विज्ञान की प्रकृति और संरचना
प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान होता है, या फ़िर इसका अध्ययन करने वाली इसकी कोई शाखा। असल में विज्ञान शब्द का उपयोग लगभग हमेशा प्राकृतिक विज्ञानों के लिये ही किया जाता है। इसकी तीन मुख्य शाखाएँ हैं : भौतिकी, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान।
विज्ञान मनुष्य मात्र की सामूहिक कार्य कुशलता है और इसी के ही फलस्वरूप मानव की उन्नति एवं प्रगति अति तीव्र तथा असाधारण हुई है।
आर्थर वाल्फोर ने कहा है- विज्ञान सामाजिक परिवर्तन का एक महान उपकरण है। आधुनिक सभ्यता के विकास में सहयोगी सभी क्रांतियों में सबसे अधिक शक्तिशाली है।’’
विज्ञान किसी भी विषय का पक्षपात रहित क्रमबद्ध सुसंगठित व सुव्यवस्थित ज्ञान है जो भांति-भांति से सत्यापित वर्गीकृत प्रयोगो पर आधारित है।
विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। या प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबध्द अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को ही विज्ञान कहते हैं। या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं ।।
किसी भी वस्तु के बारे में जानकारी ग्रहण करना और जानकारी को सही तरीकों से लागू करना एवं किसी भी वस्तु का सही अवलोकन करना एवं उसका विश्लेषण करना ही विज्ञान है।
विज्ञान का अर्थ
विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
दैनिक समस्याओं के समाधान में विज्ञान की भूमिका:
आधुनिक युग में विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने विश्व में क्रांति सी भर दी है। विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर विजय प्राप्त करता जा रहा है। एक समय था जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कौतूहलपूर्ण व आश्चर्यजनक समझता था तथा उनसे भयभीत होकर ईश्वर की प्रार्थना करता था, किंतु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके मानव की दासी बना दिया है। यह सब विज्ञान की आशातीत सफलता और उसके आश्चर्यजनक चमत्कारों का ही परिणाम है।
दैनिक जीवन में विज्ञान का प्रयोग
विज्ञान ने हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब यह स्वास्थ्य, यातायात, परिवहन तथा बिजली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारे संपूर्ण अस्तित्व में परिवर्तन कर रहा है। आज विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना सहयोग कर रहा है। घर से लेकर उद्योग धंधो, व्यापार, व्यवसाय, सामाजिक एवं आर्थिक विकास सभी क्षेत्रों में उसकी उपलब्धियों ने मानव जीवन को सुखमय, सुविधाजनक और आसान बना दिया है।
विज्ञान का सदुपयोगः-
विज्ञान मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। यह विश्व के संचालन का मूल आधार है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रभुत्व स्थपित कर लिया है क्षेत्र निम्नलिखित हैः-
1. संचार के क्षेत्र में:- टेलीफोन और टेलीग्राफ द्वारा क्षणभर में ही किसी भी प्रकार के संदेश एवं विचारों का आदान प्रदान किया जा सकता है। टेली प्रिन्टर, रेडियो, टेलीविजन द्वारा कोई समाचार क्षण भर में प्रसारित किया जा सकता है। विज्ञान ने पृथ्वी और आकाश की सारी दूरिया समेट ली है।
2. यातायात के क्षेत्र में:- साइकिल, स्कूटर, लाॅरी, ट्रक, रेलें, वायुयान, राकेट, अंतरिक्षयान, ब्रह्माण्ड में मानव की प्रगति का साक्ष्य दे रहे है। चन्द्र विजय, अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना द्वारा अंतरिक्षीय पिण्डों की नियमित यात्राएं शायद अधिक दूर नहीं।
3. चिकित्सा के क्षेत्र में:- आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि असहाय रोग, कैंसर, टी.बी., ह्नदय रोग पर विजय विज्ञान के माध्यम से संभव हो सकी है।
4. शिक्षा के क्षेत्र में:- विज्ञान ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भूत कार्य किये है। टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा ने शिक्षा को सरल बना दिया है।
5. कृषि के क्षेत्र में:- उर्वरक, बुआई, कटाई के आधुनिक साधनों, कीटनाशक दवाओं तथा सिंचाई के कृत्रिम साधनों ने खेती को अत्यंत सुविधापूर्ण एवं सरल बना दिया है।
6. मनोरंजन के क्षेत्र में:- सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन विज्ञान की ही देने है।
7. दैनिक जीवन में विद्युत:- विद्युत हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है। बिजली के पंखे, प्रेस, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज, सिलाई मशीन आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन दिया है जिससे समय, शक्ति व घन की पर्याप्त बचत हुइ्र है।
8. उद्योग के क्षेत्र में:- औद्यौगिक क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किये है। हमारे देश में अनेक छोटे बड़े कल कारखानों का संचालन हो रहा है।
9. परमाणु शक्ति के क्षेत्र में:- आधुनिक युग को परमाणु युग कहा जाता है। आज अणुशक्ति द्वारा कृत्रिम बादलों के माध्यम से वर्षा भी की जा सकती है। इस शक्ति के माध्यम से पृथ्वी और समुद्र से मूल्यांकन गैस व खनिज प्राप्त किये जा रहे है।
10. भवन निर्माण एवं वास्तुकला के क्षेत्र में:- विज्ञान, बांध, बहुमंजली इमारते, मनोहारी शैल्पिक प्रयोग, भवन निर्माण के क्षेत्र में विज्ञान की अपूर्व प्रगति के प्रमाण है। क्रेन, बुलडोजर, ट्रिलर भिक्षक, खनन यंत्र आदि ने निमाणों को संभव बनाया है।
विज्ञान का दुरूपयोग:-
मानव की स्वार्थपूर्ण प्रवृत्तियों ने विज्ञान को वरदान से अभिशाप बना दिया है। वे विज्ञान का बेरोक-टोक दुरूपयोग कर रहे है अपने वर्चस्व को बनाये रखने तथा महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिये अशांति, युद्ध और विनाश के गर्त में धकेल देते है।
विज्ञान के दुरूपयोग की घिनौनी प्रवृत्तियों ने मानव जीवन को अत्यंत अनिश्चिता की स्थिति में पहुंचा दिया है। आज विज्ञान के दुरूपयोग के कारण मानव एवं सभ्यता प्रगति के साथ अपने विनाश की ओर बड़ रही है सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है यंत्रो के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को मयकंपित कर दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम विश्व शांति के लिये खतरा बन गये है।
वैज्ञानिक विधि के विभिन्न पदः
प्रकृति के तथ्यों , रहस्यों और उसकी घटनाओं को क्रमबद्ध सुसंगठित , व्यवस्थित एवं तार्किक ढंग से अध्ययन करके निश्चित नियम एवं सिद्धांत को प्रतिपादित करने की विधि को वैज्ञानिक विधि कहते है । यह एक ऐसी प्रणाल या प्रक्रिया है जिसे वैज्ञानिक अपनाते है । वैज्ञानिकों ने अपनी समस्याओं को हल करने के लिये इस पद्धित को चुना है । वैज्ञानिक विधि पांच मुख्य चरणों में संपन्न होती है :
1 . समस्या ( Problem ) ' P '
2 . परिकल्पना ( Hypothesis ) ' H '
3 . प्रयोगीकरण ( Experimentation ) ' E '
4 . प्रेक्षण ( Observation ) ' V '
5 . निष्कर्ष ( Conclusion ) ' C '
1 . समस्याः - किसी भी समस्या के निराकरण में नया वैज्ञानिक कार्य प्रारंभ होता है । क्यों और किसके द्वारा खोजते है ? बादल कैसे बनते है ? पानी कैसे बरसता है ? रोग क्यों हुआ ? आदि ।
2 . परिकल्पना : - किसी समस्या पर वैज्ञानिकों द्वारा एक या अनेक मत या विचार व्यक्त किये जाते है । प्रत्येक विचार के पीछे कुछ आधार भी होता है जो सही या गलत भी हो सकता है । यही विचार परिकल्पनाएं कहलाते है ।
3 . प्रयोगीकरण : - परिकल्पना की सत्यता को सिद्ध करने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रयोग व प्रेक्षण विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किये जाते है । यदि यह परिकल्पना उन प्रयोगो द्वारा सही सिद्ध होती है तो ठीक है अन्यथा अस्वीकार कर दिया जाता है ।
4 . प्रेक्षण : - प्रयोगों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर समीक्षा की जाती है तथा तथ्यों की वास्तविकता का गहन चिंतन | करते है ।
5 . निष्कर्षः - नियन्त्रिण प्रयोगों द्वारा परिकल्पनाओं की वास्तविकता की परीक्षा की जाती है । कोई परिकल्पना | कितनी भी वास्तविक क्यों न हो प्रयोगों द्वारा सत्यता की परीक्षा अवश्य की जाती है । यदि प्रयोगों के परिणाम | परिकल्पना का समर्थन करते है तो परिकल्पना को सिद्धांत का रूप दे दिया जाता है । वही नियम बन जाता है ।
By: Rakesh Giri
प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान होता है, या फ़िर इसका अध्ययन करने वाली इसकी कोई शाखा। असल में विज्ञान शब्द का उपयोग लगभग हमेशा प्राकृतिक विज्ञानों के लिये ही किया जाता है। इसकी तीन मुख्य शाखाएँ हैं : भौतिकी, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान।
विज्ञान मनुष्य मात्र की सामूहिक कार्य कुशलता है और इसी के ही फलस्वरूप मानव की उन्नति एवं प्रगति अति तीव्र तथा असाधारण हुई है।
आर्थर वाल्फोर ने कहा है- विज्ञान सामाजिक परिवर्तन का एक महान उपकरण है। आधुनिक सभ्यता के विकास में सहयोगी सभी क्रांतियों में सबसे अधिक शक्तिशाली है।’’
विज्ञान किसी भी विषय का पक्षपात रहित क्रमबद्ध सुसंगठित व सुव्यवस्थित ज्ञान है जो भांति-भांति से सत्यापित वर्गीकृत प्रयोगो पर आधारित है।
विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। या प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबध्द अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को ही विज्ञान कहते हैं। या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं ।।
किसी भी वस्तु के बारे में जानकारी ग्रहण करना और जानकारी को सही तरीकों से लागू करना एवं किसी भी वस्तु का सही अवलोकन करना एवं उसका विश्लेषण करना ही विज्ञान है।
विज्ञान का अर्थ
विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
दैनिक समस्याओं के समाधान में विज्ञान की भूमिका:
आधुनिक युग में विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने विश्व में क्रांति सी भर दी है। विज्ञान के बिना मनुष्य के स्वतंत्र अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य प्रकृति पर विजय प्राप्त करता जा रहा है। एक समय था जब मनुष्य सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को कौतूहलपूर्ण व आश्चर्यजनक समझता था तथा उनसे भयभीत होकर ईश्वर की प्रार्थना करता था, किंतु आज विज्ञान ने प्रकृति को वश में करके मानव की दासी बना दिया है। यह सब विज्ञान की आशातीत सफलता और उसके आश्चर्यजनक चमत्कारों का ही परिणाम है।
दैनिक जीवन में विज्ञान का प्रयोग
विज्ञान ने हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब यह स्वास्थ्य, यातायात, परिवहन तथा बिजली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारे संपूर्ण अस्तित्व में परिवर्तन कर रहा है। आज विज्ञान मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना सहयोग कर रहा है। घर से लेकर उद्योग धंधो, व्यापार, व्यवसाय, सामाजिक एवं आर्थिक विकास सभी क्षेत्रों में उसकी उपलब्धियों ने मानव जीवन को सुखमय, सुविधाजनक और आसान बना दिया है।
विज्ञान का सदुपयोगः-
विज्ञान मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। यह विश्व के संचालन का मूल आधार है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रभुत्व स्थपित कर लिया है क्षेत्र निम्नलिखित हैः-
1. संचार के क्षेत्र में:- टेलीफोन और टेलीग्राफ द्वारा क्षणभर में ही किसी भी प्रकार के संदेश एवं विचारों का आदान प्रदान किया जा सकता है। टेली प्रिन्टर, रेडियो, टेलीविजन द्वारा कोई समाचार क्षण भर में प्रसारित किया जा सकता है। विज्ञान ने पृथ्वी और आकाश की सारी दूरिया समेट ली है।
2. यातायात के क्षेत्र में:- साइकिल, स्कूटर, लाॅरी, ट्रक, रेलें, वायुयान, राकेट, अंतरिक्षयान, ब्रह्माण्ड में मानव की प्रगति का साक्ष्य दे रहे है। चन्द्र विजय, अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना द्वारा अंतरिक्षीय पिण्डों की नियमित यात्राएं शायद अधिक दूर नहीं।
3. चिकित्सा के क्षेत्र में:- आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि असहाय रोग, कैंसर, टी.बी., ह्नदय रोग पर विजय विज्ञान के माध्यम से संभव हो सकी है।
4. शिक्षा के क्षेत्र में:- विज्ञान ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भूत कार्य किये है। टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा ने शिक्षा को सरल बना दिया है।
5. कृषि के क्षेत्र में:- उर्वरक, बुआई, कटाई के आधुनिक साधनों, कीटनाशक दवाओं तथा सिंचाई के कृत्रिम साधनों ने खेती को अत्यंत सुविधापूर्ण एवं सरल बना दिया है।
6. मनोरंजन के क्षेत्र में:- सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन विज्ञान की ही देने है।
7. दैनिक जीवन में विद्युत:- विद्युत हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है। बिजली के पंखे, प्रेस, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज, सिलाई मशीन आदि के निर्माण ने मानव को सुविधापूर्ण जीवन दिया है जिससे समय, शक्ति व घन की पर्याप्त बचत हुइ्र है।
8. उद्योग के क्षेत्र में:- औद्यौगिक क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांतिकारी परिवर्तन किये है। हमारे देश में अनेक छोटे बड़े कल कारखानों का संचालन हो रहा है।
9. परमाणु शक्ति के क्षेत्र में:- आधुनिक युग को परमाणु युग कहा जाता है। आज अणुशक्ति द्वारा कृत्रिम बादलों के माध्यम से वर्षा भी की जा सकती है। इस शक्ति के माध्यम से पृथ्वी और समुद्र से मूल्यांकन गैस व खनिज प्राप्त किये जा रहे है।
10. भवन निर्माण एवं वास्तुकला के क्षेत्र में:- विज्ञान, बांध, बहुमंजली इमारते, मनोहारी शैल्पिक प्रयोग, भवन निर्माण के क्षेत्र में विज्ञान की अपूर्व प्रगति के प्रमाण है। क्रेन, बुलडोजर, ट्रिलर भिक्षक, खनन यंत्र आदि ने निमाणों को संभव बनाया है।
विज्ञान का दुरूपयोग:-
मानव की स्वार्थपूर्ण प्रवृत्तियों ने विज्ञान को वरदान से अभिशाप बना दिया है। वे विज्ञान का बेरोक-टोक दुरूपयोग कर रहे है अपने वर्चस्व को बनाये रखने तथा महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिये अशांति, युद्ध और विनाश के गर्त में धकेल देते है।
विज्ञान के दुरूपयोग की घिनौनी प्रवृत्तियों ने मानव जीवन को अत्यंत अनिश्चिता की स्थिति में पहुंचा दिया है। आज विज्ञान के दुरूपयोग के कारण मानव एवं सभ्यता प्रगति के साथ अपने विनाश की ओर बड़ रही है सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है यंत्रो के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को मयकंपित कर दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन है। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम विश्व शांति के लिये खतरा बन गये है।
वैज्ञानिक विधि के विभिन्न पदः
प्रकृति के तथ्यों , रहस्यों और उसकी घटनाओं को क्रमबद्ध सुसंगठित , व्यवस्थित एवं तार्किक ढंग से अध्ययन करके निश्चित नियम एवं सिद्धांत को प्रतिपादित करने की विधि को वैज्ञानिक विधि कहते है । यह एक ऐसी प्रणाल या प्रक्रिया है जिसे वैज्ञानिक अपनाते है । वैज्ञानिकों ने अपनी समस्याओं को हल करने के लिये इस पद्धित को चुना है । वैज्ञानिक विधि पांच मुख्य चरणों में संपन्न होती है :
1 . समस्या ( Problem ) ' P '
2 . परिकल्पना ( Hypothesis ) ' H '
3 . प्रयोगीकरण ( Experimentation ) ' E '
4 . प्रेक्षण ( Observation ) ' V '
5 . निष्कर्ष ( Conclusion ) ' C '
1 . समस्याः - किसी भी समस्या के निराकरण में नया वैज्ञानिक कार्य प्रारंभ होता है । क्यों और किसके द्वारा खोजते है ? बादल कैसे बनते है ? पानी कैसे बरसता है ? रोग क्यों हुआ ? आदि ।
2 . परिकल्पना : - किसी समस्या पर वैज्ञानिकों द्वारा एक या अनेक मत या विचार व्यक्त किये जाते है । प्रत्येक विचार के पीछे कुछ आधार भी होता है जो सही या गलत भी हो सकता है । यही विचार परिकल्पनाएं कहलाते है ।
3 . प्रयोगीकरण : - परिकल्पना की सत्यता को सिद्ध करने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रयोग व प्रेक्षण विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किये जाते है । यदि यह परिकल्पना उन प्रयोगो द्वारा सही सिद्ध होती है तो ठीक है अन्यथा अस्वीकार कर दिया जाता है ।
4 . प्रेक्षण : - प्रयोगों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर समीक्षा की जाती है तथा तथ्यों की वास्तविकता का गहन चिंतन | करते है ।
5 . निष्कर्षः - नियन्त्रिण प्रयोगों द्वारा परिकल्पनाओं की वास्तविकता की परीक्षा की जाती है । कोई परिकल्पना | कितनी भी वास्तविक क्यों न हो प्रयोगों द्वारा सत्यता की परीक्षा अवश्य की जाती है । यदि प्रयोगों के परिणाम | परिकल्पना का समर्थन करते है तो परिकल्पना को सिद्धांत का रूप दे दिया जाता है । वही नियम बन जाता है ।
By: Rakesh Giri
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