Theories of Curriculum organisation and different types of Curriculum
पाठ्यक्रम संबंधित सिद्धांत एवं विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम understanding discipline and subject notes in Hindi
संगठन के अनेक रूप हैं। जैसा हमने ऊपर कहा है, विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम को संगठित करने के लिए कुछ मुख्य अतिथि तो पर ध्यान देना आवश्यक है। इन सिद्धांतों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम अनेक प्रकार से संगठित किया जा सकता है। पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रकार कमा पाठ्यक्रम के संगठन की विभिन्नता पर आधारित होते हैं। यदि पाठ्यक्रम के संगठन में बालक की स्वाभाविक क्रियाओं, आदि को अधिक महत्व दिया जाता है तो पाठ्यक्रम बाल केंद्रित हो जाता है। इसी प्रकार जैसे पाठ्यक्रम में अनुभव के आधार पर दूसरों का संकलन होता है कमा वह अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम का लाता है। यहां हम विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन करेंगे तथा यह भी स्पष्ट करेंगे कि विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम किन पाठ्यक्रम संगठन संबंधी सिद्धांत पर आधारित है ; यथा -
बाल केंद्रित पाठ्यक्रम
child centred curriculum
इस प्रकार का संगठन इस सिद्धांत पर आधारित है कि पाठ्यक्रम का नियोजन बालक की प्रकृति के आधार पर दिया जाना चाहिए। बाल केंद्रित पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम का संगठन या पाठ्य-विषयों, इत्यादि का संकलन बालक के विकास के स्तर, उसकी आवश्यकता हो तथा सूचियों को ध्यान में रखकर किया जाता है। ऐसे पाठ्यक्रम में बालक को प्रमुख स्थान दिया जाता है।
अनुभव पर केंद्रित पाठ्यक्रम
Experiences centred curriculum
बाल केंद्रित पाठ्यक्रम के साथ ही अनुभव पर केंद्रित पाठ्यक्रम के संगठन का वर्णन किया जा सकता है। अनुभव पर आधारित पाठ्यक्रम भी बाल केंद्रित ही होता है। आते वहीं दो प्रकार के पाठ्यक्रम में विभेद करना आवश्यक नहीं है। अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम का संगठन भी सीखने वाले के रूचियों एवं समस्याओं पर निर्भर होता है।
अनुभव पर आधारित पाठ्यक्रम ही सिद्धांत पर निर्भर करता है कि पाठ्यक्रम का नियोजन इस प्रकार किया जाए कि बालक को सम्यक,पूर्ण तथा अच्छा अनुभव प्रदान किए जा सके।
हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह अनुभव के आधार पर ही होता है। हम वह बातें शीघ्र सीख जाते हैं जो हमें किसी समस्या को हल करने मे, किसी स्थिति का मुकाबला करने में तथा हमारी इच्छाओं, इत्यादि की पूर्ति करने में सहायता पहुंचाती है। हमारे जो अनुभव और रुचियों के अनुकूल होते हैं, वह हमें देर तक याद रहते हैं। अथवा,हम कह सकते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम वह होगा जो बालकों की आवश्यकताओं रुचियों,इत्यादि को ध्यान में रखकर उनको अनुभव प्रदान करें। आवश्यकता पर बल देने वाला पाठ्यक्रम अधिकांश रूप से वर्तमान से संबंधित होगा। या उन समस्याओं से संबंधित अपने को संबंधित रखेगा जो बालक के तत्कालीन महत्व की होगी।
बाल केंद्रित तथा अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम में दोष -
- बालकों की वास्तविक रूचियों,आवश्यकता एवं समस्याओं का पता लगाना कठिन है।
- इस प्रकार का पाठ्यक्रम विषयों के सम्यक ज्ञान को प्राप्त करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम में जाति की संस्कृति का कोई उपयोग नहीं होता है
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम एक सुसंगठित शैक्षिक कार्यक्रम के विकास में बाधक होता है
- बाल केंद्रित पाठ्यक्रम में बालक के ऊपर बहुत बल दिया जाता है।
- बालक को इस प्रकार के पाठ्यक्रम द्वारा सम्यक रूप से साक्षी का अनुभव नहीं मिल सकते हैं।
- वर्तमान विद्यालय में यह पाठ्यक्रम लागू नहीं हो सकता।
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम को हमारे समाज द्वारा सरलता से मान्यता प्राप्त नहीं हो सकती। हमारा समाज विषयों के ज्ञान पर अधिक बल देता है। इस दृष्टिकोण को बदलना सरल कार्य नहीं है।
अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम के गुण -
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम का संगठन मनोवैज्ञानिक आधार पर होता है।
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम जीवन की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित होता है।
- इस प्रकार के पाठ्यक्रम से शिक्षा के अनेक वांछित प्रयोजन प्राप्त हो जाते हैं जो परंपरागत पाठ्यक्रम द्वारा नहीं प्राप्त हो सकते हैं।
- इस प्रकार पाठ्यक्रम बालक की वृद्धि और विकास पर निर्भर होता है।
- अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम में सीखने की क्रियाओं का संगठन अधिक अच्छे प्रकार से होता है।
विषय केंद्रित पाठ्यक्रम (Subject centred curriculum)-
इस प्रकार का पाठ्यक्रम सबसे प्रचलित है। पाठ्यक्रम संगठन का वह प्रकार जिसमें प्रत्येक विषय अथवा क्षेत्र को अलग स्थान दिया जाता है, प्रत्येक विषय के शिक्षण के लिए अलग समय दिया जाता है और प्रत्येक विषय का अपना स्वयं का संगठन होता है, उसे विषय केंद्रित पाठ्यक्रम कहते हैं।
विषय केंद्रित पाठ्यक्रम के पक्ष में कुछ बातें -
विषय केंद्रित पाठ्यक्रम में अनेक गुण और इसी कारण इस प्रकार के पाठ्यक्रम व शिक्षा में सदैव महत्व दिया गया है। विषय केंद्रित पाठ्यक्रम में हम निम्नलिखित बातों का वर्णन कर सकते हैं -
- विषयों के अंतर्गत तर्कपूर्ण तथा प्रभावशाली ढंग से सीखने वाली वस्तुओं का संगठन हो सकता है।
- विषयों के द्वारा नवीन ज्ञान एवं तथ्यों का नियोजन उचित ढंग से हो सकता है।
- बहुत से व्यक्ति शिक्षा के प्रयोजन को ज्ञान प्राप्त करने के रूप में व्यक्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति विषय केंद्रित पाठ्यक्रम पर ही बल देते हैं क्योंकि किसी और प्रकार के पाठ्यक्रम के द्वारा विषयों का ज्ञान सुसंगठित, सुनियोजित ढंग से नहीं प्रदान किया जा सकेगा।
- विषय केंद्रित पाठ्यक्रम जाति द्वारा अर्जित की हुई संस्कृति का पूर्ण उपयोग करता है।
- विषय केंद्रित पाठ्यक्रम परंपरागत हो गया है और विस्तृत रूप से यह समाज के सदस्यों को मान्य है।
- इस प्रकार के पाठ्यक्रम के होने से शिक्षाक अधिक सुविधा से पढ़ा सकते हैं क्योंकि शिक्षक इस प्रकार के पाठ्यक्रम के संगठन से अच्छी तरह परिचित होते हैं।
- इस प्रकार के पाठ्यक्रम की योजना बनाना सरल होता है।
- इस प्रकार के पाठ्यक्रम के होने से मूल्यांकन में भी सुविधा होती है।
विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम
( Broad Field Curriculum )
परंपरागत पाठ्यक्रम में सुधार लाने के लिए विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम संगठन का प्रतिपादन किया जाता है। यह पाठ्यक्रम संगठन विषय केंद्रित पाठ्यक्रम के दोषों एवं कमियों को दूर करने की चेष्टा करता है। विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम विभिन्न विषयों में जो गहरी विभाजन रेखा होती है उसको दूर करने की चेष्टा करता है।
यह पाठ्यक्रम संगठन अध्ययन के एक संपूर्ण क्षेत्र के ज्ञान को पाठ्य सामग्री के एक विस्तृत क्षेत्र में बांधने की चेष्टा करता है। इससे तात्पर्य यह है कि विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम संगठन में अनेक विषयों को एक विस्तृत क्षेत्र में बांध दिया जाता है। ऐसा करने का आधार होता है विभिन्न विषयों के ज्ञान में तथा उनके समझने में संबंध।
Epamsiwan
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