बाढ़ पर निबंध – Essay on Flood in Hindi 01/09/2021


बाढ़ पर निबंध – Essay on Flood



प्रस्तावना

बाढ़ भी उन प्राकृतिक आपदाओं में से एक है । जिससे पूरे समाज को नुकसान पोहोचता है । ये बाढ़ तब आती है , जब नदियों के पात्र में ज्यादा वर्षा के बहुत ज्यादा भर जाता है । कारण पानी ये प्राकृतिक आपदा हमेशा वर्षा के मौसम में ज्यादातर आती है । अपने देश में कई क्षेत्र ऐसे है , जो नदी के किनारे होने के कारण वहा हर साल ज्यादा वर्षा की वजह से बाढ़ आती है । ये बाढ़ तब आती है जब किसी भी नदी का बांध ज्यादा पानी बरने की वजह से टूट जाता है । तब यह प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होती है । जिससे वहा पर स्थित पूरे क्षेत्र को नुकसान पोहोचता है और समुद्र तटीय क्षेत्र में बाढ़ की वजह तूफान और सूनामी को माना गया है ।

दुनिया भर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

विश्व भर में कई क्षेत्रों में लगातार बाढ़ होने की संभावना है। गंभीर और लगातार बाढ़ का सामना करने वाले दुनिया भर के शहरों में भारत में मुंबई और कोलकाता, चीन में गुआंगजो, शेनज़न और टियांजिन, एक्वाडोर, न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी, हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम, मियामी और न्यू ऑरलियन्स शामिल हैं। पहले भी इन क्षेत्रों में बाढ़ के कारण विनाश होते रहें हैं।


बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्या को कैसे नियंत्रित करें?


मानव जीवन को बाधित करने से लेकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने तक - बाढ़ के कई नकारात्मक नतीजे हैं जिनसे निपटना मुश्किल है। इस प्रकार बाढ़ को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:


बाढ़ चेतावनी सिस्टम

बेहतर बाढ़ चेतावनी प्रणालियों को स्थापित करना यह समय की आवश्यकता है ताकि लोगों को आगामी समस्या के बारे में सही समय पर चेतावनी दी जा सके और उनके पास अपने और अपने सामान की रक्षा करने के लिए पर्याप्त समय हो।


बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भवनों का निर्माण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में इमारतों का बाढ़ के पानी के स्तर से ऊपर निर्माण किया जाना चाहिए ताकि संपत्ति के नुकसान के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों को भी नुकसान से बचाया जा सके।


जल भंडारण प्रणाली की शुरुआत

बारिश के पानी को पुन: उपयोग करने के लिए सरकार को जल भंडारण प्रणालियों के निर्माण में निवेश करना चाहिए। इस तरह से मैदानी इलाकों में पानी के अतिप्रवाह होने और बाढ़ का कारण बनने की बजाए पानी का अत्यधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।


ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत बनाएं

बाढ़ के मुख्य कारणों में से एक ख़राब जल निकासी व्यवस्था है। जल निकासी से बचने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली होना जरूरी है जिससे बाढ़ की स्थिति ना उत्पन्न हो।


बाढ़ बैरियर स्थापित करें

उन क्षेत्रों में बाढ़ बैरियर स्थापित किए जाने चाहिए जो बाढ़ से प्रभावित हैं। पानी निकल जाने के बाद इन्हें हटाया जा सकता है।


निष्कर्ष


हालांकि बारिश की घटनाएं, बर्फ-पहाड़ों का पिघलना, जल निकासियों और तूफानों को रोकना मुश्किल हो सकता है लेकिन इनमें से अधिकांश मामलों में पहले एतियात बरती जा सकती है और सरकार जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर सकती है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। यहाँ ऊपर साझा किए गए कुछ तरीकों को नियोजित करके बाढ़ की स्थिति से बचा जा सकता है।


 


निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रस्तावना


बाढ़ की स्थिति भारी बारिश, नदियों और महासागरों जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह, ग्लेशियर पिघलने, तूफान और तटीय किनारों के साथ तेज हवाओं के कारण बनती हैं। जब अत्यधिक मात्रा में जल निकलने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली की कमी होती है तब यह पानी बाढ़ का कारण बनता है।


बाढ़ के परिणाम


बाढ़ का पानी प्रभावित क्षेत्र के सामान्य कामकाज को बाधित करता है। गंभीर बाढ़ के कारण बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है। यहां बताया गया है कि धरती पर बाढ़ कैसे प्रभावित करती है:


जीवन को ख़तरा

बहुत से लोग और जानवर गंभीर बाढ़ के कारण अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं। इससे कई लोग घायल और विभिन्न रोगों से संक्रमित होते हैं। कई जगहों पर मच्छरों और अन्य कीड़ों के प्रजनन के लिए जमा होने वाला पानी मलेरिया और डेंगू जैसी विभिन्न बीमारियों का कारण है। हाल ही में पेचिश, न्यूमोनिक प्लेग और सैन्य बुखार के मामलों में वृद्धि हुई है।


बिजली कटौती

आज कल बिजली और पानी की आपूर्ति में बाधा आई है जिससे आम जनता की समस्याओं में वृद्धि हो रही है। उन स्थानों पर करंट पकड़ने का जोखिम भी है जहां बिजली की आपूर्ति बरकरार है।


आर्थिक नुकसान

बहुत से लोग अपने घरों और अन्य संपत्तियों जैसे कार, मोटरसाइकिल बाढ़ में खो देते हैं जिन्हें ख़रीदने में सालों लगते हैं। यह सरकार के लिए चिंताजनक विषय है क्योंकि संपत्ति बचाव अभियान के लिए कई पुलिसकर्मियों, फायरमैनों और अन्य अधिकारियों को तैनात करना पड़ता है। गंभीर बाढ़ के मामलों में प्रभावित क्षेत्रों को फिर से तैयार करने में कई साल लगते हैं।


कीमत का बढ़ना

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में माल की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि सड़क परिवहन वहां तक ​​नहीं पहुंच सकता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में संग्रहीत सामान भी बाढ़ के कारण खराब हो जाते हैं। आपूर्ति की कमी है और मांग अधिक है और इस प्रकार वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होती है।


मृदा अपरदन

जब मूसलधार बारिश होती है तो मिट्टी पूरे पानी को अवशोषित नहीं कर पाती और इससे अक्सर मिट्टी का क्षरण होता है जिसके भयानक परिणाम होते हैं। मिट्टी के क्षरण के अलावा मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।


पेड़-पौधें

बाढ़ सिर्फ मनुष्यों और जानवरों के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि वनस्पति के लिए भी ख़तरा है। भारी बारिश अक्सर गड़गड़ाहट, बिजली और तेज हवाओं के साथ होती है। तूफान पेड़ों को उखाड़ फेंकने का एक कारण है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है और कई अन्य पौधें भी नष्ट हो जाते हैं।


भारत में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र


साल-दर-साल भारत में कई क्षेत्रों को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। देश में इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में उत्तर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, मुंबई, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों, तटीय आंध्र प्रदेश और उड़ीसा, ब्रह्मपुत्र घाटी और दक्षिण गुजरात सहित अधिकांश गंगा मैदान हैं। बाढ़ के कारण इन जगहों को अतीत में गंभीर नुकसान पहुंचा है और अभी भी ख़तरे का सामना कर रहे हैं।


निष्कर्ष


बाढ़ प्राकृतिक आपदाओं में से एक है जो विभिन्न क्षेत्रों में बड़े विनाश का कारण है। यह समय है कि भारत सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए मजबूत उपायों का पालन करना चाहिए।


 


निबंध – 4 (600 शब्द)

प्रस्तावना


बाढ़ तब होती है जब एक विशेष सूखे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण ज़मीन पर बहने वाले पानी की मात्रा बढ़ जाती है। नदी, महासागर और झील जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह के कारण यह भी हो सकता है। बाढ़ जन विनाश के कारण जानी जाती है। कुछ क्षेत्रों में विनाश का कारण इतना गंभीर है कि नुकसान की मरम्मत के लिए कई साल लगते हैं।


बाढ़ के कारण


बाढ़ के विभिन्न कारणों पर एक नजर इस प्रकार है:


भारी बारिश

बाढ़ की स्थिति ख़राब जल निकासी प्रणाली के कारण हो सकती है। कई बार थोड़ी अवधि की भारी बारिश भी बाढ़ का कारण बन सकती है जबकि दूसरी तरफ कई दिनों तक चलने वाली हल्की बारिश भी बाढ़ जैसी स्थिति बना सकती है।


बर्फ का पिघलना

सर्दियों के मौसम के दौरान जो पहाड़ बर्फ से ढंके होते है उनका पिघलना शुरू हो जाता है क्योंकि तापमान बढ़ जाता है। बर्फ का अचानक पिघलना तापमान बढ़ने के कारण होता है और इसके परिणामस्वरूप मैदानी इलाकों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। जिन क्षेत्रों में अत्यधिक पानी की मात्रा है वहां उचित जल निकासी प्रणाली नहीं होने के कारण बाढ़ की स्थिति बन जाती है। इसे प्रायः बर्फ से पिघलने वाली बाढ़ के रूप में जाना जाता है।


बाँध का टूटना

ऊंचाई से पानी बहने के लिए बांधों को बनाया जाता है। पानी से बिजली बनाने के लिए प्रोपेल्लर्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार बाँध टूट जाते हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में पानी नहीं पकड़ पाते जिसके फलस्वरूप आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है। कभी-कभी अत्यधिक जल बांध से जानबूझकर जारी किया जाता है ताकि इसे टूटने से रोका जा सके। इसका परिणाम बाढ़ भी हो सकता है।


जल निकायों का अतिप्रवाह

जल निकायों जैसे नदियाँ आदि से पानी बार-बार बह निकलने से आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। नदियों के नजदीक निचले इलाके इस समय के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि जल नदी से नीचे की ओर बहता है।


तटीय क्षेत्र में हवाएं

मजबूत हवाओं और तूफानों में समुद्र के पानी को सूखे तटीय इलाकों में ले जाने की क्षमता होती है जो की बाढ़ का कारण बनता है। इससे तटीय क्षेत्रों में गंभीर क्षति हो सकती है। तूफान और सुनामियों को तटीय भूमि में बड़ी तबाही का कारण जाना जाता है।


ग्लोबल वार्मिंग: बाढ़ का मुख्य कारण


हाल के दिनों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है। ऐसा कहा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते औसत समुद्री तापमान में काफी बढ़ोतरी हुई है और इससे कैरिबियन में उष्णकटिबंधीय तूफान की बढ़ती दर और कठोरता में वृद्धि हुई है। ये तूफान उनके रास्ते में देशों में भारी बारिश का कारण है। ग्लोबल वार्मिंग, जो वायुमंडल के तापमान में वृद्धि पैदा कर रहा है, ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने का भी एक कारण है जो फिर से कई क्षेत्रों में बाढ़ का कारण है। कहा जाता है कि आने वाले समय में ध्रुवीय बर्फ पर फिर से बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे स्थिति खराब होने की संभावना है।


पृथ्वी पर समग्र जलवायु परिस्थितियों में एक बड़ा परिवर्तन आया है और ग्लोबल वार्मिंग को इस परिवर्तन का कारण माना जाता है। जहाँ कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ का अनुभव होता है वहीँ अन्य लोग सूखे का अनुभव करते हैं।


निष्कर्ष


यद्यपि हम बारिश या ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते पर हम निश्चित रूप से बाढ़ के पानी से निपटने के लिए अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। सालभर कई देशों में जैसे सिंगापुर के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा होती है पर वहां अच्छी जल निकासी प्रणाली है। भारी बारिश के दिनों में भी वहां समस्या नहीं होती। बाढ़ की समस्या और प्रभावित क्षेत्रों में होने वाली क्षति से बचने के लिए भारत सरकार को भी अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।





अर्चना सिंह

कई लोगो की प्रेरणा की स्रोत, अर्चना सिंह एक कुशल उद्यमी है। अर्चना सिंह 'व्हाइट प्लैनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड' आई. टी. कंपनी की डायरेक्टर है। एक सफल उद्ममी होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी है, व इस क्षेत्र में कई वर्षो का अनुभव है। वे 'हिन्दी की दुनिया' और अन्य कई वेबसाइटों पर नियमित लिखती हैं। अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मकता में लगाती है। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं। इनका कठोर परिश्रम एवं कार्य के प्रति लगन ही इनकी सफलता की कुंजी है।



Epam Siwan 


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