B.Ed. 2nd year / EPC-4 / ' स्व ' की अवधारणा का विवेचन करें । ( Discuss the conception of ' Self . )




B.Ed. 2nd year / EPC-4 / ' स्व ' की अवधारणा का विवेचन करें ।

( Discuss the conception of ' Self . )


Q.9 . आत्म विश्वास से क्या आशय है ? आत्म विश्वास के विकास के उपाय का वर्णन करें । ( What do you mean by self confidence ? Describe the measures for development of Self Confidence . )

 Ans .

आत्मविश्वास से आशय " स्वयं पर विश्वास एवं नियंत्रण " है । हमारे जीवन में आत्मविश्वास का होना उतना ही आवश्यक है जितना किसी फूल में सुगन्ध का होना । आत्म - विश्वास के बिना हमारा जीवन एक जिन्दा लाश के समान है । कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो , वह आत्मविश्वास के बिना नहीं कर सकता है । आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है ।

आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति स्वयं के द्वारा किये गये कार्य पर संदेह करता है और नकारात्मक विचारों के जाल में फंस जाता है । आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है , जो स्वयं से सन्तुष्ट होता है तथा जिसके पास दृढ़ निश्चय , मेहनत , लगन , साहस तथा वचनबद्धता जैसे संस्कारों की सम्पत्ति होते है ।


आत्मावश्वास के विकास के उपाय —

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए बालकों को निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है—

  1. बालकों को स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए । जो भी लक्ष्य चुने उसे के लिए वचनबद्ध रहें । जब बालक अपने द्वारा बनाये गये लक्ष्य को पूरा करता है , तो यह करने पूरा उसके आत्मविश्वास में वृद्धि करता है ।
  2. लक्ष्य हमेशा S.M.A.R.T होना चाहिए ।
     S - specific ( स्पष्ट )
     M - Measurable ( मापने योग्य )
    A - Achievable ( प्राप्त किया जा सके )
    R - Realistic ( वास्तविक )
    T - Time - Bond ( निर्धारित समय सीमा में पूरा)
  3. बालक को हमेशा खुश रहकर स्वयं को प्रेरित करना चाहिए ।असफलता प्राप्त होने पर दुखी होने के बजाय उससे प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि ' अनुभव ' हमेशा ' बुरे अनुभव ' से ही प्राप्त होता है । 
  4. बालक को जीवन की शुरूआत आसान कार्य से करनी चाहिए क्योंकि आसान कार्य बालक आसानी से कर लेता है तथा विश्वास भी बढ़ता है जिससे मुश्किल कार्य भी आसान हो जाता है ।
  5. बालक को अपनी सोच सकारात्मक रखनी चाहिए । हमेशा विनम्रता का व्यवहार करना चाहिए ।
  6.  कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं होता । किसी भी कार्य को करने से डरना नहीं चाहिए । जिस कार्य में असफलता का डर हो , उस कार्य को पूरे विश्वास एवं लगन से करना चाहिए ।
  7.  किसी भी कार्य से पहले बालक यह सोचता है कि लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे , जिस कारण वह उचित निर्णय नहीं ले पाता है और सोचते ही रह जाते हैं , अतः यदि कार्य उचित है , तो कार्य करने से पहले अधिक नहीं सोचना चाहिए ।
  8. सच बोलें , ईमानदार रहें , धूम्रपान न करें , प्रकृति से जुड़े अच्छे कार्य सकारात्मक शक्ति प्रदान करते हैं । वहीं दूसरी ओर गलत कार्य तथा बुरी आदतें हमारे आत्मविश्वास को गिरा देती हैं ।
  9.  वह कार्य करें जिसमें आपकी रुचि हो या कोशिश करें कि अपने कैरियर को उसी दिशा में आगे ले जाएँ जिसमें आपकी रुचि हो ।
  10. व्यवहार कुशल बनना चाहिए तथा नम्रता व मुस्कुराहट के साथ व्यवहार करना चाहिए । इसमें न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि इससे अच्छे मित्र भी बढ़ेंगे । अच्छे मित्र सुख - दुःख में साथ देते हैं ।
  11.  टी.वी. पर अच्छे प्रोग्राम , अच्छे वीडियो देखने चाहिए । अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए तथा प्रेरणादायक लेख पढ़ने चाहिए । ये सभी बालक के आत्मविश्वास को बढ़ातीहै।वर्तमान में जीना चाहिए,भूतकाल तथा भविष्यकाल पर नहीं क्योंकि भूत तथा भविष्य पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है ।
  12.  सकारात्मक सोच रखनी चाहिए तथा आत्म चिंतन करता चाहिए ।
  13.  ध्यान , योग तथा प्राणायाम करना चाहिए । अपने लिए समय निकालना चाहिए ।
  14. स्वयं से बात करनी चाहिए तथा यह महसूस करना चाहिए कि हम एक अच्छे इंसान हैं ।
  15. ( 15 ) अपनी सफलता को याद रखना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह कुछ भी कर सकता है । कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं होता है ।
  16.  ( 16 ) हमेशा चिंतामुक्त रहना चाहिए तथा रचनात्मक तरीके से सोचना चाहिए ।
  17.  ( 17 ) अपना कार्य स्वयं करना चाहिए तथा आत्मनिर्भर बनना चाहिए ।
  18. ( 18 ) जिस कार्य में रुचि न हो वह नहीं करना चाहिए । कार्य करने से पहले उस कार्य के प्रति जागृत करनी चाहिए ।
  19. ( 19 ) उस बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए , जिस पर नियंत्रण न हो । " अगर आप उन बातों या परिस्थितियों की वजह से दु : खी हो जाते हैं जो आपके नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी व भविष्य का पछतावा है जिससे आत्मविश्वास गिरता है । "
  20. ( 20 ) अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहना चाहिए । मुश्किल से मुश्किल कार्य भी पूरी मेहनत व लगन से पूरा हो जाता है । लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य के बीच में आने वाली बाधाओं को दूर करना चाहिए तथा दृढ़ - निश्चय से कोशिश करनी चाहिए । " असफल लोगों के पास बचने का एकमात्र साधन यह होता है कि वे मुसीबत आने पर अपने लक्ष्य को बदल लेते हैं । " बालक को असफलता प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्य पूरे करने की आदत बनानी चाहिए , उन्हें बार - बार बदलना नहीं चाहिए । यदि वह अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चर नहीं है तो आत्मविश्वास का गिरना तय है ।











EPAM  SIWAN 

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