स्वास्थ्य का अध्ययन सम्बन्धी विभिन्न संकेतक कैसे करें।

  स्वास्थ्य का अध्ययन सम्बन्धी विभिन्न संकेतक निम्नलिखित हैं -

•शरीर का तापमान,

•रक्तचाप,

•नाड़ी

 •श्वास दर

 •उम्र, लिंग

 •वजन

 •स्वास्थ्य की स्थिति


शरीर का तापमान

शरीर का तापमान बढ़ना, बुखार होता है। शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.6° F (37°C) होता है। सामान्य तौर पर, 100.4°F (38°C) से ऊपर का तापमान होने पर बुखार होता है।


हर व्यक्ति के शरीर का तापमान थोड़ा भिन्न हो सकता है और यह दिन के समय और शारीरिक गतिविधि जैसे कारकों पर निर्भर होता है। तापमान लेने के लिए उपयोग की जाने वाली पद्धति भी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।



बच्चों में बुखार संबंधी दिशानिर्देश

तापमान मापने के लिए उपयोग की गई पद्धति के आधार पर बुखार को परिभाषित किए जाने का तरीका भिन्न हो सकता है। बुखार संबंधी विशिष्ट दिशानिर्देशों के लिए अपने चिकित्सक से बात करें।


3 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, बुखार को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है:


100.9°F (38.3°C) या इससे अधिक का मुँह का (मुँह से) तापमान

100.4°F (38.0°C) या इससे अधिक का मुँह का तापमान जो एक घंटे तक रहे

बांह के नीचे (कांख) में 99.9°F (37.7°C) का तापमान

बांह के नीचे 99.4°F (37.4°C) या इससे अधिक का तापमान, जो एक घंटे तक रहे

तीन महीने से कम उम्र के बच्चों में, अगर कांख में मापा गया तापमान 99.4°F (37.4°C) या इससे अधिक हो, तो इसे बुखार माना जाता है।


बुखार के कारण क्या हैं?

बुखार का सबसे आम कारण कीटाणु या विषाणुओं से होने वाला संक्रमण है। बुखार के अन्य कारणों में गर्मी में बाहर निकलना, कैंसर, ऑटोइम्यून विकार, कुछ दवाइयां या टीकाकरण शामिल हो सकते हैं।


कैंसर से पीड़ित बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कैंसर और इसके इलाज से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। अपने चिकित्सक से पूछें कि यदि आपके बच्चे को बुखार हो जाए, तो क्या करना है। बचपन में होने वाले कैंसर में बुखार और संक्रमण के लक्षण के बारे में और पढ़ें।


बुखार के लक्षण क्या हैं?

बुखार के लक्षणों में शामिल हैं:


स्पर्श करने पर त्वचा गर्म महसूस होना

गाल फूलना (लाल या गुलाबी रंग का होना)

ठंड लगना

सिरदर्द और शरीर में दर्द

कम ऊर्जावान या अच्छी तरह महसूस न होना

मैं तापमान कैसे लूं?

तापमान मापने का सबसे अच्छा तरीका, डिजिटल रीडिंग वाले थर्मामीटर का उपयोग करना है। डिजिटल थर्मामीटर त्वरित और उपयोग में आसान होते हैं। कांच के पारा युक्त थर्मामीटर का उपयोग न करें। अगर पारा वाला थर्मामीटर टूटा, तो यह विषाक्त हो सकता है।


डिजिटल थर्मामीटर का उपयोग करने के लिए सामान्य सुझाव

अपने / अपने बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान जानने के लिए बेसलाइन जानें। जब आप अच्छा महसूस कर रहे हों, तो कुछ दिनों तक सुबह और शाम का तापमान मापें। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि आपके लिए क्या सामान्य है।

बीप्स और प्रदर्शित प्रतिकों अर्थ जानने के लिए निर्देश पढ़ें।

सुनिश्चित करें कि स्क्रीन पर पुरानी रीडिंग न हो।

बीप होने तक थर्मामीटर को जगह पर लगाए रखें।

किसी की निगरानी न होने पर, बच्चों को उनका तापमान मापने न दें।

प्रत्येक उपयोग से पहले और बाद में थर्मामीटर को साफ करें। निर्माता द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।

मुँह से तापमान लेना (मुँह का तापमान)


रक्तचाप

रक्तचाप (अंग्रेज़ी:ब्लड प्रैशर) रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं।



निम्न रक्तचाप (हाइपोटेंशन) वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह कफी कम होता हो तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते जिससे ये इंद्रियां सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती और इससे यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है। उच्च रक्तचाप के विपरीत, निम्न रक्तचाप की पहचान मूलतः लक्षण और संकेत से होती है, न कि विशिष्ट दाब संख्या के। किसी-किसी का रक्तचाप ९०/५० होता है लेकिन उसमें निम्न रक्त चाप के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और इसलिए उन्हें निम्न रक्तचाप नहीं होता तथापि ऐसे व्यक्तियों में जिनका रक्तचाप उच्च है और उनका रक्तचाप यदि १००/६० तक गिर जाता है तो उनमें निम्न रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

चक्रीय धमनी

कोरोनरी आर्टेरी यानि वह धमनी जो हृदय के मांस पेशियों को रक्त की आपूर्ति करती है।


आघात

यह एक ऐसी स्थिति है जिससे जीवन को खतरा हो सकता है। निम्न रक्तचाप की स्थिति में गुर्दे, हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क तेजी से खराब होने लगते हैं।

१३०/८० से ऊपर का रक्तचाप, उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहलाता है। इसका अर्थ है कि धमनियों में उच्च चाप (तनाव) है। उच्च रक्तचाप का अर्थ यह नहीं है कि अत्यधिक भावनात्मक तनाव हो। भावनात्मक तनाव व दबाव अस्थायी तौर पर रक्त के दाब को बढ़ा देते हैं। सामान्यतः रक्तचाप १२०/८० से कम होनी चाहिए और १२०/८० तथा १३९/८९ के बीच का रक्त का दबाव पूर्व उच्च रक्तचाप (प्री हाइपरटेंशन) कहलाता है और १४०/९० या उससे अधिक का रक्तचाप उच्च समझा जाता है। उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त हो जाने, आंखे खराब होने और मस्तिष्क खराब होने का जोखिम बढ़ जाता है। है। युवाओं में ब्लड प्रेशर की समस्या का मुख्य कारण उनकी अनियमित जीवन शैली और गलत खान-पान होते हैं।[3] यदि चक्कर आयें, सिर दर्द हो, साँस में तक़लीफ़ हो, नींद न आए, शीथीलता रहे, कम मेहनत करने पर सांस फूले और नाक से खून गिरे इत्यादि तो चिकित्सक से जांच करायें, संभव है ये उच्च रक्तचाप के कारण हो।[3] उच्च रक्ततचाप के कारणों में:


चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, भय आदि मानसिक विकार

कई बार, बार-बार या आवश्यकता से अधिक खाना।

मैदा से बने खाद्य, चीनी, मसाले, तेल-घी अचार, मिठाईयां, मांस, चाय, सिगरेट व शराब आदि का सेवन।

नियमित खाने में रेशे, कच्चे फल और सलाद आदि का अभाव।

श्रमहीन जीवन, व्यायाम का अभाव।

पेट और पेशाब संबंधी पुरानी बीमारी।

उच्च रक्त चाप का निदान महत्वपूर्ण है जिससे रक्त चाप को सामान्य करके जटिलताओं को रोकने का प्रयास संभव हो। फार्मैकोॉजी विभाग, कोलोन विश्वविद्यालय, जर्मनी में हुई एक शोध के अनुसार चॉकलेट खाने और काली व हरी चाय पीने से रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।[4][5] कनाडा के शोधकर्त्ता रॉस डी.फेल्डमैन के अनुसार उच्च रक्तचाप के रोगियों की विशेष देखभाल और जांच की जरूरत होती है, इससे दिल के दौरे की आशंका एक-चथाई कम हो सकती है वहीं मस्तिष्काघात की भी सम्भावना ४० प्रतिशत कम हो सकती है।



यदि किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर आता हो या मितली आती हो या खड़े होने पर बेहोश होकर गिर पड़ता हो तो उसे आर्थोस्टेटिक उच्च रक्तचाप कहते हैं। खड़े होने पर निम्न दाब के कारण होने वाले प्रभाव को सामान्य व्यक्ति शीघ्र ही काबू में कर लेता है। लेकिन जब पर्याप्त रक्तचाप के कारण चक्रीय धमनी में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है तो व्यक्ति को सीने में दर्द हो सकता है या दिल का दौरा पड़ सकता है। जब गुर्दों में अपर्याप्त मात्रा में खून की आपूर्ति होती है तो गुर्दे शरीर से यूरिया और क्रिएटाइन जैसे अपशिष्टों को निकाल नहीं पाते जिससे रक्त में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है।

चिकित्सक के पास जांच हेतु पहुंचने के बाद कम-से-कम पांच मिनट के लिए आराम करने के बाद ही अपना रक्तदाब दिखाएं। लंबा चलने के बाद, सीढ़ियां चढ़ने, दौड़ने-भागने के तुरंत बाद जांच कराने पर रक्तदाब बढ़ा हुआ आता है। यह ध्यान रखना चाहिये कि जांच के समय कुर्सी पर आराम से बैठें हों व पैर जमीन पर रखें हों, तथा बांह और रक्तदाब मापक-यंत्र हृदय जितनी ऊंचाई पर होना चाहिए।


जांच के आधा घंटा पहले से चाय, कॉफी, कोला ड्रिंक और धूम्रपान नहीं पीना चाहिये। इनके सेवन से रक्तदाब अगले १५ से २० मिनट के लिए बढ़ जाता है। रक्तदाब मापक-यंत्र के बांह पर बांधे जानेवाले कफ की चौड़ाई बांह की मोटाई के अनुसार होनी चाहिए। कफ इतना चौड़ा हो कि बांह का लगभग तीन-चौथाई घेरा उसमें आ जाए। बांह मोटी होने पर साधारण कफ से रक्तदाब लेने पर ब्लड प्रेशर की रीडिंग बढ़ी हुई होगी। यदि बांह पतली और कफ बड़ा है तो ठीक उलट होगा, रक्तदाब कम नपेगा। रक्तचाप मापने के लिए हमेशा जांचा-परखा यंत्र ही प्रयोग में लाएं।

नाड़ी

ऐसा बताया गया है कि नाड़ी की गति से भी रोग का पता चलता है। जैसे कि अगर नाडी की गति साँप की गति जैसी है, तो इसका मतलब है कि वात दोष अधिक है। अगर यह मेंढक की चाल जैसी है तो इसका मतलब है पित्त दोष बढ़ा हुआ है। इसी तरह अगर नाड़ी की गति कबूतर की चाल के समान है तो समझिये कि कफ दोष बढ़ा हुआ है।


नाड़ी परीक्षण से जुड़ी कुछ विशेष बातें

यदि नाडी अपनी नियमित गति में लगातार तीस बार धड़कती है, तो इसका अर्थ है कि रोग का इलाज संभव है और रोगी जीवित रहेगा। लेकिन अगर धड़कन के बीच में रूकावट आती है तो इसका मतलब है कि अगर मरीज का जल्दी इलाज नहीं किया गया तो उसकी मृत्यु हो सकती है।

बुखार होने पर रोगी की नाड़ी तेज चलती है और छूने पर हल्की गर्म महसूस होती है।

उत्तेजित या तेज गुस्से में होने पर नाड़ी की गति तेज चलती है।

चिंता या किसी तरह का डर होने पर नाड़ी की गति धीमी हो जाती है।

कमजोर पाचन शक्ति और धातु की कमी वाले मरीजों की नाड़ी छूने पर बहुत कम या धीमी महसूस होती है।

तीव्र पाचन शक्ति वाले मरीजों की नाड़ी छूने में हल्की लेकिन गति में तेज होती है।

नाड़ी की जांच में कुशल वैद्य सिर्फ आपके शारीरिक रोगों का ही पता नहीं लगाते बल्कि इससे वे मानसिक रोगों का भी पता लगा लेते हैं। अगर आप डिप्रेशन, एंग्जायटी या किसी गंभीर चिंता से पीड़ित हैं तो इसका भी अंदाज़ा नाड़ी परीक्षण से लगाया जा सकता है।

लाइलाज या जानलेवा बीमारियों का पता

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नाड़ी परीक्षण में कुशल वैद्य सिर्फ नाड़ी को छूकर ही लाइलाज या जानलेवा बीमारियों का पता लगा लेते हैं। अगर नाड़ी बहुत धीमे धीमे रुक रुक कर चल रही है या अनियमित रूप से चल रही है तो इसका मतलब है कि बीमारी लाइलाज या जानलेवा है।


अगर नाड़ी की गति पहले पित्त, वात और कफ वाली हो और फिर अचानक से तेज हो जाए और फिर धीमी हो जाए तो यह दर्शाता है कि मरीज को कोई लाइलाज बीमारी है।


अगर नाड़ी बहुत सूक्ष्म, तेज गति वाली और ठंडी महसूस हो तो यह दर्शाता है कि मरीज की मृत्यु जल्दी होने वाली है।


स्वस्थ होने की पहचान

अगर रोगी की नाड़ी हंस की गति जैसे हो और वह खुश दिखे तो यह दर्शाता है कि मरीज स्वस्थ होगा।इस प्रकार आयुर्वेद में नाडी की गति का बहुत ही विस्तृत अध्ययन किया गया है। हालांकि सभी आयुर्वेदिक वैद्य नाड़ी परीक्षण में पारंगत नहीं होते हैं। इसलिए जो वैद्य नाड़ी परीक्षण में पारंगत और अनुभवी हों उन्ही से अपनी जांच कराएँ।


 श्वास दर 

श्वसन दर है एक मिनट के लिए एक व्यक्ति की सांसों की संख्या। वयस्कों में यह आमतौर पर प्रति मिनट 12 और 16 सांसों के बीच होता है.


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श्वसन दर क्या है और क्या है?


 



 

श्वसन दर है एक मिनट के लिए एक व्यक्ति की सांसों की संख्या। वयस्कों में यह आमतौर पर प्रति मिनट 12 और 16 सांसों के बीच होता है.


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श्वसन दर को वेंटिलेशन आवृत्ति या श्वास आवृत्ति के रूप में भी जाना जाता है। यह तब मापा जाता है जब किसी व्यक्ति को आराम और बैठाया जाता है। आमतौर पर श्वसन दर फुफ्फुसीय शिथिलता का एक संकेतक है; जो रोगी अधिक बार आराम करते हैं, उन्हें अक्सर अधिक पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं.



अधिकांश वयस्क प्रति मिनट 12 से अधिक सांस लेते हैं। वर्तमान में, लोग आमतौर पर प्रति मिनट 15 से 20 साँस लेते हैं, जो कि उम्मीद से बहुत अधिक है.


यदि कोई व्यक्ति बीमार है, तो उनके मूल्य अधिक होने की उम्मीद है। आम तौर पर बीमार लोग प्रति मिनट 20 से अधिक साँस लेते हैं.

एक व्यक्ति अपनी सांसों को गिनकर अपनी श्वसन दर नहीं गिन सकता। संख्या वास्तविक नहीं होगी, क्योंकि ज्यादातर लोग धीमी और गहरी सांस लेंगे। एक अन्य व्यक्ति नाक के नीचे संवेदनशील माइक्रोफोन का उपयोग करके उनकी सूचना के बिना या उनकी रिकॉर्डिंग के बिना यह कर सकता है।









Epam Siwan 


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