किशोरावस्था (ADOLESCENCE) (12-18 वर्ष तक)

 किशोरावस्था (ADOLESCENCE) (12-18 वर्ष तक)


'Adolescence' शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द Adolecere से हुई है जिसका अर्थ है परिपक्वता की ओर बढ़ना। स्टेनली हॉल ने Adolescence (एडोलेसेन्स) नामक पुस्तक 1904 में प्रकाशित की। इस पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि किशोर में जो भी परिवर्तन दिखाई देते हैं वे. अचानक होते हैं और उनका पूर्व अवस्थाओं से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। स्टेनली हॉल ने अपने आकस्मिक विकास के सिद्धान्त के पक्ष में एक और पुनरावृत्ति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। अतः इनका सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माना गया। इसी कारण स्टेनली हॉल को किशोरावस्था का जनक माना जाता है।


बाल्यावस्था व युवावस्था के मध्य का काल किशोरावस्था कहलाता है। इस काल में बालक परिपक्वता की ओर संक्रमण (प्रवेश) करते हैं अतः किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें बालक परिपक्वता की ओर अग्रसर होता है तथा जिसकी समाप्ति पर वह पूर्ण परिपक्व व्यक्ति बन जाता है।


(1) पूर्व किशोरावस्ता/वयः सन्धि- 11 से 15 वर्ष इसे द्रुत एवं तीव्र विकास का काल, अटपटे व समस्याओं की आयु, तूफान व उलझन की अवस्था कहते हैं।.


पूर्व किशोरावस्था/टीन एज/एज ऑफ ब्यूटी


1. लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का विकास तीव्र ।


2. लड़कियों की लम्बाई, आवाज कोमल सुरीली, बगल व गुप्तांगों पर बाल तथा 12-14 वर्ष में मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है। शारीरिक एवं मानसिक विकास बाल्यावस्था की उपेक्षा अधिक तीव्र गति से होता है। 

3. लड़कों में विकास 14 वर्ष के बाद तीव्र गति से होता है।

4. बालक का बिगड़ना व सुधरना इसी काल पर निर्भर होता है।


5. यह अवस्था बाल्यावस्था के अन्त होने से पहले व किशोरावस्था के शुरू होने के उपरान्त खत्म हो जाती है।


(2) उत्तर किशोरावस्था 17 से 19 वर्ष ।


स्मरणीय तथ्य


1. नये जन्म का काल (स्टेनले हॉल ने कहा)


2. परिवर्तन का काल (सर्वाधिक शारीरिक परिवर्तन)


3. दबाव, तूफान, संघर्ष एवं तनाव का काल (स्टेनले हॉल ने)


4. जीवन का सबसे कठिन काल


5. संक्रमण तथा परिवर्ती अवस्था


6. विशिष्टता की खोज का समय


7. आकस्मिक/त्वरित की आयु


8. स्वर्णकाल (Golden Age)


9. बसन्त ऋतु


10. समायोजन का अभाव


11. देशभक्ति की भावना


12. संवेग अस्थिर


13. वीर पूजा की प्रवृत्ति


14. चहुँमुखी विकास अर्थात् शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व संवेगात्मक विकास


15. व्यवसाय चुनाव की चिन्ता


16. कल्पना का बाहुल्य व दिवास्वप्न की प्रवृत्ति


17. सर्वाधिक काम प्रवृत्ति एवं सर्वाधिक विषम लैंगिक आकर्षण (बालक- बालिका विपरीत लिंगों में रुचि)


18. तार्किक चिन्तन/अमूर्त चिन्तन की अवस्था


19. पीढ़ियों में अन्तर के कारण विचारों में मतभेद


20. समस्याओं की आयु व उलझन की अवस्था


21. समाजसेवा की भावना (इस अवस्था में बालक अपने द्वारा किये गये सामाजिक कार्यों की सामाजिक स्वीकृति चाहता है)।

परिभाषाएँ


स्टेनली हॉल के अनुसार, "किशोरावस्था बड़े संघर्ष, तनाव, तूफान व विरोध की अवस्था है।"


रॉस के अनुसार, "किशोर समाज सेवा के आदर्शों का निर्माण व पोषण करते हैं।"


वेलेण्टाइन के अनुसार, "किशोरावस्था अपराध प्रवृत्ति के विकास का नाजुक समय है।"


किलपैट्रिक के अनुसार, "किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है।" क्रो एवं क्रो के अनुसार, "किशोर ही वर्तमान की शक्ति और भावी आशा को प्रस्तुत करता है।"


जरशील्ड के शब्दों में, "किशोरावस्था वह समय है जिसमें विचारशील व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर संक्रमण करता है।"


कोल व ब्रश के अनुसार, "किशोरावस्था के आगमन का मुख्य बिह संवेगात्मक विकास में तीव्र परिवर्तन है।" किशोरावस्था, शैशवावस्था की पुनरावृत्ति का काल है।"


जॉन्स के अनुसार, " हैडो कमेटी के अनुसार, "ग्यारह या बारह वर्ष की आयु में बालक की नसों में ज्वार उठना प्रारम्भ हो जाता है, इसे किशोरावस्था के नाम से पुकारा जाता है। यदि इस ज्वार का समय पहले उपयोग कर लिया जाए और इसकी शक्ति तथा धारा के साथ-साथ नई यात्रा आरम्भ कर दी जाए तो सफलता प्राप्त की जा सकती है।”


उदाहरण 1. इस अवस्था में बालक में देशभक्ति की भावना जोर-शोर से रहती है क्योंकि संवेग जल्दी उत्पन्न होते हैं तथा जल्दी ही स्वतः खत्म हो जाते हैं। इस अवस्था में संवेग अस्थिर होते हैं।


उदाहरण 2. इस अवस्था में बालक किसी प्रसिद्ध व्यक्ति या विद्वान् को अपना आदर्श मानता है तथा उसकी जैसे ही अपने-आपको ढालने की कोशिश करता है अर्थात् वीर पूजा का भाव विद्यमान होता है।


उदाहरण 3. कुछ बालक विशिष्ट दिखने के लिए अलग-अलग हेयर स्टाइल व वेशभूषा का चयन करते हैं; जैसे बालों में फलों की आकृति (अनन्नास, ऐप्पल), अलग-अलग कलर करना, पशु-पक्षियों की आकृति में बाल कटवाना अर्थात् विशिष्ट दिखने का भाव विद्यमान रहता है।


उदाहरण 4. इस आयु में कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो मन को बहुत अच्छी लगती हैं। जैसे- किसी लड़की को पसन्द करना तथा उसे जीवन-साथी के रूप में चुनने की सोचना। उसके साथ घूमना-फिरना अर्थात् उसके लिए यह बसन्त ऋतु के समान ही होता है।


उदाहरण 5. इस आयु में बालक को व्यवसाय की चिन्ता, शादी की चिन्ता, जीवन-साथी की चिन्ता आदि होती हैं इसलिए इस आयु को समस्याओं की आयु या उलझन की आयु कहते हैं।


ध्यातत्य रहे- शारीरिक विकास में सबसे पहले नाड़ी संस्थान (Nervous System) का विकास होता है। वयः संन्धि में शारीरिक वृद्धि की गति पुनः एक बार तीव्र हो जाती है इसलिए इसे 'Puberty Growth Spurt' भी कहते हैं।


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