C - 1
Childhood and Growing up
Unit - 1
शिक्षार्थी : बचपन और विकास Learner : Childhood and Development
- बचपन की अवधारणा : ऐतिहासिक एवं समकालीन परिप्रेक्ष्य , प्रमुख , Concept of Childhood : Historical and contemporary विमर्श perspectives ; major discourse
- बचपन के दौरान प्रमुख कारक : परिवार , पड़ोस , समुदाय और विद्यालय • Key Factors during childhood Family , Neighbourhood , Community and School
- बच्चे , बचपन और उनका विकास : समकालीन वास्तविकता , बिहार • Children , Childhood and their development : के विशेष संदर्भ में । The Contemporary realities with special focus on Bihar
बच्चे तथा बचपन की संकल्पना काल व स्थान के अनुसार सदैव बदलती रही है । अतः ऐतिहासिक विकास की मोटी - मोटी समझ से इस इकाई की शुरुआत करना उपयुक्त होगा । ऐतिहासिक विकास के अंतर्गत बच्चों और बचपन को लेकर अलग - अलग काल व समाज में बनी धारणाओं की चर्चा की जाएगी । बचपन को प्रभावित करनेवाले कारकों की चर्चा के साथ - साथ उनके द्वारा बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है , इसकी संक्षिप्त चर्चा यहाँ होगी । विकास के मामले में भी बच्चे का बचपन बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए बचपन की संकल्पना के साथ - साथ बच्चों के विकासात्मक पक्ष की चर्चा भी करनी होगी , लेकिन यहाँ पर विकास के आयामों को बचपन पर ही केन्द्रित रखा जाएगा , उससे आगे कीचर्चा आगे की इकाईयों में की जाएगी ।
Unit - 2
मानव विकास की समझ Understanding Human Development
- मानव विकास में प्रमुख अवधारणाएँ : वृद्धि , परिपक्वता एवं विकास की अवधारणा ; वृद्धि रेखा तथा मानव विकास के सदर्भ में इसकी उपयोगिता ; विकास के बुनियादी सिद्धांत.Major Concept in Human - Development : Growth , Maturation and Development ; Growth Curve and its implications for the Human Development ; Basic Principles
- प्रमुख मुद्दे : प्रकृति बनाम पालन - पोषण , निरन्तरता बना असातत्य सार्वमौमिक बनाम संदर्भगत : - Debates : NaturevisNurture , Continuity v / s Discontinuity , of Development . Universal v / s Contextual .
- शिक्षार्थी का विकासः शारीरिक , संज्ञानात्मक , भाषायी , भावात्मक .समाजिक व नैतिक ; इनके बीच का अंतर्सम्बंध और शैक्षिक निहितार्थ ( पियाजे , इरिक्सन , कोलबर्ग और गिलिगन के सिद्धान्तों के विशेष संदर्भ में ) • Development of Learner : physical , cognitive , language emotional , social and moral ; their interrelationships and implications for teachers ( special reference to theories given by Piaget , Erikson , Kohlberg and Giligan )
मानव के विकास के संदर्भ में कई अवधारणाएं निरन्तर आती रही है जिसमें बचपन से लेकर बुढ़ापे तक के जीवन विकास को समझा जाता रहा है । इस इकाई का जोर मानव विकास के कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाओं को समझाने पर है जिससे बच्चों व किशोरों के विकास को लेकर शिक्षकों की विस्तृत मसझ बन सके । यहाँ मानव विकास से सम्बंधित कुछ विवादित मुद्दों की भी चर्चा की गयी है जिसके प्रति सुविज्ञ दृष्टिकोण विकसित किया जाएगा । इकाई के तीसरे बिन्दु के अंतर्गत , कुछ प्रमुख सिद्धांतों की विशेष चर्चा करते हुए शिक्षार्थी के विकास के शारीरिक , भाषायी , भावात्मक , सामाजिक व नैतिक विकास को समझाने की कोशिश की गयी है ।
Unit - 3
किशोरावस्था में शिक्षार्थी Learner in Adolescence
- किशोरावस्था की अवधारणाः रुढ़िगत मान्यताएँ , सही समक्ष की • Concept of Adolescence : stereotypes , need of right understanding , major issues and factors जरुरत , प्रमुख मुद्दे और कारक
- किशोरावस्था को विशेष ध्यान में रखते हुए विकास की अवस्थाओं • Understanding stages of development and their एवं उनकी विशेषताओं की समझ । characteristics with special emphasis on adolescence
- किशोरावस्था में शिक्षार्थियों की गतिविधियाँ , आकांक्षाएँ , द्वंद एवं • Activities , aspirations , conflicts and challenges of an adolescent learner and ways to deal with them . चुनौतियाँ , और उनसे बर्ताव करने के तरीके
Unit - 4
Socialization and the Context of Leamer समाजीकरण और शिक्षार्थी का संदर्भ
- समाजीकरण की अवधारणा : प्रमुख विमर्श इसके माध्यम के . Concept of Socialization : Major perspectives , रूप में शिक्षा तथा प्रमुख कारक समाजीकरण का पारिस्थितिक education as a medium and key factors , Ecological
- समाजीकरण की संस्थाएँ एवं उनकी भूमिका : परिवार • Institutions of Socialization and their role : The contexts | सिद्धांत ( ब्रोनफेनबेनर ) । System theory given by Bronfenbrenner of family , community , school , poets , teacher , media समुदाय , विद्यालय , मित्रमंडली , शिक्षक , मिडिया , बाजार , अन्य market , other formal and informal organization , social औपचारिक एवं अनौपचारिक संस्थाएँ : समाजिक संस्थाएँ जैसे institution such as culture , class , caste etc. संस्कृति , वर्ग , जाति , जेण्डर आदि ।
- समाजीकरण की प्रक्रिया और सामामजिक वास्तविकताएँ : • Process of Socialization and social realities ( with pa focus on Bihar ) : Inequalities , conflict , marginalization असमानता , द्वंद , हाशियाकरण और इनका बच्चों व किशोरों पर and their impact on learner . पड़ता प्रभाव ।
चाहे बचपन हो या किशोरावस्था या आगे का विकास , इन सब के दौरान समाजीकरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है लेकिन इस प्रक्रिया की प्रकृति में कई परिवर्तन होते रहते हैं । अतः इस इकाई में समाजीकरण की प्रक्रिया के जटिल संरचना एवं उसके कारकों की विस्तृत चर्चा करनी है । समाजीकरण के प्रमुख परिप्रेक्ष्य में मूलतः प्रकार्यात्मक ( Functionalist ) और आलोचनात्मक ( Critical ) परिप्रेक्ष्यों को समझा जाएगा । समाजीकरण को लेकर एक सैद्धांतिक समझ भी बने , इसके लिए ब्रोनफेनबेनर के मॉडल की चर्चा की गयी है जो बच्चे के परिवेश के कारकों , उनकी स्थिति एवं प्रभाव की उपयोगी समझ प्रस्तुत करता है । यह इकाई समाजीकरण से जुड़े अन्य अवधारणाओं की भी समझ देगा । अतः अन्य अवधारणाओं की बात तो यहाँ होगी लेकिन केवल समाजीकरण से जोड़कर और उसमें शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करते हुए । समाजीकरण की संस्थाएँ मूर्त भी है और अमूर्त भी । अतः दोनों की समेकित समझ इसमें प्रस्तुत की जाएगी । किसी व्यक्ति की सामाजिक अस्मिता को समाजीकरण की संस्थाएँ किस प्रकार निर्मित करती है , उसकी संक्षिप्त समझ भी यहाँ प्राप्त की जाएगी ।
Unit - 5
शिक्षार्थीयों में विविधता की समझ Understanding diversity in learners
- मानवीय विविधता की प्रकृति एवं अवधारणाः भिन्नता , विजातीय • Nature and concept of Human Diversity : Varinion , तथा विलक्षणता को सम्मान देना ; सामाजिक एवं सांस्कृतिक Heterogeneity and Celebrating Uniqueness ; Sociul विविधता and Cultural Diversity ;
- मनोवैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर भिन्नताओं के आयामः | • Dimensions of differences : Intelligence , abilities , बौद्धिकता , क्षमता , अभिरूचि , अभिवृत्ति , सृजनात्मकता , व्यक्तित्व । interest , aptitude , creativity , personality
- विविध संदर्भो के शिक्षार्थियों की समझः सामाजिक , सांस्कृतिक , | • Understanding children and adolescents from समुदाय , धर्म , जाति , वर्ग , जेण्डर , भाषा और भौगोलिक स्थिति , diverse contexts : Social , cultural , community , मीडिया , बाजार , तकनीक व वैश्वीकरण । religion , caste , class , gender , linguistic and geographiclocation
- विद्यालय में विविधता की समझ Understanding Diversity in School
विद्यालय में कई तरह के बच्चे आते है लेकिन विद्यालय सबको एक जैसा ही मानता रहा है । यह दृष्टिकोण एक प्रकार से इस बात की अनदेखी करता है कि बच्चे अलग - अलग पृष्टभूमि से आते हैं और सभी बच्चों का सीखने का अपना अलग तरीका हो सकता है । तभी , किसी भी विद्यालय के कोई भी विद्यार्थी एक दूसरे के समान नहीं होते हैं , सबमें भिन्न - भिन्न अभिरूचियाँ , क्षमताएँ एवं सोंच होती है । अतः शिक्षक को शिक्षार्थियों की विभिन्नता को पहचानने और उसके अनुरुप काम करने की समझ जरूर होनी चाहिए । इस इकाई में शिक्षार्थियों की कुछ बुनियादी विभिन्नताओं की चर्चा की है । यह इकाई उनको स्पष्ट करने का प्रयास करेंगी । साथ ही , शिक्षार्थियों की विभिन्नताओं को केवल समझना ही जरूरी नहीं है बल्कि उनके प्रति विद्यालय , समाज और शिक्षक क्या नजरिया अपनाता है , इसका विश्लेषण करना तथा आवश्यकतानुरूप उस में सुधार लाने के प्रति संवेदनशीलता महत्वपूर्ण जसपर यह इकाई केन्द्रित हैं।
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