आकलन की प्रमुख प्रविधियां ( main method of assessment ) Bihar d.el.edBihar D El Ed 2nd year 7 pedagogy of mathematics )



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शिक्षक ने बच्चों को विचार विमर्श करने के लिए कुछ समय दिया और वह बच्चों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनने लगे । राम कमल रानी रीता आकृतियों के गुणों को याद रखना मुश्किल है । चौकोर आकृतियों के नाम याद रखना मुश्किल है । मैंने आकृतियों के नामों को पढ़ा है और मैं याद नहीं कर पायी । मैंने अभी भी किताब में पढ़ा है , तब भी याद नहीं । मैंने आयत के गुणों को याद कर लिया है । वर्ग एवं आयत में कोई फर्क नहीं होता है । कालू सलमा बच्चों की इस चर्चा के बाद शिक्षक ने आकृतियों से सम्बन्धित अवधारणाओं को मॉडल , चित्रों की सहायता से पुनः स्पष्ट किया ।

इसके बाद कम्प्यूटर पर आकृतियों से सम्बन्धित कुछ खेलों का प्रबन्ध भी बच्चों के लिए किया ताकि बच्चे अपनी समस्याओं के हल ढूँढ़ सकें । शिक्षक इसी प्रकरण से सम्बन्धित कुछ सवालों को भी बच्चों के सामने समस्या के रूप में प्रस्तुत करता है तथा परिवेश से जोड़ते हुए संभावित उत्तरों पर चचा करता है एवं बातचीत के जरिए बच्चों की समस्याओं का समाधान करता है । जब बच्चे उत्तर देते हैं तो शिक्षक बच्चों की बताता है कि सीखने के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ।

 कभी - कभी शिक्षक सामने आ चुनौतियों को दर्ज करने के लिए एक चैकलिस्ट बना सकता है ताकि समय - समय पर चुनौतियों का समाधान कर सके । शिक्षक समस्याओं के समाधान में दैनिक जीवन के अनुभवों का सहारा लेता है तथा सीखी गयो अवधारणाओं को दैनिक जीवन से सम्बन्धित समस्याओं को समाधान करने की क्षमता से बच्चों का आकलन करता है ।

औपचारिक बात - चीत बच्चे आपसी बात - चीत द्वारा गणितीय अवधारणाओं को समझ बनाने हेतु आकलन कर सकते हैं , जैसे - बच्चे जिस मैदान में खेलते हैं , उसको डेग ( कदम ) से नापकर उसकी परिमित निकाल सकते हैं । घेरा के लिए बाँस को गणना कर सकते हैं । घेरा पर आने वाले खर्च का अनुमान , मैदान के किनारे - किनारे क्यारी बनाना , फूल लगाना इस कार्य में समय और खर्च का अनुमान इत्यादि ।

 शिक्षक द्वारा अवलोकन गणित सम्बन्धी गतिविधियों के दौरान बच्चों द्वारा सीखने का आकलन अवलोकन के माध्यम से किया जा सकता है । अवलोकन द्वारा बच्चों के बारे में जानकारी सामान्य या स्वाभाविक वातावरण में की जा सकती है । सिखाने के दौरान शिक्षक बच्चों का आकलन बच्चों द्वारा प्रश्नों के उत्तर देने के ढंग से कर सकता है । बच्चे की साझेदारी के स्तर का भी अवलोकन करके आकलन किया जा सकता है । अवलोकन द्वारा बच्चो के बहुत - से पक्षों का आकलन किया जा सकता है ।

अवलोकन से बच्चों का आकलन व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रूपों में किया जा सकता है । शिक्षक बच्चे के व्यवहार , रुचि , सीखी गई अवधारणा का दैनिक जीवन में अनुप्रयोग इत्यादि का अवलोकन करके बच्चे के बारे में एक दृष्टिकोण बना सकता है । शिक्षक को बच्चे का अवलोकन विभिन्न परिस्थितियों , गतिविधियों और समयावधि में करना चाहिए । यदि बच्चे अनेक गतिविधियों में संलग्न होते हैं तब उनका अवलोकन करना शिक्षक के लिए सरल होता है । आइए , इसे एक गतिविधि के माध्यम से समझते हैं सोनू तथा रानी कुछ वस्तुओं से खेल रहे हैं । वे वस्तुओं को एक - दूसरे के ऊपर जमाकर देख रहे हैं । शिक्षक उनकी इस गतिविधि का अवलोकन कर रहा है ।



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