B.Ed. and D.El.Ed. finall exam me kaise prashn aate hai -प्रश्नोत्तरी : पर्यावरण अध्ययन का शिक्षा शास्त्र



B.Ed. and D.El.Ed. finall exam प्रश्नोत्तरी : पर्यावरण अध्ययन का शिक्षा शास्त्र   









पर्यावरण अध्ययन : प्रकृति व अवधारणा :-

पिछले कुछ दशकों से विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का समेकित रूप प्रस्तुत किया जा रहा है। जिससे पाठ्यक्रम का बोझ कम हुआ है। बच्चों को उनके वास्तविक जीवन से जुड़े सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, व पर्यावरणीय मुद्दों से इस प्रकार जोड़ा जाना चाहिए जिससे वे विविध संसाधनों व जीवो के प्रति अन्याय कोमा असमानता कोमा शोषण जैसी समस्या के प्रति सचेत व संवेदनशील बन सके। तथा बच्चों के ज्ञान, विकास, अनुभव को बढ़ाया जा सके। बच्चों में किताबों को रखने व पाठ्यक्रम के बोझ को बढ़ाने के स्थान पर वास्तविक जीवन के कौशलों का विकास करना बहुत जरूरी है।

पर्यावरण अध्ययन : स्वरूप व संभावनाएं :-

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार पर्यावरण को कक्षा 3 से 5 तक एक मुख्य विषय के रूप में देखा गया है जबकि कक्षा 1 व 2 में इस विषय से जुड़े मुद्दों को भाषा व गणित में एकीकृत समाहित किया गया है। वही माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान व सामाजिक विज्ञान में पर्यावरणीय संबंधी मुद्दों को सुलझाने का पाठ्यक्रम दिया गया है। वर्तमान समय में वैश्विक व राष्ट्रीय सरोकारों में आए बदलाव के कारण संपूर्ण पाठ्यक्रम में एक सकारात्मक बदलाव की जरूरत है। अतः यह जरूरी है की पाठ्यक्रम का निर्माण व संप्रेषण इस प्रकार हो जिससे पर्यावरण के द्वारा सीखना जैसे सिद्धांतों को ना केवल बढ़ावा मिले अपितु संपूर्ण पाठ्यक्रम भी पर्यावरण केंद्रित हो सके। वर्ष 2000 तक विज्ञान व सामाजिक विज्ञान को EVS - 1 और EVS - 2 की तरह देखा जाता था मगर वही ncf-2005 इन दोनों विषयों को एकीकृत विषय का रूप दिया गया। पर्यावरण अध्ययन से बच्चों में पर्यावरण का ज्ञान कौशल व स्वभाव को विकसित किया जा सकता है ताकि दे जिम्मेदार व संवेदनशील नागरिक बन सकें एनसीईआरटी द्वारा निर्मित पाठ्यक्रम बा सामग्री इन टॉपिक आधारित न होकर थीम आधारित है।

अपनी समझ परखे :-

1. केवल सामाजिक विज्ञान और राजनीति विज्ञान पर्यावरण अध्ययन से जुड़े विषय है। (गलत)

2. स्वास्थ्य शिक्षा, पर्यावरण अध्ययन में एक विषय के रूप में शामिल है। (सही)

3. पर्यावरण अध्ययन कला शिक्षा, गणित व भाषा से संबंधित नहीं है। (गलत)

पाठ्यचर्या अपेक्षाएं और सीखने के प्रतिफल :-

बच्चों में समानता कॉम अन्याय, मानव अधिकारों के सम्मान से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए संवेदनशील व जिम्मेदार व्यक्ति बनाने के लिए पर्यावरण का उद्देश रहा है। बल्कि समस्या का समाधान भी हो सके।

प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण में सीखने के प्रतिफल:-

एनसीईआरटी के द्वारा निर्मित लर्निंग आउटकम अपेक्षाओं को इसकी पुस्तिका में देखा जा सकता है जिसके आधार पर हम यह जान पाएंगे कि प्रत्येक कक्षा के प्रत्येक पाठ में क्या क्या बच्चों से बन जाना चाहिए / क्या सीख देनी है।

पर्यावरण अध्ययन पाठ्यचर्चा को समझना:-

पर्यावरण के लर्निंग आउटकम्स को पाने के लिए पाठ्य सामग्री जैसे पाठ्यक्रम पाठ्य पुस्तक अन्य पूरक सामग्री को सरलता सहजता से बच्चों के बीच संप्रेषण करना चाहिए, हमारी शिक्षाशास्त्र तकनीक सरल हो , उसके अनुरूप हो।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 द्वारा दिए गए मार्गदर्शी सिद्धांत यह दृष्टि प्रदान करता है जो कि निम्न है -

1. ज्ञान को स्कूल के बाहर के जीवन से जोड़ना।

2. रटने की पद्धति को दूर करना है।

3. पाठ्यपुस्तक तक सीमित न रहकर समग्र विकास पर जोर देना है।

4. परीक्षा को अधिक लचीला बनाना।

(NCERT) एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम 6 themes पर आधारित है:-

परिवार & मित्र :- संबंध, कार्य, खेलना , पेड़ पौधे और जीव जंतु , भोजन, आवाज, जल, यात्रा, व्यवसाय ।

नीचे दी गई सारणी एक में जल थीम से संबंधित कई मुद्दे/ संकल्पनाए/ सरोकार दिए गए हैं।


पर्यावरण अध्ययन में शिक्षण-अधिगम की कार्य नीतियां एवं संसाधन:-

सभी बच्चे अपने समाज से कोमा आसपास के परिवेश से सीख कर बड़े होते हैं-उनके पास पूर्व ज्ञान भी रहता है।

सभी बच्चे चौहान से जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं, जोकि उनके बार-बार प्रश्न पूछने या जांच पड़ताल की ललक से पता चलता है।

शिक्षक को आवश्यक प्रक्रिया कौशलों जैसे कि अवलोकन करना, वर्गीकरण करना, अनुमान लगाना आदि को उपलब्ध कराकर सीखने की प्रक्रिया को सार्थक बनाने की जरूरत है। जिससे बच्चे नए ज्ञान का सर्जन बा अपने विचारों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

परियोजनाएं:-

 परियोजना सीखने का एक महत्वपूर्ण साधन है जिन्हें बच्चे अकेले या समूह में करते हैं तथा घर  स्कूल पर इन पर काम करते हैं। परियोजना विषय  पार्ट बार हो सकती हैं किंतु शिक्षक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इनकी योजना  रूपरेखा तैयार करते समय में बच्चों को शामिल करें।

जैसे - अपने दादा दादी माता-पिता से उनके समय में जल की उपलब्धता का पता करें तथा वर्तमान स्थिति से तुलना करें।

घर  स्कूल के पास कोई नदीतालाबझील या बावड़ी है तो उसके बारे में जानकारी संकलित करें।

पानी के स्त्रोतों के चित्र संकलित करें या कॉपी में चित्र बनाएं।

शिक्षक बच्चों को ग्रुप में बैठकर थीमों पर गतिविधियों की रूपरेखा / योजना बना सकते हैं। साथ ही बच्चों को सर्वेक्षण भ्रमण में हेल्प कर सकते हैं।

प्रयोग एवं अन्वेषण :-

प्रयोग और अन्वेषण करना बच्चों को खोजबीन करनानिरीक्षण करनासर्जन करनेपरिचर्या करनेविवेचनात्मक रूप से सोचनेवर्गीकरण करनेविश्लेषण करने निष्कर्ष निकालने के लिए प्रोत्साहित करता है।

हम बच्चों को गतिविधियों से संबंधित संसाधन प्रदान करके या उनकी व्यवस्था संबंधी सुझाव देकर Activity (गतिविधिको करना सहज बना सकते हैं।

सर्वेक्षण और साक्षात्कार :-

सर्वेक्षण से सार्थक जानकारी पाने  उपयोग करने में मदद मिलती है। बच्चों को अपने आप प्रश्न बनानेआसपास के लोगों से साक्षात्कार करने को मा रिपोर्ट तैयार करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। जिससे उनके अनुभवों में वृद्धि होगी।

जैसे- जल के अपव्यय  संरक्षण का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करनाइसकी जानकारी एकत्र करना।

अनुभव साझा करना :-


बच्चों को ऐसा माहौल बना कर दिया जाए कि वे अपने विचारों, अनुभवों को साझा कर सकें। सांझा मौखिक, लिखित या चित्र बनाकर करें।


भूमिका निर्वाह:-


भूमिका निर्वाह बच्चों को वास्तविक व काल्पनिक पात्रों का अभिनय करने में मदद करता है जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।


क्षेत्र भ्रमण :-


बच्चों को वास्तविक स्थिति, ज्ञान की बोध कराने के लिए क्षेत्र भ्रमण कार्यनीति उचित रहती है।


संसाधन:-


बच्चों को पर्यावरण शिक्षण अधिगम के लिए सीखने के कई संसाधन उपलब्ध है। हमारी पाठ्यपुस्तक के अलावा वेब संसाधन, मीडिया, ऑडियो, वीडियो, चित्र,पोस्टर, आसपास की वस्तुए, स्थान, तथा अ

अन्य पुस्तकों के द्वारा बच्चों को सिखाया जा सकता है।


पर्यावरण अध्ययन में सीखने के अनुभवों का नियोजन और सर्जन कैसे करें?


पर्यावरण अध्ययन में पाठ्य चर्चा संबंधी अपेक्षाओं शिक्षण शास्त्र व सीखने के प्रतिफल को आसानी से एकीकृत करते हुए संप्रेषण करने के लिए हम एक थीम - "जल" लेते हैं।


सभी बच्चे जल से पूर्व से ही परिचित कहते हैं। साथ ही साथ कुछ जल के स्त्रोतों को भी जानते हैं जैसे नल, कुआ, नदी, तालाब आदि।


हम बच्चों से आसानी से प्रश्न पूछ कर या चित्र दिखाकर पानी या उसकी स्त्रोतों के बारे में पता कर सकते हैं। बच्चों से पानी के उपयोग के बारे में भी चर्चा करें कि पानी किस काम आता है। अंतिम में उनसे यह पूछे कि इन कामों को क्या पानी के जगह में और किसी के द्वारा किया जा सकता है। कि पानी के खत्म हो जाने पर बहुत बड़ी समस्या आ सकती है। बच्चों से पानी के प्रदूषण से होने वाले परिणाम पर भी चर्चा करें। इसके अलावा पानी पर प्रेक्षण लेने , मापन , अनुमान , मानचित्रण के विकास की अवसर देना उचित होगा।


पर्यावरण अध्ययन हमें अन्य विषयों से कुछ विशेष है जो कि हमारे जीवन से काफी जुड़ा हुआ है यह विषय रहने के बजाय आपस में चर्चा करने, प्रश्न पूछने, प्रेक्षण करने, निष्कर्ष निकालने आदि पर बल देता है। ऐसा करने से बच्चे जागरुक, विश्वास से पूर्ण, संवेदनशील बनेंगे।

कैसा हो पर्यावरण अध्ययन का सीखना-सिखाना :-


पर्यावरण अध्ययन की गतिविधियां एवं क्रियाकलाप कैसी होनी चाहिए, यह एक गंभीर विषय है। इसके लिए सर्वप्रथम थीम का चयन करें फिर अवधारणा, सरोकार व मुद्दों पर आधारित ऐसी गतिविधि का चयन करें जिससे बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न हो, फिर अपने तथा बच्चों के अनुभवों को आपस में साझा करें। बच्चों को विषय वस्तु की आवश्यक चीजों/ संसाधन का उपलब्ध कराएं। फिर समूहो में चर्चा कराएं, थीम पर आधारित कार्य दें ताकि बच्चे प्रेक्षण, भ्रमण, प्रयोग कर अवधारणा की समझ बना सके और सीखने के प्रतिफल तक पहुंच सके।


पोर्टफोलियो:-


किसी भी कक्षा की पर्यावरण पाठ्य पुस्तक से एक पाठ का चयन करें और गतिविधियों के साथ पाठ योजना तैयार करें जिसमें बच्चे सक्रिय रूप से शामिल हो।


पर्यावरण अध्ययन के पाठ के डिजाइन का प्रारूप -


 


  • टॉपिक
  • कक्षा
  • छात्रों की संख्या
  • पाठ का विवरण
  • सीखने का उद्देश्य
  • संसाधन/प्रौघोगिकी
  • सीखने के अनुभव
  • सीखने के प्रतिफल

प्र01 निम्नलिखित में से कौन सा कथन पाठ्यचर्या संबंधी अपेक्षाओं और सीखने के प्रतिफलों के बारे में सही है ?


क) पाठ्यचर्या संबंधी अपेक्षाओं और सीखने के प्रतिफलों के बीच कोई संबंध नहीं हैं।

ख) सीखने के प्रतिफल पाठ्यचर्या अपेक्षाओं को हासिल करने में मदद करेगें।

ग) प्रत्येक कक्षा के लिए सीखने के प्रतिफल अलग होते हैं।

घ) प्रत्येक कक्षा के लिए पाठ्यचर्या अपेक्षाऐं अलग होती हैं।

उत्तर ग) प्रत्येक कक्षा के लिए सीखने के प्रतिफल अलग होते हैं।


प्र02 कक्षा 1 और 2 में, पर्यायवरण अध्ययन :

क) अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।

ख) पढ़ाना संभव नहीं है।

ग) किसी भी तरह से नहीं पढ़ाया जाता है।

घ) भाषा और गणित के साथ पढ़ाया जाता है।

उत्तर घ) भाषा और गणित के साथ पढ़ाया जाता है।


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