B.Ed. and D.El.Ed. finall exam प्रश्नोत्तरी : पर्यावरण अध्ययन का शिक्षा शास्त्र
परियोजनाएं:-
परियोजना सीखने का एक महत्वपूर्ण साधन है जिन्हें बच्चे अकेले या समूह में करते हैं तथा घर व स्कूल पर इन पर काम करते हैं। परियोजना विषय व पार्ट बार हो सकती हैं किंतु शिक्षक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इनकी योजना व रूपरेखा तैयार करते समय में बच्चों को शामिल करें।
जैसे - अपने दादा दादी माता-पिता से उनके समय में जल की उपलब्धता का पता करें तथा वर्तमान स्थिति से तुलना करें।
घर व स्कूल के पास कोई नदी, तालाब, झील या बावड़ी है तो उसके बारे में जानकारी संकलित करें।
पानी के स्त्रोतों के चित्र संकलित करें या कॉपी में चित्र बनाएं।
शिक्षक बच्चों को ग्रुप में बैठकर थीमों पर गतिविधियों की रूपरेखा / योजना बना सकते हैं। साथ ही बच्चों को सर्वेक्षण भ्रमण में हेल्प कर सकते हैं।
प्रयोग एवं अन्वेषण :-
प्रयोग और अन्वेषण करना बच्चों को खोजबीन करना, निरीक्षण करना, सर्जन करने, परिचर्या करने, विवेचनात्मक रूप से सोचने, वर्गीकरण करने, विश्लेषण करने निष्कर्ष निकालने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हम बच्चों को गतिविधियों से संबंधित संसाधन प्रदान करके या उनकी व्यवस्था संबंधी सुझाव देकर Activity (गतिविधि) को करना सहज बना सकते हैं।
सर्वेक्षण और साक्षात्कार :-
सर्वेक्षण से सार्थक जानकारी पाने व उपयोग करने में मदद मिलती है। बच्चों को अपने आप प्रश्न बनाने, आसपास के लोगों से साक्षात्कार करने को मा रिपोर्ट तैयार करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। जिससे उनके अनुभवों में वृद्धि होगी।
जैसे- जल के अपव्यय व संरक्षण का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करना, इसकी जानकारी एकत्र करना।
अनुभव साझा करना :-
बच्चों को ऐसा माहौल बना कर दिया जाए कि वे अपने विचारों, अनुभवों को साझा कर सकें। सांझा मौखिक, लिखित या चित्र बनाकर करें।
भूमिका निर्वाह:-
भूमिका निर्वाह बच्चों को वास्तविक व काल्पनिक पात्रों का अभिनय करने में मदद करता है जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
क्षेत्र भ्रमण :-
बच्चों को वास्तविक स्थिति, ज्ञान की बोध कराने के लिए क्षेत्र भ्रमण कार्यनीति उचित रहती है।
संसाधन:-
बच्चों को पर्यावरण शिक्षण अधिगम के लिए सीखने के कई संसाधन उपलब्ध है। हमारी पाठ्यपुस्तक के अलावा वेब संसाधन, मीडिया, ऑडियो, वीडियो, चित्र,पोस्टर, आसपास की वस्तुए, स्थान, तथा अ
अन्य पुस्तकों के द्वारा बच्चों को सिखाया जा सकता है।
पर्यावरण अध्ययन में सीखने के अनुभवों का नियोजन और सर्जन कैसे करें?
पर्यावरण अध्ययन में पाठ्य चर्चा संबंधी अपेक्षाओं शिक्षण शास्त्र व सीखने के प्रतिफल को आसानी से एकीकृत करते हुए संप्रेषण करने के लिए हम एक थीम - "जल" लेते हैं।
सभी बच्चे जल से पूर्व से ही परिचित कहते हैं। साथ ही साथ कुछ जल के स्त्रोतों को भी जानते हैं जैसे नल, कुआ, नदी, तालाब आदि।
हम बच्चों से आसानी से प्रश्न पूछ कर या चित्र दिखाकर पानी या उसकी स्त्रोतों के बारे में पता कर सकते हैं। बच्चों से पानी के उपयोग के बारे में भी चर्चा करें कि पानी किस काम आता है। अंतिम में उनसे यह पूछे कि इन कामों को क्या पानी के जगह में और किसी के द्वारा किया जा सकता है। कि पानी के खत्म हो जाने पर बहुत बड़ी समस्या आ सकती है। बच्चों से पानी के प्रदूषण से होने वाले परिणाम पर भी चर्चा करें। इसके अलावा पानी पर प्रेक्षण लेने , मापन , अनुमान , मानचित्रण के विकास की अवसर देना उचित होगा।
पर्यावरण अध्ययन हमें अन्य विषयों से कुछ विशेष है जो कि हमारे जीवन से काफी जुड़ा हुआ है यह विषय रहने के बजाय आपस में चर्चा करने, प्रश्न पूछने, प्रेक्षण करने, निष्कर्ष निकालने आदि पर बल देता है। ऐसा करने से बच्चे जागरुक, विश्वास से पूर्ण, संवेदनशील बनेंगे।
कैसा हो पर्यावरण अध्ययन का सीखना-सिखाना :-
पर्यावरण अध्ययन की गतिविधियां एवं क्रियाकलाप कैसी होनी चाहिए, यह एक गंभीर विषय है। इसके लिए सर्वप्रथम थीम का चयन करें फिर अवधारणा, सरोकार व मुद्दों पर आधारित ऐसी गतिविधि का चयन करें जिससे बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न हो, फिर अपने तथा बच्चों के अनुभवों को आपस में साझा करें। बच्चों को विषय वस्तु की आवश्यक चीजों/ संसाधन का उपलब्ध कराएं। फिर समूहो में चर्चा कराएं, थीम पर आधारित कार्य दें ताकि बच्चे प्रेक्षण, भ्रमण, प्रयोग कर अवधारणा की समझ बना सके और सीखने के प्रतिफल तक पहुंच सके।
पोर्टफोलियो:-
किसी भी कक्षा की पर्यावरण पाठ्य पुस्तक से एक पाठ का चयन करें और गतिविधियों के साथ पाठ योजना तैयार करें जिसमें बच्चे सक्रिय रूप से शामिल हो।
पर्यावरण अध्ययन के पाठ के डिजाइन का प्रारूप -
- टॉपिक
- कक्षा
- छात्रों की संख्या
- पाठ का विवरण
- सीखने का उद्देश्य
- संसाधन/प्रौघोगिकी
- सीखने के अनुभव
- सीखने के प्रतिफल
प्र01 निम्नलिखित में से कौन सा कथन पाठ्यचर्या संबंधी अपेक्षाओं और सीखने के प्रतिफलों के बारे में सही है ?
क) पाठ्यचर्या संबंधी अपेक्षाओं और सीखने के प्रतिफलों के बीच कोई संबंध नहीं हैं।
ख) सीखने के प्रतिफल पाठ्यचर्या अपेक्षाओं को हासिल करने में मदद करेगें।
ग) प्रत्येक कक्षा के लिए सीखने के प्रतिफल अलग होते हैं।
घ) प्रत्येक कक्षा के लिए पाठ्यचर्या अपेक्षाऐं अलग होती हैं।
उत्तर ग) प्रत्येक कक्षा के लिए सीखने के प्रतिफल अलग होते हैं।
प्र02 कक्षा 1 और 2 में, पर्यायवरण अध्ययन :
क) अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
ख) पढ़ाना संभव नहीं है।
ग) किसी भी तरह से नहीं पढ़ाया जाता है।
घ) भाषा और गणित के साथ पढ़ाया जाता है।
उत्तर घ) भाषा और गणित के साथ पढ़ाया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें