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अधिगम प्रक्रिया | अधिगम प्रक्रिया की विशेषताएं | अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक | अधिगम और प्रेरणा | बच्चे के अधिगम की विभिन्न विधियां
Q. अधिगम प्रकिया क्या है एवं इसकी विशेषताए कौन कौन सी हैं ?
उत्तर -
अधिगम एक ऐसी प्रकिया है जिसके द्वारा व्यक्ति जीवन की आवश्यक मांगों को पूरा करने हेतु विभिन्न प्रकार की आदतें , ज्ञान और प्रवृत्ति प्राप्त करता है । इसके द्वारा व्यवहार व व्यक्तित्व का पूर्णतया स्थायी रूपान्तरण हो जाता है । इसकी विशेषताए निम्न हैं अधिगम समय के साथ व्यवहार , सोच , प्रवृत्ति आदि में बदलाव की सतत रूप से होने वाली प्रकिया है ।
अधिगम प्रत्यक्ष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक सुविचारित प्रकिया है । अधिगम एक स्थानांतरणीय प्रकिया है । अधिगम एक सकिय प्रकिया है । अधिगम व्यक्तिवादी है जिसका प्रत्येक के लिए विभिन्न रूप है । अधिगम एक व्यक्ति की वातावरण के साथ परस्पर किया का परिणाम है ।
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौंन कौंन से हैं ?
अधिगम और परिपक्वता - परिपक्वता वृद्धि या विकास की प्रक्रिया से संबंधित होती है जैसे - चलने के लिए मांसपेशियों का परिपक्व होना तथा कुछ सीखने के मानसिक रूप से बुद्धि का परिपक्व होना आवश्यक है । सीखने की तत्परता- बच्चे की मानसिक तत्परता अधिगम के लिए अति आवश्यक है फिर चाहे वह शारिरिक अधिगम हो या मानसिक अधिगम ।
बच्चा तभी सीखता है जब वह उसके लिए स्वयं तैयार हो । इसके लिए आपको बच्चों के भावनात्मक व बौद्धिक विकास का ज्ञान से परिचित होना चाहिए । अधिगम वातावरण- विद्यालय में प्रभावशाली शिक्षा के लिए विद्यालय का वातावरण अधिगम के अनुकूल होना आवश्यक है ।
अधिगम और प्रेरणा -
प्रेरणा वह आन्तरिक बल है जो व्यक्ति को कार्य पूर्ण होने तक उसके समस्त क्रियाकलापों को नियंत्रण व दिशा देती है ।
प्रेरणा दो प्रकार की होती है-
आंतरिक प्रेरणा -
आंतरिक प्रेरणा रूचि व आनंद से स्वतः उत्पन्न होती है ना कि किसी बाहरी लालच या बल के कारण । यह लम्बे समय तक व्यक्ति को प्रोत्साहित कर सकती है ।
बाह्य प्रेरणा -
किसी बाह्य उपलब्धि को हासिल करने या किसी लालच या दबाव के कारण जो प्रेरणा उत्पन्न होती है उसे बाह्य प्रेरणा कहते हैं । जैसे- इनाम या डांट इत्यादि कारणों से किसी काम को करने की प्रेरणा । यह कुछ समय ही व्यक्ति को प्रोत्साहित कर सकती है ।
2. बच्चे के अधिगम की विभिन्न विधियां क्या हैं या एक बच्चा कैसे सीखता है ?
उत्तर -
हमें यह समझना चाहिए कि विद्यालय एकमात्र ऐसी जगह नहीं जहां बच्चा सीखता है । वह अपने आसपास के वातावरण , परिवार के लोगों इत्यादि के द्वारा एवं स्वयं के अनुभव से भी बहुत कुछ सीख जाता है ।
कुछ महत्वपूर्ण स्वतः अधिगम की प्रकियांए निम्न हैं- -
अनुकरण - अधिकांशतया व्यक्ति किसी कार्य को अनुकरण से , व्यवहार के अवलोकन से या अन्य प्रकार की कियाओं से सीखते हैं । ये भी कुछ मुख्य प्रकियाएं हैं जिनसे बच्चे नए अनुभवों व व्यवहारिकता को सीखते हैं । यह ध्यान देने की बात है कि सभी अनुकरण अधिगम नहीं होते जब तक कि अनुकरणीय व्यक्ति बच्चे के दिमाग पर अपनी पक्की छाप नहीं छोडता ।
अनुकरण के प्रभाव सतही तौर पर अनुकरण एक आदर्श के व्यवहार की पूर्ण रूप से नकल है । सम्मिलित प्रतिक्रियाओं की गंभीरता से परीक्षण करने पर यह सुझाव दिया जाता है कि अनुकरणी व्यवहार की तीन श्रेणियां हैं -
1. आदर्शीय प्रभाव
2. दमनात्मक / अदमनात्मक प्रभाव
3. प्रकटीकरण का प्रभाव
अवलोकन:-
अवलोकन से अधिगम मानव अधिगम की सामान्य और प्राकृतिक विधी है । यह इस प्रकार का अधिगम है जो दूसरों के देखने , अपनाने व परखने से ग्रहण किया जाता है । लेकिन यह अनुकरण से अलग है इसमें आदर्श के व्यवहार का पूर्ण रूप से पुनः निर्माण करना नहीं है लेकिन अवलोकन किए गए आधार पर नए व्यवहार का विकास करना है ।
निम्न चार विशेष प्रकार की प्रक्रियाएं अवलोकन व्यवहार से जुडी हैं |
1. ध्यान पकया
2. स्मृति की प्रकिया |
3 . पुनः निर्माण की गतिक प्रकिया
4. प्रेरक प्रक्रिया
प्रयत्न एवं त्रुटि:-
जब कोई व्यक्ति किसी मुश्किल समस्या का सामना करता है जिसमें उसके पास कोई त्वरित समाधान नहीं है , तब वह अनेक प्रकार के समाधानों में व्यस्त हो जाता है जब तक कि कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिल जाता । दूसरे शब्दों में इसे प्रयत्न एवं त्रुटि द्वारा समस्या का समाधान करना है ।
थार्न डाइक के अनुसार इस प्रकिया के तीन नियम हैं -
1. अभ्यास का नियम
2. प्रभाव का नियम
3. तत्परता का नियम
सहभागिता से अधिगम:-
सहभागिता से अधिगम करके सीखना , अर्थपूर्ण अधिगम के लिए प्रभावशाली विधी है । स्वयं काम करने से वास्तविक जीवन की संभावनाओं को सुलझाने के असली अनुभव प्राप्त होते हैं ।
यह विधी स्व अधिगम और स्व आंकलन को बल प्रदान करती है जो कि अधिगम प्रकिया का अंतिम लक्ष्य होता है । समुहों के रूप में सक्रिय कियाकलाप से बच्चे अच्छे परिणाम देते हैं ।
अधिगम को बढ़ाने में सहभागिता से निम्न लाभ है
संदर्भात्मक स्थिति में सकिय और अर्थपूर्ण अधिगम एक दूसरे के बीच अनुभवों को बांटना किसी कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण करने के लिए सम्मिलित संसाधनों को आकर्षित करना खोज करना , तर्क वितर्क करना और समस्या को हल करने के खोजपूर्ण तथा वैकल्पिक समाधान निकालना समाजिक गुणों का विकास करना जैसे- सहायता करना , बांटना महसूस करना और जिम्मेदारियों को ग्रहण करना । व्यक्तिगत गुणों का विकास जैसे- आत्मविश्वास , आत्मशक्ति , प्रश्न पूछने का साहस , समूह में सहभागिता करना आदि कार्य अधिगम पर सकारात्मक प्रभाव डालते है ।
- खोज / पूछताछ के द्वारा अधिगम -
खोज अधिगम एक पूछताछ आधारित अधिगम है । जेरोम ब्रुनर को खोज अधिगम का जम्मदाता माना जाता है । उनका ये मानना था कि अपने लिए खोज मे अभ्यास ही सुचनांए इस ढंग से प्राप्त करना सिखाता है जिससे सही रूप से समस्या समाधान में एकदम मदद मिलती है । यह उस परिस्थिति में होता है जहां छात्र अपने ही पूर्व अनुभवों व ज्ञान को आधार बनाता है इस विधी में विद्यार्थी सक्रिय रूप से नियम , सिद्धांत सोचते हैं और सूझ बूझ का प्रयोग करते हुए , अपनी सोच का विकास करते हुए एवं उपलब्ध आंकडों में आपसी संबंध ढूंढते हुए संगठन का आयोजन करते हैं ।
यह विधी निम्न सिद्धांतों पर आधारित है -
- सकियता का सिद्धांत
- तर्कपूर्ण चिंतन का सिद्धांत
- ज्ञात से अज्ञात की ओर जाने का सिद्धांत
- उद्वेश्यपूर्ण अनुभवों का सिद्धांत
- विकल्पों की खोज का सिद्धांत
अधिगम सार्थकता के रूप मे
जब अधिगम अर्थ का निर्माण करने लगता है बच्चे अर्थ के निर्माता बन जाते हैं । इस संदर्भ में अध्यापन प्रकिया विद्यार्थी केन्द्रित होती है और पूर्ण रूप से विद्यार्थी पर ही निर्भर करती है ।
एक शिक्षक के रूप में अधिगम को बढावा प्रदान करने के लिए आपकी भूमिका निम्न है-
कक्षा में किसी अधिगम कियाकलाप की शुरूआत करने से पहले आपको प्रत्येक बच्चे के कियाकलाप से संबंधित पूर्व ज्ञान की जानकारी होनी चाहिए । साथ ही उनकी रूचि व प्रवृत्ति की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
आपको विद्यालय और कक्षा मे सौहार्दपूर्ण वातावरण का सृजन करने की आवश्यकता है । आपको प्रत्येक बच्चे के अवबोधन बिन्दुओं को श्यामपट पर लिखना चाहिए ताकि सभी बच्चे सभी अवबोधनों को देख सकें ।
Epam Siwan
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