सूचना एवं संचार तकनीकी के विविध साधन आज तंत्रयुग में विकसित हुए हैं । इन साधनों के माध्यम से सूचना एवं संचार तकनीकी के क्षेत्र का विकास हुआ है । सूचना एवं संचार तकनीकी एवं संचार तकनीकी क्षेत्र के विकसित साधनों से शिक्षा क्षेत्र मे द्रुत गति से विकास हुआ है ।
साधनों के प्रकार
० दृश्य साधन प्रदर्शन , स्थिरचित्र , दृश्य प्रतीक , मानचित्र , एटलस , भित्तीचित्र , ग्लोब , रेखाचित्र , आलेख चित्र , चित्र विस्तारक यंत्र , चार्ट , बुलेटिन बोर्ड , फॅनल बोर्ड आदि साधनों का समावेश दृश्य साधनों में होता है ।
• श्रव्य साधन रेडियो , टेपरिकॉर्डर , ऑडिओ रिकॉर्डर , सम्मेलन . साक्षात्कार . सार्वजनिक सभा . टेलीफोन आदि साधनों का समावेश श्रव्य साधनों में होता है ।
२ दृश्य - श्रव्य साधन नाटक . फिल्म , चलचित्र ( दृश्य - श्रव्य ) , दूरदर्शन , वीडियो प्लेअर , सी.डी.प्लेअर . संगणक , टेलीकान्फ्रेसिंग , उपग्रह प्रक्षेपण . इंटरनेट आदि साधनों का समावेश दृश्य - श्रव्य साधनों में होता है ।
सूचना एवं संचार तकनीकी के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं :
1 ) रेडियो प्रसारण ( Radio Broad Casting ) यह शिक्षण का श्रव्य साधन है । आजकल रेडियो प्रसारण सूनना प्रत्येक व्यक्ति की चि में शामिल है । रेडियो जनसंचार का प्रभावी एवं महत्वपूर्ण माध्यम है । शिक्षण हेतु रेडियो का प्रयोग बढ़ता जा रहा है । शिक्षण विशेषज्ञ , शैक्षिक विचारक , शैक्षिक दर्शनशास्त्री , शिक्षा विषयक नवाचार का प्रसारण रेडियो द्वारा प्रभावी रूप से कर सकते हैं । यह सूचना एवं संचार तकनीकी का शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रयोग है ।
2 ) टेपरिकॉर्डर ( Tape Recorder ) बालकाव्य , भाषा संभाषण , भाषण कौशल , देशभक्ति एवं शैक्षिक काव्य , प्रेरणादायी विचारों का संकलन , शिक्षा विशेषज्ञ , आदर्श पाठ्यक्रम आदि के शिक्षा के उपयोग में टेपरिकॉर्डर प्रभावी साधन सिद्ध हुआ है ।
3 ) शिक्षण मशीन ( Teaching Machines ) बी . एफ . स्किनर ने सर्वप्रथम शिक्षण मशीन का प्रयोग किया जिसमें विद्यार्थियों को मशीन के माध्यम से बाह्य अनुक्रिया के लिए स्पष्टीकरण दिया जाता है । इससे विद्यार्थी अपनी त्रुटि सुधार लेता है तथा उसे पुनर्बलन ( Reinforcement ) भी मिलता है । अभिक्रमित अनुदेशन के प्रस्तुतिकरण में शिक्षण मशीन बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है ।
4 ) टेलीविजन ( Television ) टेलीविजन नवीनतम दृश्य - श्रव्य उपकरण है । शिक्षा देने के लिए इसका प्रयोग प्रारम्भ हो गया है । टेलीविजन मे बालक अपनी देखने तथा सुनने की दोनों इंद्रियों का प्रयोग करने के कारण किसी भी तथ्य को शीघ्रता से सीख जाता है । यह उपकरण योग्यतम शिक्षकों को देश की शिक्षा संस्थाओं तक पहुंचा देता है और शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने में सहायक होता है । इसका लाभ यह है कि इसमें मानचित्र , मॉडल , फोटोचित्र , फिल्म आदि विविध प्रकार की अव्य - दृश्य सामग्री का उपयोग किया जा सकता है , ताकि शिक्षण प्रभावशाली बन सके । इस उपकरण के महत्व का उल्लेख करते हुए ' धट व गेरेबेरिच ' ( Thut & Gereberich ) ने बड़ा सटीक कहा है , " यह सबसे अधिक आशापूर्ण श्रव्य - दृश्य उपकरण है क्योंकि संदेशवाहक के इस एक यंत्र में रेडियो तथा चलचित्र के गुणों का सम्मिश्रण है । प्रारम्भिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण , औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा , वयस्कों के लिए अनौपचारिक , आर्थिक एवं सामाजिक शिक्षा , राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा आदि के लिए उपयुक्त है । यह टेली - पाठ के प्रसारण हेतु अत्यंत उपयुक्त है ।
5 ) संगणक ( Computer ) 21 वीं सदी का सर्वोत्तम मानवीय अविष्कार संगणक का निर्माण है । संगणक की कार्यक्षमता एवं उपयोगिता के अनुसार संगणक सभी क्षेत्रों में उपयुक्त सिद्ध हुआ है । संगणक को सहायता से अनुदेशन कार्यक्रम शिक्षा के लिए उपयुक्त है । इससे शिक्षार्थी एवं विद्यार्थी दोनों ही अपनी गति , क्षमता , बौद्धिक स्तर के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं । शिक्षा प्रबंधन हेतु संगणक बहुत ही महत्वपूर्ण है । शिक्षण एवं अनुदेशन में संगणक का प्रयोग दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । आधुनिक युग में संगणक का उपयोग मापन , मूल्यमापन एवं मूल्यांकन हेतु किया जाने लगा है । परीक्षा परिषदें , विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षा संस्थान परीक्षाओं में मूल्यांकन करने और परीक्षा परिणाम बनाने में संगणक का सहारा लेते हैं । संगणक का शिक्षण - साधन के रूप में अधिक उपयोग न करके अधिगम साधन के रूप में अधिक उपयोग किया जाता है । शोधकार्य में सूचना संकलन तथा सांख्यिकीय विश्लेषण तथा वर्ड प्रोसेसिंग ( शब्द संसाधन ) आदि के लिए भी उपयुक्त है ।
6 ) इंटरनेट ( Internet ) संगणक इंटरनेट से सूचना का आदान - प्रदान सरलता से करता है । इंटरनेट से बातचीत , खरीददारी , व्यवसाय . पत्रव्यवहार , मनोरंजन आदि कार्य किये जाते हैं । शोध कार्य हेतु इंटरनेट अधिक महत्वपूर्ण है । जानकारी प्राप्त करने में इंटरनेट अलादिन के चिराग जैसा है जिसके माध्यम से विश्व के किसो क्षेत्र , विषय , व्यक्ति आदि को जानकारी तुरन्त प्राप्त की जाती है । शिक्षा क्षेत्र हेतु यह महत्वपूर्ण कदम है । ई - मेल जैसी ऑनलाईन सेवाओं से घर बैठे या अपने कार्यालय में बैठे - बैठे सरलता से कार्य किया जा सकता है । इंटरनेट द्वारा संदेश भेजना और प्राप्त करना बड़ा आसान है । ई - मेल से ग्राफिक्स , टेक्स्ट तथा एनीमेशन आदि को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित और प्राप्त किया जा सकता है । इंटरनेट की सहायता से चैटिंग , ई - कॉमर्स , ई - बॉकंग , ई - एजुकेशन आदि का उपयोग सरलता किया जा सकता है । आज Facebook , WhatsApp , Twitter , You - tube आदि सोशल नेटवर्क साईट्स सूचना एवं संचार तकनीकी का अहम हिस्सा बन रहे हैं ।
7 ) उपग्रह प्रसारण सूचना एवं संचार तकनीकी क्षेत्र में उपग्रह का महत्वपूर्ण उपयोग किया जा रहा है । उपग्रह की सहायता से सूचनाओं का आदान - प्रदान करना सरल हुआ है । रेडियो , टेलीविजन , संगणक , इंटरनेट , मोबाइल , सोशल साइट्स आदि के उपयोग के लिए उपग्रह प्रसारण का ही प्रसारण किया जाता है । शिक्षा क्षेत्र में जनशिक्षा हेतु उपग्रह प्रसारण महत्त्वपूर्ण है । वीडियो कॉन्फ्रेसिंग , टेलिकॉन्फ्रेसिंग , ई - मेल , चेटिंग , ऑनलाईन पत्रिकाएं , विज्ञापन पढ़ना और जानना , नेटसफिंग आदि की कल्पना आज उपग्रह प्रसारण के बिना असम्भव है ।
8 ) वीडियो डिस्क वीडियों में सूचनाओं का दृश्य एवं श्रव्य मंडार किया जाता है । इसमें मडारित सूचनाओं को आवश्यकतानुसार स्क्रीन पर देखा जा सकता है । टेलीविजन सेट मोनिटर या वीडियो डिस्क प्लेअर के माध्यम से इन सूचनाओं को देखा . सुना जा सकता है । वीडियो डिस्क में मुद्रित पाठ्य - सामग्री . दृश्य - श्रव्य , फिल्म , स्लाइड्स आदि को संचय या भंडार किया जा सकता है । वीडियो डिस्क को आगे - पीछे घुमाकर सुविधा अनुसार सूचना एवं ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है । यह अध्ययन - अध्यापन कार्य हेतु एक प्रभावी माध्यम है ।
9 ) टेलीटेक्स्ट टेलोटेक्स्ट संगणक तकनीक की एक युक्ति है । इसका प्रयोग रेलवे , एअर ट्रैफिक कंट्रोल , एअरलाइंस पूछताछ आदि विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है । विद्युत उपकरण की सहायता से टेलोटेक्स्ट प्रयोक्ता प्रसारण सूचना में से बाछित सूचना का चयन कर सकता है । टेलोटेक्स्ट संचार तकनीकी में टेलीविजन प्रसारण केंद्र से सूचना को टेलीविजन नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित किया जाता है ।
10 ) वीडियो टेक्स्ट टेलीविजन के माध्यम से शिक्षण प्रशिक्षण देने की पद्धति को वीडियो टेक्स्ट कहते हैं । यह दोनों तरफ से संचार माध्यम होता है । संगणकीकृत सूचनाओं तक पहुंच बनाने के लिए वीडियो टेक्स्ट में टेलीविजन और टेलीफोन का उपयोग किया जाता है । वीडियो टेक्स्ट को चलाए जाने पर उसमें संग्रहित सामग्री को रिकॉर्डर की सहायता से टेलीविजन पर प्रदर्शित किया जाता है । वीडियो टेक्स्ट पद्धति के अन्तर्गत एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से प्रश्न पूछ सकता है और अपेक्षित सूचना प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है । टेलीटेक्स्ट इलेक्ट्रॉनिक पाठ का व्यापक - विस्तृत रूप वीडियो टेक्स्ट होता है । 11 ) पेजिंग , सेल्युलर एवं सेटेलाईट फोन सेवा सूचना तकनीकी के क्षेत्र में पेजिंग , सेल्युलर एवं सेटेलाईट फोन सेवा का भी महत्वपूर्ण योगदान है । इन प्रणालियों में रेडियो तरंगों का उपयोग होता है । पेजर का प्रयोक्ता एक निश्चित पहुँच के दायरे में अंकों अथवा शब्दों में सूचना या संदेश भेज सकता है तथा ये संदेश या सूचनाएँ पेजर में आती हैं जिन्हें पेजर प्रयोक्ता बाद में भी पढ़ सकता है । सेल्युलर फोन सूचना या संदेश संप्रेषण की दुतरफा संचार सेवा है । इसका उपयोग कहीं भी किसी भी समय किया जा सकता है । सेटेलाईट फोन सेवा उपग्रह आधारित सेवा है जिसके माध्यम से विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से तुरंत संपर्क स्थापित किया जा सकता है । सूचना एवं संचार तकनीकी साधन का उपयोग शिक्षा , व्यापार , बैंकिंग , प्रबन्धन , कम्पनियों , स्वास्थ , अभियांत्रिकी , प्रशासन आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है ।
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