पर्यावरणीयय शिक्षा की अवधारणा :अर्थ,प्रकृति,महत्त्व,अवयव
- पर्यावरण शिक्षा का सरल अर्थ वह शिक्षा है , जो हमें अपने संरक्षण ,गुणवत्ता, संवर्द्वन और सुधार की व्याख्या करती है।मनुष्य प्रकृति से सीखे, प्रकृति के अनुसार अपने आपको ढाले और प्रकृति को प्रदूषित करने के बजाए उसका संरक्षण करे । यही संचेतना हमें पर्यावरण शिक्षा से मिलती है ।
- पर्यावरण शिक्षा वास्तव में मानव द्वारा प्रकृति के प्रति अत्याचारों की शिक्षा का बोध करती है और भविष्य में सावधान रहने के लिए मानव को तैयार करती है।
- पर्यावरणीय शिक्षा पर्यावरणीय प्रबन्धन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। इसमें पर्यावरण के विभिन्न पक्षों व धटकों का मानव के साथ अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसमें जीवमण्डलीय पारिस्थितिक तन्त्र को प्रभावित करने वाले धटकों की भी जानकारी मिलती है। पर्यावरण शिक्षा को एक निश्चित परिभाषा के दायरे में बाधना बड़ा कठिन है।
पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता
- पर्यावरणीय संकट व समस्याओं की व्यापकता व विस्तार से ग्रस्त व भयभीत सम्पूर्ण मानवता को बचाने , उसकी रक्षा करने , व भविष्य को सुखी बनाने हेतु पर्यावरणीय शिक्षा आज की प्राथमिक आवश्यकता है।
- यदि इस शिक्षा की उपेक्षा कर दी जाये तो जन -जन में पर्यावरण अवबोध व गुणवत्ता बनाये रखने की चेतना जागृत नहीं होगी और पर्यावरण व पारिस्थितिकी का असन्तुलन निरन्तर बढ़ता जायेगा जिससे ओजोन परत पर छिद्र बडा होने से सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ने लगेगी ,मृदा की उर्वरक धारण शक्ति कम हो जाने से उपज न होगी । पीने के लिए शुद्व जल नहीं मिलेगा और तापीय प्रदूषण उम्पन्न होने तथा कल- कारखाने व अन्य साधनों से इतना अधिक शोर होगा कि कान फटने लगेगें।
- संक्षेप में मानव अपंग व अशक्त हो जावेगा। अत: इन समस्त संकटों व समस्याओं से बचने के लिए तथा मानव का सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
पर्यावरण शिक्षा की परिभाषा
- चैरमैन टेलर के अनुसार- “पर्यावरण शिक्षा को सद्नागरिकता का विकास करती है । और इससे अध्येता में पर्यावरण के संबंध में लापकारी, प्रेरणा और उत्तरदायित्व के भाव आते है ।”
- एनसाइक्लोपीडिया ऑफ एज्यूकेशन रिसर्च के अनुसार - शिक्षा का कार्य व्यक्ति का पर्यावरण से इस सीमा तक सामंजस्य स्थापित करना होता है, जिससे व्यक्ति और समाज को स्थायी संतोष मिल सके ।”
- बेसिंग महोदय के अनुसार - “पर्यावरण शिक्षा की परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है। पर्यावरण शिक्षा के विषय क्षेत्र अन्य पाठ्यक्रमों की तुलना में कम परिभाषित है । फिर भी वह सर्वमान्य है कि पर्यावरण शिक्षा बहुविषयी होनी चाहिए, जिसमें जैविक , सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय संसाधनों से सामग्री प्राप्त होती है । इस शिक्षा के लिए सम्प्रत्यात्मक विधि सर्वोत्तम है ।”
पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति
पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति अन्य विषयों की शिक्षा की प्रकृति से भिन्न है, क्योकि पर्यावरण शिक्षा देने के स्तर व उसका क्षेत्र अन्य पाठ्यक्रम की शिक्षा के स्तरों व क्षेत्रों से अधिक व्यापक और विस्तृत है। इसके साथ ही पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति की अपनी स्वंय की अन्य अनेक विशेषताए ऐसी है जो अन्य पाठ्यक्रम की तुलना में पृथक -पृथक है । पर्यावरण शिक्षा विश्व के सभी देशों के सामाजिक समूहों के लिए आवश्यक है ।तथा विश्व के सभी देशों में औपचारिक एंव अनौपचारिक रुप में संचालन पर बल दिया जाता है। पर्यावरण शिक्षा के अन्तर्गत जीवन और जगत् की समस्याओं का पर्यावरणीय दृष्टि से अध्ययन किया जाता है। जो है-
पर्यावरणीय शिक्षा के प्रमुख अवयव हैं(Major Components of Environmental Education)
- पर्यावरण और पर्यावरण की चुनौतियों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता
- पर्यावरण और पर्यावरण चुनौतियों का ज्ञान और समझ
- रुख पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है और प्रेरणा की सुधार या पर्यावरण की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए
- पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करने में मदद करने के लिए कौशल की पहचान करना
- पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए गतिविधियों में भागीदारी
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