Different subjects of the curriculum and reasons for including them in hindi (पाठ्यक्रम के विभिन्न विषय तथा उन को सम्मिलित करने के कारण )

 Different subjects of the curriculum and reasons for including them in hindi  पाठ्यक्रम के विभिन्न विषय तथा उनको सम्मिलित करने के कारण



 विषय केंद्रित पाठ्यक्रम में कुछ विशेष विषय पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर बल दिया जाता है। इसी प्रकार अनुभव केंद्रित विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम इत्यादि ने भी कुछ क्रियाओं विषयों इत्यादि को सम्मिलित करने पर बल दिया जाता है। भी सहयोग की पाठ्य सामग्री का संगठन कैसे किया जाए? इस संबंध में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम योजनाओं का प्रतिपादन होता है। किंतु प्रत्येक प्रकार का पाठ एवं कुछ ना कुछ विषयों की पाठ्य सामग्री के शिक्षण पर बल देता है अतः यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि क्यों एक विशेष विषय उस विषय से चुनी हुई पाठ्य सामग्री को पाठ्यक्रम राजस्थान मिले यहां हम कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर ही प्रकाश डालेंगे -

 भाषा -

 भाषा के ज्ञान के बिना किसी भी प्रकार का शिक्षण संभव नहीं है। यही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं,दूसरों के विचारों, आवश्यकताओं एवं समस्याओं को समझ सकते हैं। अतः वह कोई भी पाठ्यक्रम संगठन हो, भाषा शिक्षण के लिए उसमें आवश्यक रूप से स्थान होगा।

 भाषा में चार कालाय सम्मिलित होती है हुए हैं, वे है - लिखना, बोलना, पड़ना एवं सुनना। प्राथमिक विद्यालय में लिखना बोलना पढ़ने हम सुनना सब को पाठ्यक्रम में स्थान मिलना चाहिए। माध्यमिक विद्यालय में इनके अतिरिक्त साहित्य में अध्ययन पर भी बल देना चाहिए। व्याकरण का ज्ञान देना इस स्तर  पर परम आवश्यक हो जाता है यद्यपि प्राथमिक विद्यालय में व्यवहारिक रूप में लिखने, बोलने इत्यादि में इस पर बल दिया गया होगा।


 गणित-

 गणित बिना वर्तमान सभ्यता का विकास कभी नहीं हो पाता। सबवे मनुष्य का एक महत्वपूर्ण आज तक गणित ही है। कोई भी जाती जो गणित की अवहेलना करती है, उन्नति नहीं कर सकती है।

अतः पाठ्यक्रम में गणित को आस्थान मिलना बहुत आवश्यक है। सांस्कृतिक,व्यवहारिक एवं प्रशिक्षण के दृष्टिकोण से इस विषय का पाठ्यक्रम में मूल्य बहुत अधिक है। प्राथमिक विद्यालय में गणित का शिक्षण चार मूल क्रियाओं से प्रारंभ होना चाहिए। माध्यमिक विद्यालय बहुत के प्रकरण जो जीवन में महत्व के हैं और उपयोगी हैं, उनको भी पाठ्यक्रम स्थान मिलना चाहिए।


 सामाजिक अध्ययन -

 सामाजिक अध्ययन में हम ऐसे विषयों को रख सकते हैं जैसे इतिहास नागरिक शास्त्र भूगोल समाजशास्त्र अर्थशास्त्र इत्यादि। यह सब विषय मानव संबंधों को समझने के लिए एवं उनकी एक दूसरे के प्रति प्रतिक्रियाओं के अध्ययन के लिए तथा सामाजिक समस्याओं का हल खोजने के लिए आवश्यक है। इस कारण इनका भी पाठ्यक्रम में होना आवश्यक है।


 विज्ञान - 

 वर्तमान समय में विज्ञान का महत्व बढ़ गया है। जो औद्योगिक प्रगति इत्यादि हुई है वह भी ज्ञान के द्वारा ही संभव हुई है। इसके अतिरिक्त विज्ञान आज प्रत्येक मनुष्य के जीवन पर किसी न किसी रूप से प्रभाव डाल रहा है। अथवा किसी भी प्रकार के पाठ्यक्रम में इस विषय की अवहेलना नहीं करनी चाहिए।

 विज्ञान को प्राथमिक विद्यालयों से ही पड़ा ना आराम करना चाहिए। यहां विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को सीखना आवश्यक नहीं है वरन उनमें विज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करने की चेष्टा की जानी चाहिए। माध्यमिक विद्यालय में इस विषय के शिक्षण के लिए ऐसे प्रकरण सम्मिलित होने चाहिए जो उनमें अनुसंधान की प्रवृत्ति का विकास करें उन्हें अच्छे डॉक्टर इंजीनियर टेक्नीशियन इत्यादि बनने के लिए तैयार करने की चेष्टा करेंगे तथा उन्हें विज्ञान के संबंध में सामान्य ज्ञान प्रदान करें ताकि वह ऐसे नागरिक बन सकें जो बुनियादीबुद्धि, उनका पूर्ण ढंग से राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भाग ले सकें।

 


 धन्यवाद दोस्तों !










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