गणित का पाठ्यक्रम में स्थान(Placeof Mathematics in Curriculum)
★ शिक्षा में किसी भी विषय का महत्त्व एवं स्थान इस बात पर निर्भर करता है कि यह विषय शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में किस सीमा तक सहायक हो रहा है।
यदि कोई विषय शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में अधिक सहायक सिद्ध होता है तो उस विषय की महत्ता अधिक हो जाती है।
» प्राचीन काल से ही गणित अन्य विषयों की अपेक्षा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है। वर्तमान समय विज्ञान तथा तकनीकी का युग है। इस युग में जो भी भौतिक एवं तकनीकी प्रगति विज्ञान के कारण हुई हैं। उसका श्रेय गणित को ही दिया जाना चाहिए, इतना महत्त्वपूर्ण विषय होते हुए भी पाठ्यक्रम में गणित को क्या स्थान दिया जाना चाहिए, इस पर अधिक विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है।
» विद्यालय पाठ्यक्रम में गणित की शिक्षा दसवीं कक्षा (माध्यमिक स्तर) तक अनिवार्य विषय बनाने के सम्बन्ध में कोठारी कमीशन ने स्पष्ट किया कि "गणित को सामान्य शिक्षा के अन्तर्गत सभी विद्यार्थियों के लिए पहली कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक एक अनिवार्य विषय बना देना चाहिए ।" परन्तु कुछ लोग अभी भी गणित को आठवीं कक्षा तक अनिवार्य तथा इसके बाद ऐच्छिक (Optional) विषय बनाने पर जोर देते हैं।
गणित को माध्यमिक स्तर तक अनिवार्य विषय न बनाए जाने के लिए विरोधी पक्ष द्वारा निम्न कारण स्पष्ट किए गए-
» यह बहुत ही जटिल विषय है जिसके सीखने के लिए एक विशेष प्रकार की बुद्धि और मस्तिष्क की आवश्यकता है। अतः सभी बच्चों को गणित की शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाई होगी।
» गणित के अध्ययन से सभी मानसिक शक्तियों, अनुशासन, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा नैतिक विकास होने की बात कल्पना मात्र ही है।
» अन्य विषयों की अपेक्षा हाई स्कूल परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या गणित विषय में सर्वाधिक होती है।
» उच्च कक्षाओं में भी गणित का ज्ञान उन्हीं छात्रों के लिए उपयोगी रहता है जोकि भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र अथवा गणित को ही अपने अध्ययन का विषय रखना चाहते हैं। इसीलिए शेष छात्रों के लिए गणित के ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं रहती
★ प्रत्येक विद्यार्थी न तो इंजीनियर ही बन पाता है और न ही मिस्त्री, फिर सभी के लिए गणित की अनिवार्यता का क्या लाभ है? इस प्रकार गणित को माध्यमिक स्तर (कक्षा दस) तक अनिवार्य विषय न बनाए जाने के समर्थन में विरोधी पक्ष द्वारा दिए गए।
उपरोक्त मत वास्तव में निराधार ही प्रतीत होते हैं।
गणित के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए महान गणितज्ञ श्री महावीराचार्य जी ने अपनी 'गणित- सार संग्रह' नामक पुस्तक में लिखा है कि "लौकिक, वैदिक तथा सामाजिक जो भी व्यापार हैं, उन सभी में गणित का प्रयोग है। अर्थशास्त्र, नाट्यशास्त्र, पाकशास्त्र, कामशास्त्र, छन्द, अलंकार, व्याकरण तथा कलाओं के समस्त गुणों में गणित अत्यन्त उपयोगी है। सूर्य, आदि अन्य ग्रहों की गति दिशा तथा समय ज्ञात करने में गणित का काम पड़ता है। गुण, मात्रा संहिता तथा संख्या आदि से सम्बन्धित सभी विषय गणित पर ही निर्भर हैं।"
गणित की अनिवार्यता के सम्बन्ध में तर्क Arguments Related to Exigency of Mathematics
» सभी महान शिक्षाविदों; जैसे-हर्बर्ट, पेस्टालॉजी आदि ने भी गणित को मानव विकास का प्रतीक माना है। गणित विषय को बौद्धिक और सांस्कृतिक (Intellectual and Cultural) fachl chl सर्वश्रेष्ठ साधन मानते हुए सभी शिक्षाविदों ने गणित को पाठ्यक्रम में सर्वोच्च स्थान प्रदान किया है।
इस प्रकार गणित को अनिवार्य विषय बनाने के सम्बन्ध में हम कुछ तर्क दे सकते निम्नलिखित हैं
■ यदि गणित विषय को पाठ्यक्रम में उचित स्थान न दिया गया तो बच्चों को मानसिक प्रशिक्षण (Mental Training) के अवसर नहीं मिल सकेंगे जिसके अभाव में उनका बौद्धिक विकास प्रभावित हो सकता है।
» गणित का ज्ञानार्जन करने के लिए गणित सम्बन्धी ऐसी कोई जन्मजात विशेष योग्यता एवं कुशलता नहीं होती, जोकि दूसरे विषयों के अध्ययन की योग्यता से अलग हो ।
> गणित ही एक ऐसा विषय है जिसमें बच्चों को अपनी तर्कशक्ति, विचार-शक्ति, अनुशासन, आत्मविश्वास तथा भावनाओं पर नियन्त्रण रखने का प्रशिक्षण मिलता है। » गणित के अध्ययन से ही छात्रों में नियमित तथा क्रमबद्ध रूप से ज्ञान ग्रहण करने की आदतों का विकास होता है।
गणित को पाठ्यक्रम में विशेष स्थान देने के कारण Causes for Special Place of Mathematics in Curriculum
1.यह विज्ञान विषयों का आधार है-
★ विज्ञान की विभिन्न शाखाओं यथा भौतिकशास्त्र, - रसायनशास्त्र, नक्षत्रशास्त्र, जीव विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, भू-गर्भ विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान आदि महत्त्वपूर्ण विषयों की आधारशिला गणित ही है। उदाहरणार्थ- आयतन, क्षेत्रफल, भार, घनत्व, अणु-परमाणुओं की संख्या, औषधि निर्माण तथा अन्य माप-तौल आदि सभी का अध्ययन गणित के ज्ञान से ही सम्बन्धित है।
2.गणित का मानव जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है--
» आज के इस भौतिक युग में गणित का ज्ञान अि आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को इसके ज्ञान की किसी न किसी रूप में आवश्यकता होती है। इंजीनियरिंग, बैंकिंग तथा अन्य व्यवसाय जो गणित से सीधे सम्बन्धित हैं, उनके लिए तो गणित का ज्ञान नींव की ईंट के समान कार्य करता है, परन्तु ऐसे व्यवसाय जिनका गणित से अप्रत्यक्ष सम्बन्ध है वे भी गणित पर पूरी तरह से निर्भर रहते हैं। इसके अलावा दैनिक जीवन में आय- व्यय, लेन-देन आदि में भी गणित की सामान्य जानकारी उपयोगी है। अतः गणित का हमारे जीवन से घनिष्ठ तथा अटूट सम्बन्ध है।
गणित बच्चों में तार्किक दृष्टिकोण पैदा करता है-
» गणित की प्रत्येक समस्या को हल करने हेतु बच्चों को तर्कपूर्ण विचार करना होता है। प्रत्येक पद का सम्बन्ध दूसरे पद से एक निश्चित तर्क पर आधारित होता है जिससे छात्रों में अनेक मानसिक शक्तियों का विकास होता है जिनका प्रभाव उनके बौद्धिक विकास
पर पड़ता हैं।
गणित एक विशेष प्रकार से सोचने का दृष्टिकोण प्रदान करता है-
» गणित पढ़ने वाले बालकों में एक ऐसा दृष्टिकोण विकसित होने लगता है कि जिसके द्वारा वे अपना कार्य, क्रमबद्ध, नियमित तथा शुद्धता के साथ करना सीख जाते हैं। इसके साथ-साथ उनमें तार्किक ढंग से सोचने एवं समझने का दृष्टिकोण भी विकसित होता है।
गणित एक यथार्थ विज्ञान है-
गणित के अध्ययन से बालकों में किसी भी ज्ञान को यथार्थ रूप ग्रहण करने की भावना का विकास होता है। गणित के सभी प्रत्यय, सूत्र, तथ्य आदि पूर्णरूप से सही तथा स्पष्ट होते हैं। उनमें किसी प्रकार का सन्देह नहीं रहता है। उदाहरण के लिए 2 + 2 = 4 होते हैं जोकि 3 या 5 नहीं हो सकते।
● गणित मानसिक शक्तियों को विकसित करने का अवसर प्रदान करता है-
» गणित का ज्ञान चरित्र निर्माण एवं नैतिकता के विकास सहायक है।
»बच्चों में अनुशासन सम्बन्धी गुण या विशेषता का विकास होता है।
» गणित की भाषा सार्वभौमिक होती है।
● गणित का ज्ञान अन्य विषयों के अध्ययन में सहायक होता है।
• गणित में सार्थक, अमूर्त एवं संगत संरचनाओं का अध्ययन किया जाता है।
» गणित समूहों (समुच्चय) तथा संरचनाओं का अध्ययन है।
गणित की आधारभूत संरचना (Basic Structure of Mathematics)
गणित में आधारभूत तीन संरचनाएँ होती हैं
‣ 1. बीजगणितीय संरचना (Algebric Structure) इसके अन्तर्गत हम योग एवं गुणा तथा सामान्यीकरण आदि संक्रियाओं का अध्ययन करते हैं।
2. तलरूप संरचना (Plane Form structure) इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रत्ययों जैसे- सीमा, समीपता या निकटता आदि को सम्मिलित किया गया है।
3. क्रमिक संरचना (Series Structure ) क्रमिक संरचना में 'से बड़ा' तथा 'से छोटा' आदि प्रत्ययों को सम्मिलित किया गया है।
विद्यालय पाठ्यक्रम में गणित का महत्त्व
Importance of Mathematics in School Curriculum
» विद्यालय पाठ्यक्रम में गणित एक महत्त्वपूर्ण विषय है। अन्य विषयों की अपेक्षा गणित का हमारे दैनिक जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। मातृभाषा के अलावा अन्य कोई विषय ऐसा नहीं है जोकि गणित की भाँति दैनिक जीवन से इतना अधिक सम्बन्धित हो गणित को विज्ञान का जन्मदाता भी माना जाता है। वर्तमान समय में गणित को विद्यालयी पाठ्यक्रम में विशेष महत्त्व दिया गया है।
कोठारी आयोग के गणित पर विचार
» इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने अपने सुझावों में स्पष्ट किया कि "विद्यालयी जीवन के प्रथम दस वर्षों में विज्ञान एवं गणित विषय सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने चाहिए।
» व्यापक रूप से देखा जाए तो बच्चे को विद्यालय में विभिन्न लक्ष्यों (Goals) की प्राप्ति के लिए भेजा जाता है।
सामान्यतः यह अपेक्षा की जाती है कि विद्यालय में बच्चा निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने में समर्थ हो सकेगा-
ज्ञान तथा कुशलताओं (कौशलों) की प्राप्ति (Acquisition of knowledge and Skills) » बौद्धिक आदतों एवं विभिन्न शक्तियों- अनुशासन आदि की प्राप्ति (Acquisition of intellectual habits and various discipline etc.) powers as
» वांछित दृष्टिकोण एवं आदर्शों की प्राप्ति (Acquisition of desirable attitudes and ideals) | अब यह प्रश्न उठता है कि क्या गणित विषय का अध्ययन करने से ब बच्चा इन लक्ष्यों की प्राप्ति करता है? यदि गणित का अध्ययन इन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक है, तब तो यह शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यवान है तथा शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वास्तविक रूप से गणित विषय को इतना अधिक महत्त्व देने और अनिवार्य विषय बनाने में इसके अध्ययन से बच्चों को विभिन्न लाभ होते हैं जिनको हम गणित शिक्षण के मूल्य (Values) भी कहते हैं।
गणित शिक्षण के मूल्य(Values of Teaching of Mathematics)-
» बौद्धिक मूल्य (Intellectual value)
● प्रयोगात्मक मूल्य (Utilitarian or Practical value)
» अनुशासन सम्बन्धी मूल्य (Disciplinary value) नैतिक मूल्य (Moral value)
■ सामाजिक मूल्य (Social value)
» सांस्कृतिक मूल्य (Cultural value)
सौन्दर्यात्मक या कलात्मक मूल्य (Aesthetic
value)
» जीविकोपार्जन सम्बन्धी मूल्य
(Vocational value)
» मनोवैज्ञानिक मूल्य (Psychological value)
■ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सम्बन्धित मूल्य (Value related to Scientific attitude)
» अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य (International value)
गणित का पाठ्यक्रम स्थान से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का सीटेट
Q1. कोठारी कमीशन (1964-66) ने गणित के प्रचलित पाठ्यक्रम में निम्न कमियों में से किन कमियों को बताया है?
(i) वर्तमान पाठ्यक्रम अपूर्ण है।
(ii) इसमें सृजनात्मक तथा रचनात्मक कार्यों का अभाव है।
(iii) पाठ्यक्रम अति बोझिल है।
1. (i) और (iii)
2. (i) और (ii)
3. (ii) और (iii)
4. (i), (ii) और (iii)
Ans. 4
Q 2. निम्न में से कौन सा कथन गणित को पाठ्यक्रम में विशेष स्थान देने के कारण से संबंधित नहीं है?
1. गणित एक यथार्थ विज्ञान है।
2. गणित बच्चों में तार्किक दृष्टिकोण उत्पन्न करता है।
3. गणित सामान्य लोगों के लिए नहीं है।
4. गणित की भाषा सार्वभौमिक होती है।
Answer :-
Option 3 : गणित सामान्य लोगों के लिए नहीं है।
Q3.शब्द "करिकुलम " किस भाषा से लिया गया है?
1. जर्मन
2. लैटिन
3. अरबी
4. इनमें से कोई नहीं
शब्द "करिकुलम / पाठ्यचर्या" लैटिन शब्द "क्यूरेरे" से लिया गया है, जिसका अर्थ "दौड़ना" है। इस प्रकार पाठ्यचर्या का अर्थ एक निश्चित लक्ष्य या "गंतव्य" तक पहुँचने के लिए चलाया जाने वाला पाठ्यक्रम है, यहाँ शिक्षा को एक दौड़ के रूप में देखा जाता है, जिसका लक्ष्य उद्देश्य के रूप में होता है और पाठ्यक्रम उस लक्ष्य की ओर ले जाता है।
किसी पाठ्यक्रम की सफलता कुछ सिद्धांतों पर निर्भर करती है, जिन्हें पाठ्यक्रम विकसित करते समय ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। ये हैं:
कार्यक्रम के शैक्षिक उद्देश्यों के उद्देश्य को पूरा किया जाना चाहिए।
• शैक्षिक उद्देश्य स्पष्ट, स्पष्ट और व्यवहारिक शब्दों में बताया जाना चाहिए, जो प्राप्त करने योग्य और मापने योग्य होना चाहिए।
विशेष शैक्षिक कार्यक्रम के छात्रों और शिक्षकों को अपेक्षित परिणाम यानी उद्देश्यों और साथ ही शैक्षिक कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में स्पष्ट धारणा होनी चाहिए।
सैद्धांतिक, व्यावहारिक और नैदानिक घटकों से संबंधित सीखने के अनुभव प्रदान करने के लिए सीखने की गतिविधि वाले कार्यक्रम, शैक्षिक उद्देश्यों के अनुरूप होने चाहिए।
शिक्षण-अधिगम गतिविधियाँ, कक्षा की गतिविधियों, नैदानिक क्षेत्रों और समुदाय से संबंधित होनी चाहिए।
Q4. "संगीत मानव के अवचेतन मन का अंकगणित की संख्याओं सम्बन्धित एक आधुनिक गोपनीय अभ्यास है।" यह कथन गणित के किस मूल्य से सम्बन्धित है?
1. बौद्धिक मूल्य
2. सांस्कृतिक मूल्य
3. कलात्मक मूल्य
4. सामाजिक मूल्य
Ans. 3
Q 5. निम्नलिखित में से कौन सा बच्चों को भिन्नों की संकल्पना सिखाने के लिए सबसे उपयुक्त है?
1. जियोबोर्ड
2. संख्या चार्ट
3. क्रिजनेयर छड़
4. गिनतारा
Answer (Detailed Solution Below)
Option 3: क्रिजनेयर छड़
शिक्षण सहायक: ये संवेदी उपकरण हैं, वे शिक्षार्थी को एक संवेदी अनुभव प्रदान करते हैं, और अर्थात शिक्षार्थी अपनी इंद्रियों का उपयोग करके एक साथ देख और सुन सकते हैं। ये निर्देशात्मक उपकरण हैं जिनका उपयोग ध्वनि और दृश्य के माध्यम से संदेशों को अधिक प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए किया जाता है।
• क्रिजनेयर छड़ शिक्षण और गणित अधिगम के लिए शिक्षण सहायक हैं। एक क्रिजनेयर छड़ के प्रतिनिधित्व वाली संख्या के बराबर वर्ग से बना होता है, और छड़ हमें गणित कार्यों की कल्पना करने में मदद करती है।
यह सहायता छात्रों को अनुभव प्रदान करती है जो गणित का पता लगाने और गणितीय संकल्पनाओं को सीखने में मदद करता है:
• अंकगणितीय संक्रियाएँ
भिन्नों के साथ कार्य
विभाजक ज्ञात करना
गणित पढ़ाने के लिए अन्य शिक्षण सहायक उपकरण
• संख्या चार्ट एक बहुत ही उपयोगी उपकरण है, यह एक छोटे बच्चे को गणित अधिगम में संख्याओं की गिनती सिखाते हैं।
• गिनतारा सबसे अच्छा शिक्षण सहायता है जो गणित में होता है। जो बच्चे गिनतारा का उपयोग करते हैं वे संख्याओं को अच्छी तरह समझते हैं, वे देख सकते हैं कि वे गणित में क्या हैं और उन्हें इसका जवाब क्यों मिला। छोटे बच्चों के लिए अमूर्त अवधारणाओं को समझना कठिन है।
• जियोबार्ड आकार, परिधि, क्षेत्र और बहुत कुछ सहित ज्यामिति मूल बातें सिखाने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक शिक्षण सहायता है।
इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बच्चों के लिए भिन्नों की संकल्पना को पढ़ाने के लिए क्रिजनेयर छड़ सबसे उपयुक्त हैं।
Place of Mathematics in Curriculum
गणित बच्चों को अवधारणाओं, कौशल और सोच की रणनीतियों से परिचित कराता है जो रोजमर्रा के जीवन में आवश्यक हैं और पाठ्यक्रम में सीखने का समर्थन करते हैं। यह बच्चों को उनके आसपास की दुनिया में देखने वाली संख्याओं, पैटर्न और आकृतियों की समझ बनाने में मदद करता है।
प्राथमिक स्तर पर गणित पाठ्यक्रम के लक्ष्य:
गणित के शिक्षण में रुचि विकसित करना। छात्रों को उनकी सोच क्षमताओं के साथ बुनियादी गणितीय अवधारणाओं और कम्प्यूटेशनल कौशल को समझने और हासिल करने में मदद करना।
• छात्रों को रचनात्मकता और सोचने, संवाद करने और समस्याओं को आसान तरीके से हल करने की क्षमता विकसित करने में मदद करना।
• छात्रों को संख्या और स्थानिक समझ और संख्या और आकार के पैटर्न और संरचनाओं की सराहना करने की क्षमता विकसित करने में मदद करना।
बुनियादी गणितीय ज्ञान के माध्यम से छात्रों की आजीवन सीखने की क्षमता बढ़ाना।
Important Points
प्राथमिक चरण के लिए गणित पाठ्यक्रम:
• संख्या: संपूर्ण संख्या, संख्याओं की प्रकृति, भिन्न, दशमलव और प्रतिशत, गणना करने वाले उपकरण ।
• आकार और स्थान: रेखाएं, कोण, दिशाएं, दो आयामी आकार, तीन आयामी आकार • मापन: धन, लंबाई, समय, वजन, परिधि, क्षेत्रफल, आयतन, गति
• डेटा हैंडलिंग: सांख्यिकी (जैसे, चित्रलेख, बार ग्राफ़, आदि)
• बीजगणितः बीजगणितीय प्रतीक, मूल समीकरण
इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अनुपात और आनुपातिक प्राथमिक स्तर पर गणित पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है।
गणित पाठ्यक्रम का उद्देश्य सभी बच्चों की मदद करना है:
• गणित के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना ।
• समस्या सुलझाने के कौशल का विकास करना ।
• रोजमर्रा की जिंदगी में गणित का उपयोग करने की क्षमता विकसित करना।
• किसी समस्या को हल करते समय कक्षा में गणितीय भाषा का प्रभावी और सटीक उपयोग करना । मौलिक गणितीय कौशल में प्रवीण बनना।
Q 6. निम्नलिखित में से कौन प्राथमिक चरण में गणित पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है?
1. समरूपता
2. दशमलव
3. डेटा संधारण
4. अनुपात और समानुपात
Ans. 4
पाठ्यक्रम में गणित का स्थान
गणित की प्रकृति, अर्थ,परिभाषा
गणित की भाषा
सामुदायिक गणित
औपचारिक और अनौपचारिक तरीकों के माध्यम से मूल्यांकन
शिक्षण की समस्याएं
त्रुटि विश्लेषण और सीखने और शिक्षण से संबंधित पहलु
नैदानिक और उपचारात्मक शिक्षण