दर्पण समीकरण सूत्र स्थापना : किरण डायग्राम बनाकर हम किसी भी वस्तु के प्रतिबिम्ब के निर्माण , आकृति , स्थिति, ऊंचाई आदि के बारे सभी प्रकार की जानकारियां ज्ञात कर सकते है चाहे वस्तु दर्पण के किसी भी स्थिति पर क्यों न स्थित है।
हम यहाँ दर्पण सूत्र की स्थापना करते है जिनका उपयोग कर हम कई प्रकार की जानकारियां सीधे ज्ञात कर सकते है , हमें सिर्फ सूत्र में कुछ मानों को रखना होगा और हमें जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
हम यहाँ दर्पण सूत्र की स्थापना करते है जिनका उपयोग कर हम कई प्रकार की जानकारियां सीधे ज्ञात कर सकते है , हमें सिर्फ सूत्र में कुछ मानों को रखना होगा और हमें जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
चित्रानुसार एक अवतल दर्पण के सामने कोई वस्तु YZ रखी हुई , जो दर्पण के ध्रुव से u दूरी पर रखी हुई है तथा दर्पण के ध्रुव P से v दूरी पर वस्तु का प्रतिबिम्ब Y’Z’ बनता है।
दर्पण का फोकस बिन्दु F है जिसकी ध्रुव से दूरी को f से दर्शाया गया है।
दर्पण के वक्रता केंद्र को C से दिखाया है।
दर्पण के लिए सूत्र ज्ञात करने के लिए हम त्रिभुज JPF तथा Z’Y’F पर चर्चा करते है , हम देख सकते है की दोनों त्रिभुज समरूप त्रिभुज है
अत: समरूप के नियम से
दर्पण का फोकस बिन्दु F है जिसकी ध्रुव से दूरी को f से दर्शाया गया है।
दर्पण के वक्रता केंद्र को C से दिखाया है।
दर्पण के लिए सूत्र ज्ञात करने के लिए हम त्रिभुज JPF तथा Z’Y’F पर चर्चा करते है , हम देख सकते है की दोनों त्रिभुज समरूप त्रिभुज है
अत: समरूप के नियम से
ध्यान दे यहाँ हम JP को एक सीधी रेखा के रूप में मान रहे है।
ठीक इसी प्रकार त्रिभुज YZP तथा Y’Z’P भी समरूप त्रिभुज है अत: समरूपता के नियम से
ठीक इसी प्रकार त्रिभुज YZP तथा Y’Z’P भी समरूप त्रिभुज है अत: समरूपता के नियम से
दोनों समीकरणों में देख सकते है की दोनों में एक साइड बराबर है अत: दूसरी साइड भी बराबर होगी
अत:
अत:
उक्त समीकरण को ही दर्पण समीकरण सूत्र कहते है , हमने इस सूत्र की स्थापना अवतल दर्पण का उदाहरण की सहायता से की है लेकिन उत्तल दर्पण द्वारा ज्ञात करने पर भी सूत्र यही प्राप्त होता है अर्थात इसे अवतल तथा उत्तल दोनों दर्पणों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
अब हम किसी दर्पण के लिए वस्तु के सापेक्ष प्रतिबिम्ब के आकार की गणना करते है अर्थात आपस में वस्तु के आकार तथा प्रतिबिम्ब के आकार में क्या सम्बन्ध है यह ज्ञात करते है।
माना वस्तु की उचाई या आकार h0 है तथा प्रतिबिम्ब की ऊंचाई या आकर h1 है
ऊपर ज्ञात सम्बन्ध ज्ञात किया है
अब हम किसी दर्पण के लिए वस्तु के सापेक्ष प्रतिबिम्ब के आकार की गणना करते है अर्थात आपस में वस्तु के आकार तथा प्रतिबिम्ब के आकार में क्या सम्बन्ध है यह ज्ञात करते है।
माना वस्तु की उचाई या आकार h0 है तथा प्रतिबिम्ब की ऊंचाई या आकर h1 है
ऊपर ज्ञात सम्बन्ध ज्ञात किया है
यहाँ कुछ राशियाँ ऋणात्मक ली गयी है यह तो हमने चिन्ह परिपाटी में पढ़ ही लिया है
अत: इसे आगे हल करने पर हम निम्न सूत्र पाते है
अत: इसे आगे हल करने पर हम निम्न सूत्र पाते है
निम्न सूत्र को दर्पण की आवर्धन क्षमता कहते है तथा m से दर्शाते है।
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