बाल्यावस्था (CHILDHOOD) (6-12 वर्ष तक )

 बाल्यावस्था (CHILDHOOD) (6-12 वर्ष तक )


वाल्यावस्था जन्म के बाद मानव विकास की दूसरी अवस्था है जो शैशवावस्था की समाप्ति के उपरान्त प्रारम्भ होती है। यह अवस्था वालक की आदतों, व्यवहार, रुचि व इच्छाओं के आकार निर्धारण का काल होता है।


मनोवैज्ञानिक कॉल एवं ब्रश ने वाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा है क्योंकि इस काल के 6वें वर्ष में बालक उग्र, सातवें वर्ष में उदासीन व अकेलेपन का गुण, नवें वर्ष में समूह भावना की प्रवलता एवं बाद के वर्षों में रोमांचक कार्यों की ओर झुकाव दर्शाता है। इस अवस्था में बालक व्यक्तिगत तथा सामाजिक व्यवहार करना सीखना प्रारम्भ करता है तथा उसकी औपचारिक शिक्षा का प्रारम्भ भी इसी अवस्था में होता है।


बाल्यावस्था की विशेषताएं 


1. जीवन का अनोखा काल (कॉल एवं ब्रश ने कहा)


2. जीवन का निर्माणकारी काल (सिगमण्ड फ्रायड ने कहा)


3. प्रतिद्वन्द्वात्मक समाजीकरण का काल (किलपैट्रिक ने कहा)


(सर्वाधिक सामाजिक विकास)


4. छद्म/मिथ्या परिपक्वता का काल (रॉस ने कहा)


5. वैचारिक अवस्था का काल


6. शिक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण काल


7. यथार्थवादी दृष्टिकोण


8. नेता बनने की इच्छा


9. समलिंगीय समूह भावना


10. खेल की आयु (Game Age)


11. समूह/दल/टोली (Gang Age) की आयु


12. प्रारम्भिक विद्यालय की आयु


13. बिना काम के भ्रमण (घूमने) की प्रवृत्ति


14. बहिर्मुखी स्वभाव


15. संग्रह करने की प्रवृत्ति/संचय करने की प्रवृत्ति


16. नैतिक गुणों का विकास


17. कल्पनाशक्ति एवं अमूर्त चिन्तन के प्रारम्भ का काल


18. शारीरिक व मानसिक विकास में स्थिरता


19. रचनात्मक कार्यों में आनन्द अर्थात् बालक में सृजनशीलता के गुण पाये जाते हैं।


20. मूर्त (प्रत्यक्ष) चिन्तन की अवस्था


21. बाल्यावस्था में बालक में सबसे कम कामुकता पायी जाती है एवं बालक भयमुक्त रहता है।


परिभाषाएँ


क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, "जब बालक 6 वर्ष का हो जाता है, तब उसकी


मानसिक योग्यताओं का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है।"


रॉस के अनुसार, "बाल्यावस्था मिथ्या परिपक्वता का काल है।"


स्ट्रंग के अनुसार, "ऐसा शायद ही कोई खेल हो जिसे दस वर्ष के बालक न खेलते हों।"


उदाहरण 1. लड़का-लड़के के साथ और लड़की लड़की के साथ खेलना व रहना पसन्द करते हैं। इस अवस्था में समलैंगिक भावना अधिक रहती है।


उदाहरण 2. बालक इस अवस्था में स्वयं को परिपक्व या समझदार दिखाने की कोशिश करता है इसलिए इसे मिथ्या परिपक्वता काल कहा जाता है।


उदाहरण 3. लड़के पुराने सिक्के, काँच की गोलियाँ आदि एकत्रित करते हैं तथा लड़कियाँ गुड़िया, कलर, चूड़ियाँ आदि एकत्रित करती हैं अर्थात् इस आयु में बालक में संग्रह की प्रवृत्ति पाई जाती है।


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