maadhyamik star ke vidyaalayee paathyacharya ka praathamik star ke paathyacharya se judaav hai. kaise? C-5:understanding discipline and subject

 Q. माध्यमिक स्तर के विद्यालयी पाठ्यचर्या का प्राथमिक स्तर के पाठ्यचर्या से जुड़ाव है।कैसे?


उत्तर -  शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पाठ्यक्रम की बहुत ही महत्वपूर्ण आवश्यकता मानी जाती है। इसके बिना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सफल नहीं बनाया जा सकता है। पाठ्यक्रम ही ऐसा साधन है जिसके द्वारा शिक्षार्थी का संपूर्ण विकास संभव है समय व परिस्थितियों के अनुसार पाठ्यक्रम में भी विकास होना चाहिए ताकि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के द्वारा केवल इतिहास का ही ज्ञान प्राप्त कर सके उसे साथ ही वर्तमान तथा भविष्य की समस्याओं से भी अवगत हो सकें।

 निम्नलिखित बातें माध्यमिक स्तर के पाठ्यचर्या का प्राथमिक स्तर के पाठ्यचर्या से जुड़ाव को दर्शाती है -

हम कह सकते हैं कि जो चीजें हम प्राथमिक स्तर पर सीखते और करते आते हैं, उनका उपयोग माध्यमिक स्तर पर किए बिना शिक्षा संभव नहीं है। प्राथमिक स्तर पर जो बच्चा सामान्य चीजें सीखता है वह उसी को माध्यमिक स्तर पर जोड़कर आगे बढ़ता है।

 बालक प्राथमिक स्तर पर भाषा, गणित के आधारभूत  ज्ञान को प्राप्त करता है जैसे अंको से परिचय, संख्याओं की समझ, जोड़,घटाव,गुणा,भाग इन्हीं सभी संक्रियाएं और संख्याओं का उपयोग माध्यमिक स्तर पर हुआ करता है और बड़े-बड़े प्रश्नों को हल करता है।

 प्राथमिक स्तर पर बच्चा का कला के आधारभूत अनुभव को प्राप्त करता है यह अनुभव का प्रयोग व माध्यमिक स्तर पर करता है।

 प्राथमिक स्तर पर ही बच्चा शारीरिक शिक्षा से परिचित होता है जिसका उपयोग आगे माध्यमिक स्तर पर करता है।

 प्राथमिक स्तर पर ही बच्चे नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा  प्राप्त करते हैं , जिनका उपयोग आगे चलकर हुए माध्यमिक स्तर पर करते हैं।


हम सभी जानते हैं कि बचपन से आज तक हमने जो भी शिक्षा प्राप्त की है इस शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया के दौरान हम सभी ने कई तरह की संपन्न होने वाली प्रक्रियाएं विद्यालयों में देखी हैं , जैसे स्कूलों में सुबह की प्रार्थनाएं , फिर निश्चित समय सारणी के अनुसार सभी कक्षाओं का संचालन , प्रायोगिक क्रिया - कलाप , वर्ष में कई बार परीक्षाओं का आयोजन एवं साथ ही वर्ष भर विद्यालय में कई प्रकार की अन्य गतिविधियों का आयोजन होना जैसे- खेलकूद प्रतियोगिता , सांस्कृतिक कार्यक्रम , पुस्तक मेला , विज्ञान प्रदर्शनी , स्काउट्स गाइड , एन ० सी ० सी ० , राष्ट्रीय पर्वो का आयोजन आदि । आज हम सभी मिलकर इस विषय को समझेंगे की विद्यालयों में संपन्न होने वाले इन सभी इस प्रकार के क्रिलापों के क्या शैक्षिक निहितार्थ हैं ? विद्यालय में आयोजित होने वाले ये सभी कार्यक्रम किसी न किसी निश्चित उद्देश्य को लेकर ही आयोजित किये जाते हैं।

पाठ्यचर्या एक ऐसी धुरी के रूप में है जिसके चारो ओर कक्षा के विविध कार्य तथा विद्यालय के समस्त क्रियाकलाप विकसित किये जाते हैं । आप अपने बचपन के दिनों में स्कूलों में किये जाने वाले विविध कार्यकलापों के बारे में सोचिये और यह सोचने का प्रयास कीजिये कि हम ऐसा क्यों करते थे । इन कार्यकलापों के विविध प्रकारों के बारे में भी सोचिये कि वह एक दूसरे से किस प्रकार सम्बंधित थे । आपको याद होगा कि आपके विद्यालय में भाषा विज्ञान , गणित तथा सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले अध्यापक अपने विद्यार्थियों के साथ अन्य कौन - कौन सी क्रियाएं कराते थे । इस प्रकार यह इकाई आपके यह समझने में सहायक होगी कि कक्षा में अध्यापक जो भी करता है वह क्यों करता है तथा शिक्षा को यह अधिक उद्देश्यपूर्ण तथा जीवन के लिए उपयोगी कैसे बनाता है । इसके साथ ही पाठ्यचर्या की संकल्पना को भली भांति समझ लेने से शिक्षा के मनोवांछित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी ।








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