मूर्त और अमूर्त क्या है? मूर्त वस्तु और अमूर्त वस्तु किसे कहते हैं? मूर्त चिंतन अमूर्त चिंतन में अंतर?

मूर्त वस्तु

 वैसे ही वस्तु जिसका प्रत्यक्ष रूप या स्वरूप हो उसे मूर्त वस्तु कहते हैं। आपके हाथ में मोबाइल है तो यह मूर्त वस्तु  है।

 अमूर्त वस्तु

वह वस्तु जो मूर्त न हो या जिसका कोई ठोस रूप सामने न हो,आवाज़ एक अमूर्त वस्तु है ।

मूर्त चिंतन क्या है ?

 मूर्त चिंतन , चिंतन की प्रक्रिया का सबसे निम्न रूप है । मूर्त चिंतन प्रत्यक्ष वस्तु के बारे में चिंतन है । अर्थात जब कोई वस्तु सामने में उपस्थित हो तो उसको देखकर या छूकर उसके बारे में बताया जाए तो इस प्रकार के चिंतन को मूर्त चिंतन कहते हैं । मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मूर्त चिंतन छोटे बच्चों , पशु पक्षियों द्वारा किया जाता है ।

 अमूर्त चिंतन क्या है ?

अमूर्त चिंतन ज्ञान पर आधारित चिंतन होता है । अमूर्त चिंतन के लिए किसी वस्तु का प्रत्यक्ष रूप से सामने होना जरूरी नहीं है । इस प्रकार के चिंतन के लिए बालक अपनी बुद्धि एवं कल्पना शक्ति का उपयोग करता है । जब कोई वस्तु या समस्या प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं हो फिर भी उसके बारे में चिंतन करना अमूर्त चिंतन कहलाता है ।

एक उदाहरण की सहायता से मूर्त चिंतन एवं अमूर्त चिंतन को समझते हैं : जब एक बालक के सामने काले रंग के दो पैर वाला वाला पक्षी आता है तो बालक अपने पापा से पूछता है कि पापा यह क्या है ? तो उसके पापा बताते हैं कि - यह एक पक्षी है , जिसका नाम कौवा है । तो बालक उस कौवा को गौर से देखता है फिर अवलोकन करता है । बालक मूर्त चिंतन के द्वार कौवा का अवलोकन करता है । कुछ देर बाद कहा वहां से कौवा उड़ जाता है । तो उसके पापा बालक से पुनः पूछते हैं कि कुछ देर पहले यहां पर क्या बैठा हुआ था ? तो बालक जवाब देता है कि यहां पर दो पैर वाला तथा काले रंग का एक पक्षी था , जिसका नाम कौवा था । बालक ने यह जवाब अपने अमूर्त चिंतन के द्वारा दिया है । अतः इस उदाहरण से स्पष्ट है कि मूर्त चिंतन तथा अमूर्त चिंतन क्या है ?

जब एक बालक के सामने काले रंग के दो पैर वाला वाला पक्षी आता है तो बालक अपने पापा से पूछता है कि पापा यह क्या है ? तो उसके पापा बताते हैं कि यह एक पक्षी है , जिसका नाम कौवा है । तो बालक उस कौवा को गौर से देखता है फिर अवलोकन करता है । बालक मूर्त चिंतन के द्वार कौवा का अवलोकन करता है । कुछ देर बाद कहा वहां से कौवा उड़ जाता है । तो उसके पापा बालक से पुनः पूछते हैं कि कुछ देर पहले यहां पर क्या बैठा हुआ था ? तो बालक जवाब देता है कि यहां पर दो पैर वाला तथा काले रंग का एक पक्षी था , जिसका नाम कौवा था । बालक ने यह जवाब अपने अमूर्त चिंतन के द्वारा दिया है । अतः इस उदाहरण से स्पष्ट है कि मूर्त चिंतन तथा अमूर्त चिंतन क्या है ?



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