बालक के विकास में परिवार/घर का योगदान (Contribution of family/home in child development in hindi )

 बालक के विकास में परिवार/घर का योगदान


(Contribution of family/home in child development)


       परिवार, बालक के विकास की प्रथम पाठशाला है। यह बालक में निहित योग्यताओं एवं क्षमताओं का विकास करता है। परिवार का प्रत्येक सदस्य, बालक के विकास में योगदान देता है।


यंग एवं मैक (Young & Mack) के अनुसार- " परिवार सबसे पुराना और मौलिक मानव समूह है। पारिवारिक ढांचे का विशिष्ट रूप एक समाज के रूप में समाज में विभिन्न हो सकता है और होता है पर सब जगह परिवार के मुख्य कार्य हैं- बच्चे का पालन करना, उसे समाज की संस्कृति से परिचित कराना, सारांश में उसका सामाजिकरण करना।"


      परिवार या घर समाज की न्यूनतम समूह इकाई है। इसमें पति-पत्नी, बच्चे तथा अन्य आश्रित व्यक्ति सम्मिलित हैं। इसका मुख्य आधार रक्त संबंध है। क्लेयर ने परिवार की परिभाषा देते हुए कहा है- " परिवार, संबंधों की वह व्यवस्था है जो माता-पिता तथा संतानों के मध्य पाई जाती है|" ("By family women a system of relationship existing between parents a


बालक के विकास पर घर का प्रभाव


(Influence of home on child development)


मांटेसरी (Montessori) ने बालकों के विकास के लिए परिवार के वातावरण तथा परिस्थिति को महत्वपूर्ण माना है। इसीलिए उन्होंने विद्यालय को बचपन का घर (House of childhood) कहा है।


 रेमंट के अनुसार- ”घर ही वह स्थान है जहां वे महान गुण उत्पन्न होते हैं जिन की सामान्य विशेषता सहानुभूति है।” घर में घनिष्ठ प्रेम की भावनाओं का विकास होता है। यही बालक उदारता -अनुदारता, निस्वार्थ और स्वार्थ, न्याय और अन्याय, सत्य और असत्य, परिश्रम और आलस्य में अंतर सीखता है।” 


बालक के जीवन पर घर का प्रभाव इस प्रकार पड़ता है:-


घर बालक की प्रथम पाठशाला है। वह घर में सभी गुण सकता है। जिसकी पाठशाला में आवश्यकता होती है। 


बालकों को घर पर नैतिकता एवं सामाजिकता का प्रशिक्षण मिलता है। 


सामाजिक तथा अनुकूलन के गुण विकसित करता है।


सामाजिक व्यवहार अनुकरण करता है। 


सामाजिक,नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने में घर का योगदान मुख्य है। 


उत्तम आदतों एवं चरित्र के विकास में योग देता है।


रुचि अभिरुचि तथा प्रवृत्तियों का विकास होता है।बालक की व्यक्तिता का विकास होता है।


प्रेम की शिक्षा मिलती है।


सहयोग, परोपकार, सहिष्णुता, कर्तव्य पालन के गुण विकसित होते हैं।


घर बालक को समाज में व्यवहार करने की शिक्षा देता है। प्लेटो के अनुसार:- “यदि आप चाहते हैं कि बालक सुंदर वस्तुओं के प्रशंसा और निर्माण करे तो उसके चारों और सुंदर वस्तुएँ प्रस्तुत करें।”

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

संप्रेषण की परिभाषाएं(Communication Definition and Types In Hindi)

  संप्रेषण की परिभाषाएं(Communication Definition and Types In Hindi) संप्रेषण का अर्थ ‘एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को सूचनाओं एवं संदेशो...