गणित का सम्बन्ध हमारे जीवन से बहुत घनिष्ठ है ।
आजकल की सभ्यता का आधार गणित ही है ।
गणित को व्यापार का प्राण और विज्ञान का जन्मदाता समझा जाता है ।
इन्जीनियरिंग का पूरा कार्य गणित पर ही आधारित रहता है ।
मातृ - भाषा के अतिरिक्त ऐसा कोई भी विषय नहीं है जो दैनिक जीवन से इतना अधिक सम्बन्धित हो ।
आधुनिक सभ्यता एप्लाइड गणित के आधार पर ही खड़ी हुई है ।
गणित एक उपकरण है , जिसका प्रयोग विज्ञान करता है । मनुष्य जिस वातावरण में रहता है , उसमें रुचि लेने की क्षमता प्रदान करने के लिए तथा उन प्रयत्नों का मूल्यांकन करने के लिए जो दूसरे लोग प्रयोग करते हैं , गणित का कुछ ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक हो जाता है ।
एक विशेषज्ञ को अपने क्षेत्र में गणित का सरलतापूर्वक प्रयोग करने के लिए उसका पर्याप्त ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए ।
• ऐसे व्यवसायों की संख्या जिनमें गणित के ज्ञान की आवश्यकता होती है , बहुत अधिक है तथा निरन्तर बढ़ती ही जा रही है । _
_ गणित का प्रकृति से भी गहरा सम्बन्ध है ।
प्राकृतिक क्रियाओं में विविधता में परिवर्तन मुख्य है ।
चलन - कलन में परिवर्तन का ही अध्ययन किया जाता है , अतः इसे प्रकृति का गणित कहा जा सकता है ।
प्राकृतिक विज्ञान जैसे - ज्योतिर्विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान अधिकांशत : गणित के समान ही हैं ।
ऐसा माना जाता है कि बल और क्रियाओं के बीच में गणितीय सम्बन्ध रहता है ।
इन सम्बन्धों की खोज तथा नियमीकरण से ही किसी विषय का निश्चित ज्ञान हो पाता है ।
गणित के ज्ञान के बिना प्रकृति का अध्ययन नहीं हो सकता ।
माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी चाहे पूर्ण रूप से इस तथ्य की अनुभूति न कर सकें , परन्तु वह प्रकृति में गणितीय रचना की झलक अवश्य देख सकते हैं ।
गणित में विद्यार्थी को इस बात की आवश्यकता होती है कि वह स्थिति को ठीक रूप से देखें ।
प्रायः अनेक अनावश्यक विचरणों में से तथ्यों की खोज करनी पड़ती है ।
एक विद्यार्थी को स्पष्ट और शीघ्रता से यह जानना होता है कि क्या दिया है और क्या ज्ञात करना है ।
गणित में प्रयुक्त होने वाली प्रक्रिया अनुमानात्मक है । अन्ततः हमारे सभी विचार इसी प्रकार के हैं ।
यदि हम किसी व्यवसाय अथवा व्यापार को चुनते हैं तो हमें एक निश्चित मार्ग अपनाना पड़ता है ।
यदि हम अपने धन को एक विशेष ढंग से खर्च करते हैं , किसी राजनैतिक दल को वोट देते हैं , किसी समिति का कार्य सम्भालते हैं ।
जब कभी भी हमें कार्य करने के विभिन्न तरीकों में से एक का निश्चय करना पड़ता है तो अनुमानात्मक वृत्ति ही हमारे सामने रह जाती है ।
इस महत्वपूर्ण आदत का सामान्य प्रशिक्षण एवं अभ्यास कराने के लिए गणित शिक्षा एक शक्तिशाली शस्त्र बन सकता है ।
इसमें तथ्यात्मक सूचनाएँ कम से कम होती हैं तथा ध्यान को आवश्यक तथा पर्याप्त शब्दों की खोज में तथा निष्कर्ष निकालने पर ही केन्द्रित कर दिया जाता है ।
ऐसे शब्दों के द्वारा , जिनकी संक्षिप्त ढंग से परिभाषा की गयी हो एवं चिह्नों के प्रयोग से , किसी भी तर्क का सार बड़ी स्पष्टता से प्रकट हो जाता है ।
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