एवं जनता द्वारा कौन - से स्वैच्छिक कदम उठाए जाने चाहिए ।

10. ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रमों का विस्तार जारी रखना चाहिये ? नाभिकीय ऊर्जा से सम्बन्धित तथ्य एवं भय की विवेचना कीजिए ।

11. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) की उपलब्धियों को आप किस तरह देखते हैं ? उनके अगले रोमांचक लक्ष्य क्या है ?

12. ' उदय ' ( उज्वल डिस्काम अश्योरेंस योजना ) क्या है ? कौन - से राज्य इस योजना के भागीदार हैं ? बिहार किस तरह से ' उदय ' से लाभान्वित होगा ?









Epam 

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