बच्चे,बचपन और उनका विकास बिहार के विशेष संदर्भ में B.Ed. 1st year Childhood and Growing Up


बाल्यावस्था और बिहार की शिक्षा व्यवस्था [CHHHOOD AND EDUCATION SYSTEM OF BIHAR]



  • शिक्षा एवं विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध है । शिक्षा विकास की प्रक्रिया है ।
  • बाल्यावस्था बालक के जीवन की महत्त्वपूर्ण अवस्था है ।
  • अत : यह जरूरी नहीं बल्कि अनिवार्य भी है कि बालक के विकास के समस्त पक्षों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा का स्वरूप निर्धारित किया जाय ।
  • बालक की शिक्षा का दायित्व माता - पिता , शिक्षक तथा समाज पर है ।
  • बाल्यावस्था के दौरान बालक - बालिकाओं की शिक्षा व्यवस्था करते समय प्रान्तीयता को ध्यान में रखना आवश्यक है ।
  • सभी प्रान्तों की शिक्षा व्यवस्था प्रान्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है ।


बाल्यावस्था एवं बिहार की शिक्षा ( CHILDHOOD AND EDUCATION OF BIHAR )


बाल्यावस्था में शिक्षा के लिए बिहार में विशेष प्रबन्ध किये गये हैं । ये प्रबन्ध इस प्रकार हैं

1. गुणवत्ता सुधार के प्रयास ( Efforts of Reform Qualitative ) —

बिहार में स्कूल शिक्षा के सन्दर्भ में गुणवत्ता सुधार पर विशेष बल दिया गया है । सभी के लिए शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक सन्तोषजनक गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य के रूप में सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र गुणवत्ता सुधार है ।

  उपयोग 

  • नामांकन और प्रतिधारण पर केवल फोकस बेहतर स्कूल प्रभावशीलता का परिणाम नहीं हो सकता है ।
  •  गुणवत्ता की उपलब्धि की ओर प्रयास का उपयोग , नामांकन और प्रतिधारण बढ़ाने की दिशा में निर्देशित प्रयासों के साथ सहयोग किये जाने की आवश्यकता है ।
  • सभी गुणवत्ता निर्देशित हस्तक्षेप का अन्तिम लक्ष्य स्कूल कक्षा सेटिंग्स के अन्दर सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास है ।
  •  स्कूलों एवं कक्षाओं के अन्दर गुणवत्ता सुधार की दिशा में योगदान देने वाले प्रमुख घटक हैं

कठिन परिस्थितियों में बच्चे ( Children in Difficult Circumstances ) -



  • बाल्यावस्था में बच्चे कुछ कठिन परिस्थितियों में फँस जाते हैं । वे ठीक प्रकार से शिक्षा नहीं ले पाते हैं ।
  • निर्धनता के कारण बच्चे बाल श्रम करने लगते हैं । कुछ बच्चों का सामाजिक - आर्थिक स्तर अत्यन्त निर्बल होता है तथा परिवार को सहयोग देने के लिए वे कार्य करने लगते हैं ।
  •  बालिकाएँ अपने छोटे भाई - बहिनों को सँभालने लगती हैं या घरों में माता को गृहस्थी के कार्यों में सहयोग देने लगती हैं ।
  •  कई बार विद्यालयों को घर से अधिक दूरी होती है जिसके कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं ।
  • आस - पास विद्यालयों की कमी भी बच्चों के नामांकन को कम कर देती है । लड़कियों की शिक्षा में लिंग - भेद स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है , इससे प्राथमिक शिक्षा में बालिकाओं का नामांकन कम होता है ।
  • प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करने के लिए सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान चलाया है तथा इसके लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह आवश्यक माना है कि धर्म , जाति , पंथ तथा लिंग आदि की परवाह किये बिना सभी बच्चों की भागीदारी आवश्यक है ।
  • यात्र बच्चों में से आधी आबादी लड़कियों की है जो प्राथमिक शिक्षा की भागीदारी से दूर हैं । उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

2. प्रबन्धन ढाँचे में सुधार ( Reform in Management Frames ) —

  •  प्रबन्धन ढाँचे में सुधार के लिए भी उपाय किये गये हैं .
  •  सर्व शिक्षा अभियान को लागू करने के लिए तथा प्रभावी प्रबन्धन के लिए उसकी संरचना मजबूत करना महत्त्वपूर्ण माना है ।
  • जहाँ तक प्रबन्धन संरचना का सवाल है कार्यक्रम में परिकल्पित आवश्यक संरचनाओं के दृश्य प्रतिनिधित्व को हाइपरलिंक संगठनात्मक चार्ट के रूप देखा जा सकता है ।
  •  सर्व शिक्षा अभियान में परियोजना प्रबन्धन संचालित करने तथा उसे सुविधाजनक बनाने के लिए तथा राज्य / डिवीजन / जिला / ब्लॉक / सीआरसी / स्कूल स्तर पर समर्थन प्रदान करते हैं और सर्व शिक्षा अभियान के क्षेत्र में विभिन्न सरकारी कर्मचारियों , शिक्षकों , छात्रों , अभिभावकों , पंचायती राज संस्थाओं , सामुदायिक तथा स्वयंसेवी संस्थाओं और रचनात्मक व्यक्तियों को शामिल किया जायेगा जिससे प्रबन्धन ढाँचे में सुधार हो सके ।

3. सामुदायिक अभिप्रेरणा और मीडिया ( Community Motivation and Media ) 

  • 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम , 1992 पंचायती राज संस्थाओं ( पीआरआई ) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है ।
  •  संविधान अधिनियम , 1992 को दृष्टि को साथ रखते हुए , सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं के क्रियान्वयन को सुविधाजनक बनाने में समुदाय की भागीदारी के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं ।
  • पंचायत , वीएसएस और अन्य समुदाय मंचों दोनों ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा के परिदृश्य में समुदाय को भागीदारी के लिए जमीनी स्तर पर एक मजबूत आधार बनाने के द्वारा एक - दूसरे के पूरक हैं , ऐसा सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिकल्पित किया गया है ।

4. नागरिक कार्य (Work of Citizen)

  • सरकार ने गुणवत्ता सुधार के तहत नागरिक कार्यों पर भी बल दिया है ।
  • आर्थिक रूप से यह परियोजना परिव्यय में से एक तिहाई तक का उपभोग कर सकते हैं ।
  •  सिविल वर्क सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक महत्त्वपूर्ण घटक है ।
  • स्कूल के बुनियादी ढांचे का प्रावधान सर्व शिक्षा अभियान का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है ।
  •  जो बच्चों के लिए उपभोग प्रदान करने में मदद करता है और यह भी उनको बनाये रखने में मदद करते हैं ।
  •  इसी प्रकार ब्लॉक स्तर पर संसाधन केन्द्रों के लिए बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है जो शैक्षिक समर्थन बनाने में मदद करते हैं।






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