concept of childhood . Also explain its developmental perspectives . बचपन की अवधारणा को स्पष्ट करें । इसके विकासात्मक परिप्रेक्ष्य को भी बतायें ।

                          Unit - I

                         इकाई -1


 🔹बचपन की अवधारणा: ऐतिहासिक एवं समकालीन परिप्रेक्ष्य, प्रमुख विमर्श

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 Q.1. Explain the concept of childhood . Also explain its developmental perspectives .

 बचपन की अवधारणा को स्पष्ट करें । इसके विकासात्मक परिप्रेक्ष्य को भी बतायें ।

उत्तर :-

अवधारणा (Concept)

  बच्चे और बचपन हमारे लिए परिचित शब्द हैं। हम सभी उस उम्र से गुज़रे हैं जब हमें बच्चे ’कहा जाता था और हमने’ बचपन ’नामक चरण का अनुभव किया। न केवल बचपन बल्कि हम भी विभिन्न अनुभवों के साथ किशोरावस्था के चरणों से गुजरे हैं। बचपन शब्द का अर्थ है बच्चा होने की अवस्था। बीसवीं शताब्दी के अंत तक एक अलग सामाजिक श्रेणी के रूप में बचपन के विचार पर बहुत कम ध्यान दिया गया था। सांस्कृतिक मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुसार, बचपन की परिभाषा भी बदलती है।


  वयस्कों के रूप में, हम बच्चों को उसी तरह से देखते हैं न कि अद्वितीय व्यक्तियों के रूप में जिनके पास विविध अनुभव, रुचि, सीखने की शैली और ज्ञान है। हम अक्सर उन्हें उस तरह से होने के लिए मजबूर करते हैं जैसे हम उन्हें चाहते हैं, जो बच्चों के विकास को गहराई से प्रभावित करता है। शिक्षकों या भावी शिक्षकों के रूप में, हमें बच्चों के अनुभवों के साथ एक परिचितता विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि हम ‘जिन बच्चों को हम पढ़ाते हैं’ के बारे में अपनी खुद की धारणाओं पर सवाल उठा सकें। इस इकाई में, बच्चों के बारे में हमारी अपनी समझ की सीमाओं से अवगत होने का प्रयास किया गया है। विभिन्न अनुभवों को समझने के लिए, बचपन के दृष्टिकोणों की विविधता पर विचार करना उचित है। चलिए बचपन को कुछ बिंदुओं द्वारा समझते -

  • हम सभी के लिए हमारा बचपन का जीवन एक यादगार समय होता है । जो हमारे लिए हमारे जीवन का सबसे प्यारा समय होता है । जिसे हम सभी लोग पसंद करते है ।
  • ये वही समय है जो हमारे आने वाले जीवन को एक बेहतर जीवन का आकर देता है । यही समय होता है , जब अपने माता पिता हमारी बहुत देखभाल करते है ।
  • इसी उम्र में हम सभी को बहुत कुछ सिखने को मिलता है । जिसकी वजह से हम लोग बड़े होकर एक सफल व्यक्ति बनते है । इसलिए बचपन हम सभी के जीवन का सबसे सुनहरा दौर है । जो हम सभी को पुरे जीवन भर याद रहता है ।
  • अपनी बचपन की यादें अपना बचपन अपने जीवन में सबसे ज्यादा याद रहने वाली चीज़ होती है । जो हमेशा जीवन में आने वाले मुश्किल दौर में अपने चेहरे पर मुस्कान लाती हैं ।
  • इस दुनिया जितने भी महान और सफल व्यक्ति है , उन्हें अपने बचपन का वास्तविक मूल्य और महत्व पता होता है । जो एक बच्चा अपनी छोटी उम्र में इस चीज़ को नहीं समज सकता है ।

अर्थ :

  • बचपन की अवधारणा बालक के जन्म से लेकर किशोरावस्था से पहले तक का काल को बचपन कहते है । बचपन को शैशवावस्था भी कहते हैं ।
  • बचपन में बच्चा एक कोरी स्लेट की तरह होता है जिस पर कुछ भी लिखा जा सकता है ।
  • बचपन में बच्चे अनुकरण करना पसंद करते हैं , वे जैसा देखते हैं , जैसा सुनते हैं वैसा ही अनुकरण करने का प्रयास करते हैं ।
  • इस अवस्था में बच्चे के व्यक्तित्व का विकास अत्यंत तीव्र गति से होता है । अर्थात जीवन के पूरे विकास का एक तिहाई विकास बचपन में ही पूर्ण हो जाता है ।इस अवस्था में बच्चे के व्यक्तित्व का विकास अत्यंत तीव्र गति से होता है । अर्थात जीवन के पूरे विकास का एक तिहाई विकास बचपन में ही पूर्ण हो जाता है ।
  • बचपन के प्रथम ढाई वर्षों में बालक के शरीर और मस्तिष्क की गति सर्वाधिक होती है । इस समय बालक अपने चारों ओर के वातावरण को आत्मसात करने लगता है ।
  •  बचपन के शेष 3 वर्ष अर्थात 6 वर्ष की आयु तक बालक हाथ पैरों के उपयोग में नवीन कौशल अर्जित करने लगता है । अतः बचपन के समय में बालक विभिन्न क्रियाकलापों में समन्वय स्थापित करने लगता

 परिभाषा :-


बाल्यावस्था की परिभाषाएं || definition of childhood


ब्लेयर जॉन्स एवं सिंपसन के अनुसार


“बाल्यावस्था वह समय है,जब व्यक्ति के आधारभूत दृष्टिकोण व मूल्यों और आदर्शों का बहुत सीमा तक निर्माण होता है।”


कोल एवं ब्रूस  के अनुसार


“बाल्यावस्था जीवन का अनोखा काल है।”


रॉस के अनुसार


“बाल्यावस्था मिथ्या परिपक्वता का काल है।”


ब्लेयर जोन्स एवं सिंपसन के अनुसार -


“शैक्षिक दृष्टिकोण से जीवन चक्र में बाल्यावस्था से अधिक कोई महत्वपूर्ण अवस्था नहीं है,जो शिक्षक इस अवस्था के बालकों को शिक्षा देते हैं। उन्हें बालकों का उनकी आधारभूत आवश्यकताओं का उनकी समस्याओं एवं उनकी परिस्थितियों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। जो उनके व्यवहार को रूपांतरित और परिवर्तित करती हैं।”


कोल एवं ब्रूस के अनुसार


“वास्तव में माता-पिता के लिए बाल विकास की अवस्था को समझना कठिन है।”


किलपैट्रिक के अनुसार


“बाल्यावस्था जीवन का निर्माण काल है।”








बचपन के विकासात्मक चरण 


प्रारंभिक बचपन


शैशवावस्था के बाद प्रारंभिक बचपन आता है और बच्चे के लड़खड़ाते हुए चलने के साथ शुरू होता है, जब बच्चा बोलना और स्वतंत्र रूप से क़दम बढाने लगता है। जहां शैशवावस्था तीन साल की उम्र में समाप्त होती है जब बच्चा बुनियादी ज़रूरतों के लिए अपने माता-पिता पर कम निर्भर रहने लगता है, प्रारंभिक बचपन सात से आठ साल की उम्र तक चलता है। नन्हे बच्चों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संगठन के अनुसार, प्रारंभिक बचपन की अवधि जन्म से आठ की उम्र तक होती है।




मध्य बचपन 




मध्य बचपन लगभग सात या आठ की उम्र से शुरु होता है, जो अनुमानतः प्राथमिक स्कूल की उम्र है और लगभग यौवन काल पर समाप्त होता है, जो किशोरावस्था की शुरुआत है।




किशोरावस्था 


किशोरावस्था, या बचपन की अंतिम अवस्था, यौवन की दशा से शुरू होती है। किशोरावस्था का अंत और वयस्कता की शुरूआत में देशवार तथा क्रियावार भिन्नता है और एक ही देश-राज्य या संस्कृति के भीतर अलग-अलग उम्र होती है जिसके व्यक्ति को इतना परिपक्व (कालक्रमानुसार तथा कानूनी रूप से) माना जाता है कि समाज द्वारा किन्हीं कार्यों को सौपा जा सके।

निष्कर्ष

बचपन हमारे जीवन के वो पल है, जो हमारे भविष्य को एक आकर देते है। हमारा बचपन एक मिट्टी के बर्तन की तरह होता है, जिसे अपने माता-पिता के संस्कारों से और इस समाज में हो रहे बदलाओं से एक विशिष्ट आकार मिल जाता है।



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