C - 2 Contemporary India and Education
Unit - 1
भारत में शिक्षा अतीत से वर्तमान तक Education in India : From past to present
- हड़प्पा , वैदिक , बौद्ध , जैन एवं संगम काल के शिक्षा व्यवस्था . Reflecting on Education during Harrappan , Vedic Buddhist , Jain and Sangam period ; ancient education institutions पर चिंतन - मनन , प्राचीन शिक्षा केन्द्र
- मध्यकाल में शिक्षा ( भकतब , मदरसा व संस्कृत शिक्षा ) एवं . Education during medieval period ( Mactab , Madura and Sanskrit Education ) , and Indigenous System of अठाहरवीं शताब्दी के दौरान की देशज शिक्षा व्यवस्था Education during eighteenth Century
- ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान उभर कर आयी शिक्षा व्यवस्था मिशनरी स्कूल , ब्रिटिश राज के अंतर्गत गठित - Mission system emesed during british imperiali Administration , Different Education aystemaal movements founded by Indians ( i.e. Young Bengali संस्थाएं एवं आंदोलन ( जैसे कि यंग बंगाल आंदोलन , देवबंद , आर्यसमाज , अलीगढ़ सत्यशोधक समाज , जामिया स्कूल , Movement , Deoband , Ary samaj . Aligarh , Surya Shadhoak Samaj , Jamia School , Basic Education बुनियादी शिक्षा ) • Post - Independence Development of Education System
- स्वतंतत्रता पश्चात् भारत में शिक्षा का विकास ( बिहार में in India ( including historical development of Education शिक्षा के ऐतिहासिक किवकास को ध्यान में रखते हुए ) in Bihar
आज भारत में जिस प्रकार की शैक्षिक व्यवस्था है यह केवल वर्तमान की देन नहीं है बल्कि उसका अपना अतीत भी है जिसको जानने के एक प्रशिक्षु के समक्ष के दायरे का विस्तार होगा । अपने अतीत की शिक्षा को समझना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उससे शिक्षा के समृद्ध कोशिश की गई है कि प्रशिक्षुओं को भारत के शैक्षिक इतिहास के व्यापक स्वरूप से विश्लेषणात्मक परिचय कराया जाए । इस दिशा में सिक औपनिवेशिक ही नहीं बल्कि उससे पहले के कालों के सदर्भ में भी शिक्षा को समझने का प्रयास है । शिक्षा के इतिहास को यहाँ हड़प्पा सभ्यता से शुरु किया जा रहा है जो कि स्वयं में शिक्षा के प्रचलित इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ने जैसा है । हालांकि इसके अतिप्राचीन होने के कारण उपलब्ध साक्ष्यों एवं अनुमानों के आधार पर ही संक्षिप्त विश्लेषण किया जाएगा लेकिन वह विश्लेषण हमारे शिक्षायी चितन के प्रस्थान को समझने के लिए अहम है । प्राचीन शैक्षिक व्यवस्था को समझाने के लिए वैदिक बौद्ध और जैन काल की शिक्षा पर भी चर्चा की , | लिए महत्वपूर्ण है । हमारे इतिहास में कई शैक्षिक संस्थाओं एवं व्यवस्थाओं की भी उत्पत्ति हुई है उनका भी संक्षिप्त परिचय इस इकाई से प्राप्त होगा । इस इकाई में देशज शैक्षिक व्यवस्थ पर विशेष बात की जाएगी । साथ ही , औपनिवेशिक काल के उन तमाम शैक्षिक प्रयासों की चर्चा विस्तार से की जाएगी जिसका असर आज की शिक्षा व्यवस्था में ही व्याप्त है । इस इकाई में स्वतंत्रता पश्चात् के शैक्षिक विकास की चर्चा विस्तार से की जाएगी । जिसमें बिहार के शैक्षिक विकास का विशेष उल्लेख किया जाएगा । बाकि अन्य बिन्दुओं पर संक्षप में चर्चा होगी ।
Unit - 2 शिक्षा की अवधारणा The concept of Education -
- शिक्षा : महत्व एवं प्रकृति , शिक्षित व्यक्ति कौन है इसका • Education : Need and nature ; analytical विश्लेषणात्मक समझ
- भारतीय चिंतकों के शिक्षासम्बंधी विचारों का विश्लेषणात्मक • DAnalysing the thoughts of various Indim thinkers understanding of the nation of an educated person . समझ : सैयद अहमद खां , ज्योतिबा फूले . स्वामी विवेकानन्द , श्री Sir Syed Ahmad Khan , Jyotiba Phule , Swami अरविन्दों , पंडित मदन मोहन मालवीय , डॉ . जाकिर हुसैन , मौलाना Vivekanand , Sri Aurobido , Pandit Madan Mohan अबुल कलाम आजाद , डॉ . एस . राधाकृष्णन , डॉ . बी . आर Malviya , Dr. Zakir Hussain , Maulana Abul Kalam अम्बेडकर , जे . कृष्णमूर्ति Aznd , Dr. S. Radhakrishnana , Dr. B.R. Ambedkar
- पश्चात चिंतकों के शैक्षिक विचारों का विश्लेषणात्मक समझः | • Analyzing the thoughts of various westerm thinkers : प्लेटो , रुसो , जॉन डीवी , पॉलो फ्रेरे
- गाँधी के हिन्द स्वराज और टैगोर के शिक्षा के माध्यम से शिक्षा की समझ- Understanding of Education through Hind Swani |
शिक्षा की प्रकृति क्या हो , यह क्यों महत्वपूर्ण है तथा शिक्षित व्यक्ति कौन हैं इन तीनों सवालों का जवाब काल और संदर्भ के अनुसार सदैव अचलाता by Gandhi and ' Shilcsba ' by Rabindranath Tagore प्रकृति जिसमें औपचारिक अनौपचारिक - निरौपचारिक , पारम्परिक नवधारी आदि के महत्व तथा शिक्षित होने के मायने घर विमर्श किया जाएगा ।
आगे उसी विमर्श को बढ़ाने के लिए तमाम भारतीय चिंतकों के विचारों का विश्लेषण भी इसमें किया जाएगा । इसके अंतर्गत सर सैयद अहमद खां , ज्योतिबा फूले , पंडित मदन मोहन मालवीय , डॉ . जाकिर हुसैन , जे . कृष्णमूर्ति ऐसे विचारक हुए जिन्होंने अपने द्वारा स्थापित संस्थानों के माध्यम से | शिक्षा को एक अलग नजरिए से देखने की कोशिश की । उन संस्थानों में उन्होंने शिक्षा क्या , क्यों और कैसे पर सम्पूर्ण विमर्श किया । साथ ही , मौलाना अबुल कलाम आजाद जो स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे तथा नये भारत के शिक्षा की कल्पना में भूमिका निभायो , डॉ . एस . राधाकृष्णान जो आजहादी के बाद शिक्षा पर बने पहले आयोग के अध्यक्ष थे तथा भारतीय दर्शन के शाता थे इस नाते उन्होंने शिक्षा को एक अलग नजरिए से देखने की कोशिश की । डॉ . बी.आर. अम्बेडकर के शैक्षिक चिंतन का प्रभाव संविधान के प्रावधानों पर भी पड़ा है , इसलिए उससे रूबरू होना अपने आप में महत्वपूर्ण है । यदि स्वामी विवेकानन्द और श्री अरबिन्दो की बात करें तो इन्होंने शिक्षा के भारतीय दर्शन को प्रस्तुत किया और इन्होंने भी अपने दर्शन पर आधारित शैक्षिक संस्थानों का निर्माण किया । यहाँ स्पष्ट करना है कि इस इकाई में इन सब चिंतकों के शिक्षा संबंधी चयनित विचारों को | केवल प्रधान माना गया है कि न कि उनकी जीवनियों को । शिक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य पाश्चात्य चिंतकों के माध्यम से भी दिया गया , अतः उनके विचारों को भी संक्षेप में यहाँ शामिल किया गया है । इकाई के अंत में गांधी द्वारा रचित ' हिन्द स्वराज और टैगोर की कृति शिक्षा के मौलिक अध्ययन के माध्यम से शिक्षा की प्रकृति को समझा जाना है । इन दोनो विचारकों की रचना को इसलिए अलग से लिया गया है क्योंक्षि इन्होंने भारत में शैक्षिक चिंतन को बहुत ही गहराई से प्रभावित किया है ।
Unit - 3
शिक्षा का संवैधानिक एवं सामाजिक संदर्भ Constitutional and Social Context of Education
- संवैधानिक संदर्भ : भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय के Constitutional Contect : Education as a means of social साधन के रूप में शिक्षा संवैधानिक मूल्यों एवं शिक्षा ( प्रस्तावना . justice in the Indian Constitution ; Constitutional values मौलक अधिकारों एवं कर्तव्यों ) , निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा and education ( Preamble , Fundamental rights and 2010 ( आर 0 टी 0 ई 0 ) का अधिकार एवं समावेशन , समवर्ती duties ) ; The Right to Free and Compulsory Education 2010 ( RTE ) and inclusion , in the current शिक्षा एवं इसके निहितार्थ list and its implications
- सामाजिक संदर्भ : भारतीय समाज की संरचना तथा शिक्षा के • Social Context : Composition of Indian Society and its निहितार्थ : भाषा , धर्म , जाति , वर्ग , लिंग , क्षेत्र एवं असामान्य | implications for education : Inequality , discrimination , शिक्षार्थियों के संदर्भ में असामान्य शिक्षार्थियों के संदर्भ में exclusion and marginalization in the context of असमान्यता , भेदभाव ( पक्षपात ) , ( अव ) वर्जन तथा हाशिये language , religion , caste , class , gender , region , and ( पाश्व ) पर रह रहे शिक्षार्थियों के जानने की समझ । दलितों , disability : Issues and challenges in the education of अतिपिछड़ों , अनुसूचित जनजातियों , बालिकाओं एवं धार्मिक Dalits , OBCs , the Scheduled Tribes , Girls and religious minorities ; Inequality in schooling ( Govt . - private अल्पसंख्यकों के संदर्भ में मुद्दे एवं चुनौतियों । schools , rural - urban schools ) : the role and agency of
- विद्यालयी असामानता ( सरकारी , निजी स्कूल , ग्रामीण - शहरी teachers in the education of above mentioned groups ; स्कूल ) । उपर्युक्त वर्णित समूहों की शिक्षा में शिक्षिकों एवं शिक्षा Classroom ethos as an area of enquiry from the अभिकरणों की भूमिका । विविध सामाजिक - सांस्कृतिक एवं perspective of children from diverse socio - cultural and economic backgrounds . आर्थिक पृष्ठभूमि से बच्चों के नजरिये से जाँच के एक क्षेत्र रूप में कक्षाकक्ष प्रकृति की समझ ।
इस इकाई में शिक्षा के उन मुद्दों की समझ बनायी जाएगी जिससे आज के शिक्षक जूझ रहे हैं । यह मुद्दे इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे शिक्षक के कार्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है । अतः ये मुद्दे क्यों आएं . इनकी पृष्ठभूगि क्या है और इनके प्रति एक शिक्षक की क्या भूमिका है , इन सब बिन्दुओं की चर्चा पर ही इस इकाई को केन्द्रित रखा गया है । इनमें से कई मुद्दे ऐसे हैं जो शिक्षा के साकारात्मक पक्ष को दिखाते हैं तो कुछ ऐसे भी मुद्दे हैं जो हमारी शिक्षा व्यवस्था के कमजोरियों को उजागर करते हैं । हमारे देश के तमाम विद्यालयों के असल सच को भी इस इकाई में समझा जाएगा ।
Unit - 4
- Understanding Education in relation to Policies नीतियों के आलोक में शिक्षा की समझ नीतिगत परिप्रेक्ष्य में विद्यालय का विकास : भारत एवं बिहार ] . Development of School in the light of Policy perspectives : As a source to understand the के विद्यालयों में शैक्षिक प्रक्रियाओं ( पाठ्यचर्या , शिक्षक , contemporary structure and education process समुदाय ) एवं तत्कालीन शिक्षा संरचना के स्त्रोत की समझ । ( curriculum , teacher , community ) of schools in India •
- आयोग के प्रतिवेदनों एवं नीतिगत दस्तावेजों को विषयक well as Bihar . दृष्टि से आलोचनात्मक परख । तत्कालीन संदर्भ के आलोक में A critical review of commission reports and policy स्वतंत्रता से ही उनकी विशेषताओं पर विमर्श : यथाः मुदालियर documents through a thematic focus , linking the आयोग , कोठारी आयोग , एन 0 पी 0 ई 0 1990 , राममूर्ति कमिटि contemporary context with salient debates since 1990. यशपाल रिपोर्ट 1993 , अन्तिम दो एन 0 सी 0 एफ 0 , independence : Mudaliar Commission , Kothari सी ० सी ० एस ० रिपोर्ट 20071 Commission , NPE 1986 , Ramamurthy Committee 1992
- शिक्षक एवं शिक्षा नितियाँ : कोठारी आयोग के संदर्भगत अध्याय Yashpal Report 1993 , Last two NCFs , CCS report 2007 . Teacher and education policies : Special reference to 1983-85 के राष्ट्रीय आयोग , एन 0 सी 0 एफ 0 टी 0 ई 0 2009 , relevant chapter in Kothari Commission , National जस्टिस वर्भा आयोग का रिपोर्ट एवं अन्य अद्यतन दस्तावेज की Commission on Teacher 1983-85 , NCFTE 2009 , Justice समझ । Verma Commission Report and other recent documents .
इस इकाई का उद्देश्य प्रशिक्षुओं को विद्यालय के विभिन्न आयामों का विश्लेषण इस प्रकार करने का अवसर प्रदान करना है जिससे उन्हें देश की प्रमुख शिक्षा नीतियों तथा उनके विकासक्रम का ज्ञान अपनी संस्था के सदर्भ में मिल सके । आमतौर पर शिक्षक प्रशिक्षण | संस्थानों में शिक्षा का इतिहास का इतिहास एक शुष्क विषय के रूप में पढ़ाया जाता है । इसमें शिक्षा से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों को प्रमुखता से चिन्हित किया जाता है परन्तु ये तथ्य किसी संदर्भ से नहीं जुड़ पाते और इस कारण देश की शैक्षिक नीतियों को लेकर एक बिहान तथा संयेदित दृष्टि का विकास करने में असमर्थ रहते हैं । एक अन्य आम प्रवृति देश की शैक्षिक नीतियों को सिर्फ उनकी | सन्तुतियों के दर्पण में देखने की है । किसी भी शिक्षा नीति के बनाये जाने की प्रक्रिया उस समय की आवश्यकताएँ तथा बाध्यताओं को भी जानना महत्वपूर्ण है । एक शिक्षा नीति से दूसरी शिक्षा नीति का सफर उपलब्धियों और अधूरे रह गये लक्ष्यों की मिलीजुली कथा करता है । अतः शिक्षा नीति को किस रीति से पढ़ाया जाय यह महत्वपूर्ण है । यह इकाई इस बात का प्रयास करती है कि यह प्रशिक्षु किसी एक विद्यालय को आधार बनाकर शिक्षा नीतियों एवं आयोगों की अनुशंसाओं को लागू किये जाने में निहित चुनौतियों को समझा सके । किसो विद्यालय का नान , उस स्थापना से लेकर आज तक में किये गये परिवर्तन स्वयं में शिक्षा नीति के विकास क्रम का संकेत | तो । विद्यालय का भयग रदयं में विद्यालय के विकास की कहानी समेट रहता है । विद्यालय में पढ़ाए जा रहे विषयों का समूहीकरण जथवा विभाजन किस पाठ्यचर्या के आधार पर किया गया है , इसे नीतियों के आलोक में जानना चाहिए । साथ ही , विद्यालय में होने काली मूल्यांकन व्यवस्था का क्या इतिहास रहा है । इस समय के समझ से प्रशिक्षु विभिन्न शैक्षिक नीतियों को विद्यालय के भीतर समझ पाने में सक्षम हो सकेंगे । उपरोक्त बिन्दुओं को बिहार के सदर्भ में भी विशेष रूप से समझा जाएगा ।
Unit - 5
- विद्यालय संगठन की संकालीन पद्धति The contemporary system of School organisation • विद्यालय संगठन , अवधारणा और प्रमुख अवयव , समुदाय एवं महत्वपूर्ण • School organization : Concept and major components : अवयव के रूप में । विद्यालय संगठन के कार्य सम्बन्धी आधारभूत सिद्धांत । Community as an important component ; Basic Principles विद्यालय एक संगठन और संगठन के अंग ' के रूप में । for the functioning of school organization ; School a an
- विद्यालय और अन्य शैक्षणिक संगठनो के बीच संबंध : शिक्षक - शिक्षा • Relation between Schools and other educational organiszation and as a part of organization . संस्थान , राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के संस्थान ( एस 0 सी 0 ई 0 आर 0 टी 0 . organizations : Teacher education institution , State and एन 0 सी 0 ई 0 आर 0 टी 0 , एन 0 सी 0 टी 0 ई 0 . यूजी 0 सी 0 , एन 0 एच 0 आर 0 डी 0 । National Level bodies ( such as SCERT , NCERT , NCTE ,
- विद्यालय प्रबंधन में योजना निर्माणः वार्षिक अकादमिक कैलेण्डर , दैनिक NUEPA , UGC , MHRD कार्यक्रम की रूपरेखा , समय सारणी , कर्मियों की बैठक , गतिविधियों , • Planning in school management : Annual school शिक्षार्थियों की समस्याएँ , गतिविधियों , विद्यालयी संस्थानों का प्रबंधन calendar , Day to day schedules , Time table , Staff ( विद्यालय भवन , विद्यालय का बजट , प्रयोगशाला . पुस्तकालय , खेल का meetings , Activities , Student issues , Monitoring , Managing school resources ( the school Building , School मैदान , छात्रावास , विद्यालय का कार्यालय , स्वच्छता प्रबंधन एवं budget , Laboratory , Library Sports ground . Hostel . अधिकतमक उपयोगिता , विद्यालय का अभिलेख ) आपदा प्रबंधन एवं सुरक्षा School Office ; Cleanliness , Maintenance and optimum की शिक्षा । utility . School records ) , Disaster management and safety | education .
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