Q 1. आपके अनुसार माध्यमिक स्तर के एक आदर्श पाठ्यचर्या में क्या - क्या विशेषताएं या गुण होने चाहिए और क्यों ?
उत्तर:-
माध्यमिक स्तर का एक आदर्श पाठ्यचर्या में निम्नलिखित विशेषताएं या गुण होने चाहिए -
- माध्यमिक स्तर पर आदर्श पाठ्यचर्या के लिए मेरे सुझाव इस प्रकार है -
- माध्यमिक स्तर पर पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की योग्यता एवं अभिरुचि के आधार पर निर्मित किया जाना चाहिए।
- इस स्तर पर पाठ्यक्रम में पर्याप्त विविधता होनी चाहिए।
- इस अवसर पर व्यवसायिक शिक्षा का स्वरूप संकुचित एवं मात्रा औपचारिक ही नहीं होनी चाहिए अपितु उस में व्यवसायिक प्रतिबद्धता की झलक होनी चाहिए।
- इस स्तर पर पाठ्यक्रम में कुछ सामान्य और विषय सभी के लिए अनिवार्य होने चाहिए तथा कुछ विषय वैकल्पिक होने चाहिए
पाठ्यचर्या की सामान्य विशेषताएं
1. पाठ्यर्या, सन्तुलित व्यक्तित्व मूल्यांकन में सहायक होती है -
जीवन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं, आवश्यकताओं आदि को पाठ्यचर्या मे सम्मिलित किया जाता है। व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के मूल्यांकन मे पाठ्यचर्या सहायक होती है साथ ही विकास मे गतिशीलता भी प्रदान करती है।
2. पाठ्यचर्या गतिशील होती है -
पाठ्यचर्या का राष्ट्र की विविध समस्याओं, आवश्यकताओं एवं विकास के लिए गतिशील होना बहुत ही जरूरी है। पाठ्यचर्या मे यह परिवर्तनशील या गतिशीलता नागरिकों की जीवन शैली के साथ-साथ होती रहती है।
3. पाठ्यचर्या आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है -
ढाँचा और व्यवस्था पाठ्यचर्या में दो अनिवार्य तत्व है। ढाँचा एवं व्यवस्था का स्वरूप एवं विषय वस्तु अधिगम अनुभवों का समायोजन है। पाठ्यचर्या परिस्थियों, वातावरण एवं आवश्यकताओं के अनुसार ही गतिशील है जो समय के साथ परिवर्तित होता रहता है। जैसे पूर्व पाठ्यचर्या में हैजा, मलेरिया आदि सम्मिलित था परन्तु अब यह बीमारियाँ भारत में लगभग समाप्त हो गई है वस्तुतः इन्हें पाठ्यचर्या से हटाकर अन्य बीमारियों जैसे– ह्रदयगति, कैंसर, एड्स इत्यादि को पाठ्यचर्या में सम्मिलित किया गया है।
4. पाठ्यचर्या, लक्ष्य प्राप्ति का साधन करती है -
इच्छित उद्देश्य प्राप्त करने मे पाठ्यचर्या साधन के रूप मे कार्य करती है। इसका अन्त नही होता है। शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण दर्शनशास्त्र करता है जबकि पाठ्यचर्या उन उद्देश्यों को प्राप्त करती है।
5. समाज की आवश्यकताओं की पूरक पाठ्यचर्या
समाज में तकनीकी शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा की आवश्यकता है तो विद्यालय में समाज की आवश्यकता के अनुरूप ही विद्यालयों में पाठ्यचर्या निर्धारित की जाती है। इस प्रकार समाज एवं पाठ्यचर्या एक दूसरे के पूरक है। विद्यालय में वही पाठ्यचर्या निश्चित की जाती है– जिसकी समाज, समुदाय और राष्ट्र में आवश्यकता हों।
6. पाठ्यचर्या, निर्देशन का महत्वपूर्ण अंग है -
पाठ्यचर्या की एक विशेषता यह है कि यह निर्देशन का महत्वपूर्ण अंग है। पाठ्यचर्या समस्याओं के निदान के लिए ही नही बल्कि आवश्यकताओं एवं परिस्थतियों के अनुसार सही मार्ग प्रदर्शित करता है। पाठ्यचर्या बालकों के उज्जवल भविष्य तथा जीवन के सही मार्ग दर्शन हेतु व्यावसायिक विषय आदि चयन के लिए परामर्श तथा निर्देशन प्रदान करता है।
7. पाठ्यचर्या, विद्यालय का संपूर्ण कार्यक्रम है -
पाठ्यचर्या में विद्यालय के समस्त कार्यक्रमों का समावेश होता है।
. पाठ्यचर्या की अन्य विशेषताएं
1. पाठ्यचर्या राष्ट्रीय शिक्षा नीति का व्यापक स्वरूप होती है।
2. पाठ्यचर्या अध्ययन के प्रत्येक, पक्ष को प्रस्तुत करती है।
3. पाठ्यचर्या एक व्यापक सम्प्रत्यय है जिसमें शैक्षिक उद्देश्य, पाठ्यवस्तु, शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन सम्मिलित है।
4. पाठ्यचर्या देश की आत्मा का प्रतिनिधित्व करती है।
5. पाठ्यचर्या के माध्यम से बालक की शैक्षिक क्रियाओं को विकसित किया जाता है।
6. पाठ्यचर्या में उन क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जिससे बालक की शारीरिक, मानसिक, भाषात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं नैतिक पक्षों का विकास हो।
7. यह अनुसंधान द्वारा संशोधित किया हुआ एवं परीक्षण किया हुआ होता है।
8. यह छात्रों को अपने कौशलों, रूचि, अभिरूचि एवं अभिमूल्य को विकसित करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है।
पाठ्यचर्या के गुण :
- ज्ञान प्राप्त करने के लिए मानवीय दृष्टि को सर्वोपरि माना जाता है।
- तकनीकी विकास के लिए तैयार करना
- इसी के द्वारा बालकों को भावी जीवन के लिए तैयार किया जा सकता है।
- इसके द्वारा ही आत्मानुभूति का विकास किया जाता सकता है।
- छात्रों को व्यवस्थाओं के लिए प्रशिक्षण देकर तैयार करना।
- प्रजातंत्र में सामाजिक क्षमताओं का विकास करना तथा ऐसे नागरिकों को तैयार करना जो प्रजातंत्र ओके नेतृत्व कर सके।
- इसके द्वारा मानसिक पक्षों का प्रशिक्षण तथा विकास के लिए एक विभिन्न विषयों के शिक्षण के मानसिक पक्षों का प्रशिक्षण किया जाता है।
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Q 2. माध्यमिक स्तर के विद्यालयी पाठ्यचर्या का प्राथमिक स्तर के पाठ्यचर्या से जुड़ाव है।कैसे?
7. ज्ञान अनुशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्य क्या है आप इसके किस परिप्रेक्ष्य को महत्वपूर्ण मानते हैं? और क्यों?
8. अपने विषय पर अमृता से आप क्या समझते हैं? विषयों के संप्रेषण के महत्व के कौन कौन से कारक हैं लिखें।
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