भौतिकी शिक्षण में प्रयोगशाला की उपयोगिता

🛑 भौतिकी शिक्षण में प्रयोगशाला की उपयोगिता 

विज्ञान के अन्य विषयों की तरह भौतिक विज्ञान का शिक्षण कार्य भी सिर्फ पुस्तकों के सिद्धान्तों सत्रों आदि को पढकर प्राप्त नहीं किया जा सकता। जहाँ तक भौतिक विज्ञान के वास्तविक शिक्षण का प्रश्न है इसे एक पर्याप्त उपकरणों से युक्त प्रयोगशाला के बगैर पूरा नहीं किया जा सकता। इसके अभाव में पुस्तकीय ज्ञान नीरस तथा कठोर हो जाता है। जब तक विद्यार्थी प्रयोग करके स्वयं प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त नहीं कर लेता उसे सही अर्थों में अपने व्यावहारिक जीवन में प्रयुक्त नहीं कर सकता। विद्यार्थी पुस्तकों से पढ़े हुए सिद्धान्तों, तथ्यों को जब स्वयं प्रयोग द्वारा सत्यापित करता है तो उसे उनका रचनात्मक तथा व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होता है जो कि उसके बौद्धिक विकास में मददगार होता है।

प्रयोगशाला का कार्य सिर्फ नियम-सिद्धान्तों का सत्यापन करना ही नहीं है वरन प्रयोगशाला में कार्य करने से विद्यार्थी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है एवं वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्राप्त होता है जो उसे अपने आसपास की परिस्थितियों तथा सम्पूर्ण वातावरण को समझने के अनुभव प्रदान करता है। प्रयोगशाला की मदद से विद्यार्थी तेजी से सीखता है एवं सूक्ष्म प्रेक्षणों द्वारा निष्कर्ष निकालने तथा उनका विश्लेषण करने के कौशल का विकास होता है। इसलिये प्रयोगशालाओं को भौतिक विज्ञान-शिक्षण में एक जरूरी अंग माना गया है। इसकी सहायता से शिक्षण के उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।

प्रयोगशाला के इतने ज्यादा महत्व को देखते हुए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (10+2) के अन्तर्गत हर माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला खोलने की व्यवस्था की गयी है एवं माध्यमिक कक्षा में भौतिक विज्ञान-विषय के साथ प्रायोगिक कार्य को अनिवार्य किया गया है जिससे विद्यार्थी व्यावहारिक एवं पुष्ट ज्ञान प्राप्त कर सके तथा भविष्य में अपनी प्रतिभा का विकास कर देश के विकास में मददगार हो सके।

प्रयोगशाला का महत्व

(1) प्रयोगशाला के उपयोग से छात्रों को पुष्ट तथा प्रमाणिक ज्ञान प्रदान कराया जा सकता है।

(2) प्रयोगशाला में छात्र “करके सीखता” है जिससे उससे शिक्षण कार्य में रुचिपूर्ण तथा रचनात्मक अनुभव प्राप्त होते हैं।

(3) प्रयोग द्वारा प्रेक्षण लेने, विश्लेषण करने तथा निष्कर्ष निकालने से उसमें सोचने-विचारने, निरीक्षण करने, निर्णय लेने और व्याख्या करने की क्षमता का विकास होता है।

(4) प्रयोगशाला में सभी छात्र मिलकर सहयोगपूर्ण वातावरण में कार्य करते हैं जिससे उनमें सामाजिक कुशलता विकसित होती है।

(5) वैज्ञानिकों की तरह प्रयोग करते हुए उनमें आत्म-विश्वास तथा आत्मानुशासन की भावना पैदा होती है।

(6) प्रयोगशाला में सभी उपकरण, यंत्र तथा सामग्री एक ही स्थान पर रखी मिलती है, इसलिए समय की बचत होती है।

(7) प्रयोगशाला भौतिक विज्ञान के अध्ययन हेतु स्वच्छ वातावरण प्रदान करती है।

(8) प्रयोगशाला में यंत्रों तथा उपकरणों के रख-रखाव की व्यावहारिक समझ विकसित होती है।

(9) प्रयोगशाला में कार्य करते हुए विभिन्न उपकरणों की मरम्मत तथा निर्माण करने से विद्यार्थी में आत्मनिर्भरता यानि हाथ से काम करने का प्रशिक्षण प्राप्त होता है एवं इससे उसमें अपने जीवन में छोटी-बड़ी समस्याओं का स्वयं समाधान करने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है।

(10) प्रयोगशाला में कार्य करते हुए विद्यार्थियों को वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्राप्त होता है।


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