गणित में मौखिक और लिखित कार्य

गणित में मौखिक और लिखित कार्य ( Oral and written Work in Mathematics ) 

1.गणित शिक्षण में मौखिक लिखित गणित का अर्थ , महत्व तथा लाभ पर प्रकाश डालिये । कक्षा में मौखिक / लिखित गणित का अभ्यास कराते समय किन - किन बातों पर ध्यान देना चाहिये । अथवा गणित शिक्षण में मौखिक और लिखित कार्य का क्या महत्व है ? अथवा ( अ ) प्रभावपूर्ण गणित शिक्षण में लिखित गणित की भूमिका बताइये । अथवा गणित में लिखित कार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये । ( ब ) मौखिक गणित का क्या महत्व है ? अथवा गणित में मौखिक कार्य के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये । 

उत्तर ( अ ) मौखिक गणित का अर्थ ( Meaning of Oral Mathematics )

 मौखिक गणित से हमारा तात्पर्य यह है कि छात्र गणित की साधारण क्रियाओं को मौखिक स्तर पर विना कागज और पेन्सिल की सहायता से कर सकें । 

यहाँ पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि मौखिक गणित में साधारण प्रक्रियाओं और गणना करने की दक्षता को ही पर्याप्त माना जाता है ।

 मौखिक गणित मानसिक गणित का महत्वपूर्ण भाग है । इन दोनों में अंशो का अन्तर है । योग , व्यकलन , गुणा और भाजन की सरल क्रियाओं को सही करना मौखिक गणित में महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है ।

 मौखिक गणित तथा मानसिक गणित में यह अन्तर है कि मानसिक गणित में समस्याओं के हलों के चरणों को छात्र मौखिक रूप से करते हैं , किन्तु मौखिक गणित में गणना की साधारण क्रियाओं को छात्र मौखिक रूप से करते हैं ।

 मौखिक गणित का महत्त्व ( Importance of Oral Mathematics )

 गणित के अध्ययन में मौखिक गणित का विशेष महत्व है , जिसे निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है

( 1 ) गणित में यान्त्रिक कौशल के लिए मौखिक गणित का अभ्यास अत्यन्त आवश्य है । मोखिक गणित के अभ्यास द्वारा छात्र बौद्धिक गणित की ओर अग्रसर किये जाम है ।

 ( 2 ) जीवन के प्रत्येक कदम पर मौखिक गणित का उपयोग होता है । मौखिक गणित अभाव में दैनिक जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । 

( 3 ) छोटी कक्षा के बालकों को मौखिक गणित आनन्ददायी होता है । साथ ही बड़ी कक्षाओं में भी इसका प्रयोग शोधता एवं प्रगति लाता है । 

( 4 ) मौखिक गणित से गणितीय समस्याओं को शीघ्रता और शुद्धता से हल करने की क्षमता , स्पष्ट चिन्तन , नयी परिभाषाओं एवं प्रत्ययों को समझने की योग्यता का विकास होता है । छोटी कक्षाओ में पहाड़ों को याद करने से छात्रों को संख्याओं के सम्बन्यो को समझने के अवसर मिलते है ।

 ( 5 ) गणित में मौखिक कार्य समस्याओं को हल करते समय निरन्तर करना आवश्यक है । छात्रों की कठिनाइयों के निदान में मौखिक कार्य सहायक सिद्ध होता है । 

6 ) गणित में गणन - क्रियाओं को परिशद्धता के साथ करने में मौखिक कार्य अत्यन सहायक है । 

कक्षा में मौखिक गणित हेतु प्रोत्साहन देने से शिक्षण प्रभावी होता है और डात्र की प्रगति का बोध भी होता है ।

 ( 8 ) इसमें गणना मौखिक बोलकर की जाती है । इस प्रकार मानसिक अनुशासन द्वारा उत्तर बोलकर सही देने की आदत का विकास होता है ।

मौखिक गणित के लाभ ( Advantages of Oral Mathematics ) 

मौखिक गणित के निम्नलिखित लाभ हैं :

(1).मौखिक गणित से छात्रों को विचार शक्ति की गति मिलती है तथा छात्रों का ध्यान आधारभूत सिद्धान्तों की ओर आकर्षित किया जा सकता है । 

(2). मोखिक गणित से गणना करने में समय की बचत होती है तथा छात्र अपनी त्रुटियों की जांच कर स्वयं ठीक कर सकते हैं । 

3 ) मौखिक गणित से छात्रों में समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक पान्त्रिक कुशलता आती है ।

 ( 4 ) मोखिक गणित से छात्रों में गणना प्रक्रियाओं में परिशद्धता आती है ।

 ( 5 ) मौखिक गणित द्वारा छात्रों में विचार शक्ति , तर्क शक्ति तथा विवेक का विकास होता है । 

( 6 ) गणित के सिद्धान्तों एवं संकल्पनाओं की मौखिक गणित द्वारा समझकर धारणाओं को स्पष्ट किया जा सकता है । 

7 ) मौखिक गणित के माध्यम से अध्यापक को छात्रों की प्रगति के बारे में आवश्यक जानकारी निरन्तर मिलती रहती है । 

( 8 ) मौखिक गणित द्वारा छात्रों की योग्यता की जांच शीघ्रता से की जा सकती है । 

( 9 ) गणित में मौखिक प्रश्नो द्वारा छात्रों का ध्यान पाठ को विशेषताओं को ओर खोचा जा सकता है । 

10 ) मौखिक गांगत द्वारा छात्रों के सोचने के तरीकों में घबराहट या संकोच को दूर किया जा सकता है । 

( 11 ) मौखिक गणित छात्रों को दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करता है ।

 ( 12 ) छोटी कक्षाओं में मौखिक गणित का प्रयोग उपयोगी एवं आनन्ददायो है ।

 ( 13 ) गणित में सामूहिक शिक्षण को प्रभावी बनाने में मौखिक गणित का उपयोग लाभकारी है । 

( 14 ) मौखिक गणित का प्रयोग गणित के आधारभूत सिद्धान्तों एवं नियमों आदि के अभ्यास में अत्यन्त सहायक होता है । 

( 15 ) लिखित गणित करते समय मौखिक गणित द्वारा अनेक चरणों को शीघ्रता से हल किया जा सकता है । 

( 16 ) चात्रों के मूल्यांकन हेतु मौखिक गणित का प्रयोग परीक्षा का एक महत्त्वपूर्ण भाग बनाया जा सकता है । साथ ही पुनरावृत्ति भी शीघ्रता से की जा सकती है । 

कक्षा में मौखिक गणित का अभ्यास कराते समय ध्यान देने योग्य बातें Things Attentive for in Taking exercise of Oral Mathematics in class )

 मौखिक गणित का अभ्यास कराते समय निम्नलिखित बाते शिक्षक को ध्यान में रखना चाहिए:-

1.मौखिक प्रश्न छात्र से उसकी योग्यतानुसार पूछे जाने चाहिए ।

 ( 2 ) नवीन सिद्धान्तो । एवं प्रत्ययों को पढ़ाते समय मौखिक गणित का अधिक प्रयोग करना चाहिए । 

( 3 ) मौखिक गणित के प्रश्नों में केवल छोटी संख्याओं का ही प्रयोग करना चाहिचाहि।

4. प्रश्न छोटे होने चाहिए ताकि वे उन्हें सरलता से समझ सके । 

( 5 ) मौखिक प्रश्नों में जटिल गणनाओं को कराने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए । 

( 6 ) मौखिक प्रश्नों को पूछने का क्रम निश्चित होना चाहिए । मौखिक प्रश्न पूछने के पश्चात् छात्रों को सोचने का अवसर देना चाहिए । 

( 8 ) मौखिक प्रश्नों के द्वारा चिन्तन तथा तर्क को प्रोत्साहन मिलना चाहिए । 

( 9 ) मौखिक गणित के द्वारा छात्रों में गणितीय सिद्धान्तो के बारे में स्पष्टता प्राप्त हो और उनको रटने की आदत न पड़े ।

 ( 10 ) मौखिक प्रश्न ऐसे हो कि छात्र अनुमान लगाकर उत्तर नहीं दें । 

( 11 ) मौखिक प्रश्नो के उत्तर यथासम्भव छात्र ही दें . इसका प्रयास करना चाहिए । कमजोर छात्रों के अशुद्ध उत्तरों को तीव्र छात्रों से ठीक कराना भी उपयुक्त होता है । 

( 12 ) मौखिक गणित के माध्यम से छात्र व्यक्तिगत रूप से दक्षता प्राप्त करने का प्रयत्न करें , यह आवश्यक है ।

 ( 13 ) मौखिक गणित करते समय यदि कोई अस्पष्टता हो तो छात्रों को लिखकर समाधान करने का अभ्यास कराना चाहिए ।

 14 ) मौखिक गणित को लिखित गणित का पूरक समझा जाना चाहिए । 

( 15 ) मौखिक प्रश्नों को सर्वप्रथम सारी कक्षा के समक्ष प्रस्तुत कर देने के बाद ही किसी एक छात्र को उत्तर देने के लिए कहना चाहिए । 

( ब ) लिखित गणित का अर्थ ( Meaning of Written Mathematics ) जब समस्याओं का हल कागज और पेन्सिल की सहायता से किया जाय , तो उसे लिखित गणित कहते हैं । लिखित कार्य करते - करते ही छात्रों को मौखिक गणित का भी प्रयोग करना चाहिए । जटिल प्रश्नो का हल मौखिक रूप से नहीं किया जा सकता , उस समय लिखित गणित करना आवश्यक है । मौखिक रूप से जटिल गणनाएँ करने पर मस्तिष्क पर बहुत जोर पड़ता है । वैसे लिखित गणित , मौखिक गणित का ही पूरक है । . लिखित गणित का महत्त्व ( Importance of Written Mathematics ) लिखित कार्य का गणित में निम्नलिखित महत्त्व है:-

 ( 1 ) इसे प्रयोग करने से छात्र के मस्तिष्क को कम परिश्रम करना पड़ता है तथा शीघ्रता से समस्या का हल ज्ञात किया जा सकता है ।

 ( 2 ) लिखित कार्य करते समय छात्रों को स्वालम्बटतापूर्वक एकाग्रचित्त होकर व्यक्तिगत प्रयास करने के अवसर मिलते हैं । 

( 3 ) समस्याओं के सही हल ज्ञात करने से छात्रों में आत्म - विश्वास का विकास होता है तथा वे जटिल से जटिल समस्याओं को हल करने का सफल प्रयास करने लगते हैं । 

( 4 ) सीखे हुए सिद्धान्तो , सम्बन्धों , नियमो , संकल्पनाओं , तथ्यों एवं प्रक्रियाओ का अभ्यास करने के लिए लिखित गणित आवश्यक है । लिखित गणित तभी करना चाहिए जब छात्रों को आधारभूत सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण भलो भाँति हो जाय ।

 ( 5 ) छोटी कक्षाओं में लिखित गणित पर अधिक जोर नहीं देना चाहिए , क्योंकि इस स्तर पर जटिल समस्याओं को छात्र प्रायः नहीं कर पाते । ऊंची कक्षाओं में लिखित गणित का उपयोग आवश्यक है ।

 ( 6 ) लिखित गणित करने में मानसिक तथा मौखिक गणित का उपयोग आवश्यक है । 

( 7 ) लिखित कार्य में दी गयी समस्या में स्थिति के अनुसार आकृतियाँ खींचना , रेखाचित्र बनाना , ग्राफ एवं सारिणी आदि बनाना लिखित कार्य के आवश्यक भाग है । 

( 8 ) लिखित गणित के माध्यम से छात्रों का सही मूल्यांकन होता है ।

लिखित गणित के लाभ ( Advantages of Written Mathematics ) -

लिखित गणित के निम्नलिखित लाभ है :-

( 1 ) लिखित गणित के माध्यम से छात्रों की मानसिक गणित तथा मौखिक गणित के लाभ की क्षमता का परिचय मिलता है ।

2. लिखित गणित में छात्र अपना ताकिक शक्ति एवं रचनात्मक कल्पना का अधिकाधिक प्रयोग करते हैं । 

3 ) समस्याओं को हल करते समय छात्रों में स्वावलम्बन की भावना का विकास होता है तथा वे जटिल समस्याओं को आत्म - विश्वास के साथ हल कर सकते हैं । 

( 4 ) गणित के लिखित कार्य में छात्र स्वयं अपनी त्रुटियों को जाँच कर संशोधन कर सकता है तथा इस प्रकार से मौखिक गणित प्रयोग करने की क्षमता का उसमें विकास होता है । 

( 5 ) लिखित गणित द्वारा छात्रों के विचारों में क्रमबद्धता आती है तथा तक का सही रुप प्रत्यक्ष में आता है । 

( 6 ) लिखित गणित के माध्यम से शिक्षक को छात्रों के ज्ञान के स्तर के बारे में सही जानकारी मिल जाती है । 

( 7 ) छात्रों को सजग रखने के लिए लिखित कार्य आवश्यक है । 

( 8) छात्र में स्वाध्यायशीलता को लिखित कार्य द्वारा पनपाया जा सकता है । 

( 9 ) लिखित गणित द्वारा छात्रों में गति के साथ शद्धता से काम करने की भावना का विकास होता है ।

 10 ) लिखित गणित से छात्रों में सामग्री प्रस्तुत करने की शैली का विकास होता है ।

 ( 11 ) किसी प्रश्न को हल करने की निर्धारित समय की सीमा का बोध तथा हल की क्षमता का विकास लिखित गणित द्वारा ही होता है ।

 12 ) लिखित कार्य के निरीक्षण द्वारा छात्र एवं अध्यापक के कार्य तथा परिश्रम का भी अनुमान लगाया जा सकता है ।

 ( 13 ) लिखित कार्य के अवलोकन द्वारा त्रुटियों के निदान तथा उपचारात्मक शिक्षण का आयोजन सम्भव होता है । 

( 14 ) गृह - कार्य की उपयोगी विधा या माध्यम लिखित गणित ही है ।

 ( 15 ) लम्बी तथा बड़ी गणना के लिए लिखित कार्य आवश्यक है । लिखित गणित में छात्रों को सूत्रों एवं विधियों आदि को प्रयोग करने के अवसर मिलते हैं ।

 16 ) सीखी हुई पाठ्य - सामग्री का सही मूल्यांकन लिखित गणित द्वारा ही सम्भव है ।

 ( 17 ) स्वयं के लिखित गणित के कार्य को देखकर छात्रों को भविष्य में पुनरावृत्ति करने में सहायता मिलती है । 

लिखित गणित में ध्यान देने योग्य बातें ( Attentive Points regarding Written Mathematics )

 लिखित गणित में निम्नलिखित बातें ध्यान देने की हैं , इनसे इसे अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है:-

1. लिखित गणित कराने से पहले छात्रों को मौखिक रूप से सिद्धान्तों एवं नियमों को समझा देना चाहिएचाहि

2. लिखित गणित में स्वच्छता , शुद्धता एवं व्यवस्थित ढंग से कार्य करने की आदत पर जोर दिया जाना आवश्यक है । 

3. लिखित कार्य का सुधार ( संशोधन ) छात्रों के समक्ष ही किया जाय जिससे छात्रों को उनकी त्रुटियों का बोध हो सके ।

4. प्रत्येक छात्र का लिखित कार्य अवश्य जांचा जाय तथा संशोधन के सुझाव स्पष्ट रूप से दिये जायें । 

5. लिखित गणित में गह कार्य को भी प्रमुख अग माना जायजाये

6. प्रखर विद्यार्थियों के लिखित कार्य द्वारा पिछडे विद्यार्थियों को मार्ग - दर्शन दिया जा सकता है । 

7. लिखित गणित कराते समय छात्रों को मानसिक तथा मौखिक गणित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । 

8. लिखित गणित के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही लिखित कार्य को योजना तैयार करनी चाहिए । 

9. कक्षा में पिछडे विद्यार्थियों के लिखित कार्य को और शिक्षक को विशेष ध्यान देना चाहिएचाहि।

10. लिखित कार्यों की सामान्य त्रुटियों को कक्षा में श्यामपट्ट पर सामूहिक रूप से समझा देना चाहिए । 

11. लिखित गणित कराते समय छात्र सहो तर्क करें , यह बात अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

12. लिखित गणित में हल करने के लिए दी गयी समस्याएं जीवन से सम्बन्धित होना चाहिए । 

13. लिखित गणित को करने के लिए अभ्यास पुस्तिका निर्धारित हो जिससे कि छात्रों के कार्य को एक साथ देखने में सुविधा हो सके । 


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