बाल विकास, प्राथमिक विद्यालय का बालक, शिक्षा मनोविज्ञान CTET notes

 बाल विकास ( प्राथमिक विद्यालय का बालक )

 बाल विकास मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों को कहते हैं , जब वे धीरे - धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं । चूंकि ये विकासात्मक परिवर्तन काफी हद तक जन्म से पहले के जीवन के दौरान आनुवंशिक कारकों और घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए आनुवंशिकी और जन्म पूर्व विकास को आम तौर पर बच्चे के विकास के अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है ।

जीवनकाल के दौरान होने वाले विकास को सन्दर्भित करने वाला विकासात्मक मनोविज्ञान और बच्चे की देखभाल से संबंधित चिकित्सा की शाखा बालरोगविज्ञान शामिल हैं । विकासात्मक परिवर्तन , परिपक्वता के नाम से जानी जाने वाली आनुवंशिक रूप से नियंत्रित प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप या पर्यावरणीय कारकों और शिक्षण के परिणामस्वरूप हो सकता है लेकिन आम तौर पर ज्यादातर परिवर्तनों में दोनों के बीच का पारस्परिक संबंध शामिल होता है ।

शिक्षा मनोविज्ञान

 मनोविज्ञान एक ऐसा विषय है , जो किसी न किसी प्रकार हर विषय से जुड़ा हुआ है , क्योंकि अब तक जितना भी ज्ञान विकासित हुआ है , वह मानव व्यवहार से ही जन्म लेता है । यदि मानव व्यवहार को समझना है , तो मनोविज्ञान की सहायता से ही समझा जा सकता है । मनोविज्ञान के बिना मानव व्यवहार का अध्ययन अंसंभव है ।

• अरस्तू ( Aristotle ) ने मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी कहा जाता है । जैसे मनुष्य का सामजिक विकास होता होता है , तो बुद्धि व व्यवहार का विकास भी होता रहता है ।

मनोविज्ञान के शाब्दिक अर्थ :

Psychology ( साइकॉलॉजी ) का हिन्दी रूपान्तर है , जो दो शब्दों से मिलकर बना है , अर्थात साइक ( Psyche ) और लोगाँस ( Logos ) साइक का अर्थ है - आत्मा और लोगाँस का अर्थ है " विज्ञान " अर्थात आत्मा - का विज्ञान ।























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