विषय और अनुशासन की समझ
Introduction (परिचय ) :-
शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान को उसके स्वरूप उपयोगिता के क्षेत्र एवं अध्ययन के आधार पर दो वर्गों में बांटा गया है। साधारण रूप से वह सभी विषय वस्तु जो विद्यालयों में पढ़ाया जाता है उसे विषय की संज्ञा दी जाती है तथा वही विषय जब उच्च स्तर के शिक्षण एवं अध्ययन के रूप में प्रयोग किया जाता है तो उसे अनुशासन या Academic Discipline की संज्ञा दी जाती है।
सामान्य रूप से Subject एवं Discipline ज्ञान की प्राप्ति, अध्ययन की दृष्टिकोण से, छात्रों के विकास के दृष्टिकोण से समान प्रतीत होते हैं। जैसे एक विषय विशेष को जब बालक विद्यालय स्तर पर अध्ययन करता है, तो विषय subject के रूप में जाना जाता है, परंतु जब वही विषय सूक्ष्म अध्ययन, अनुसंधान आदि के लिए उच्च स्तर पर अध्ययन की जाती है तो वह अनुशासन के रूप में जानी जाती है। इस विडंबना को समझने के लिए हमें सब्जेक्ट और डिसीप्लिन दोनों को पृथक रूप से समझना होगा, उनके अर्थ, क्षेत्र, उद्देश्य एवं स्वरूप को समझना होगा।
करता है।
Meaning of Subject (विषय का अर्थ):-
प्राप्त ज्ञान को जब उसकी प्रकृति (Nature), प्रकार (Kind), उपयोगिता (Utility), क्षेत्र आदि के आधार पर अलग-अलग समूहों में बांट दिया जाता है, ताकि इसका अध्ययन सरलता के साथ किया जा सके, विषय कहलाता है। अर्थात विषय सामान्य ज्ञान का समूह है।
"Subject is the branch of similar knowledge"
जैसे:- Geography (भूगोल), History (इतिहास), आदि इनका वर्गीकरण ज्ञान समरूपता के आधार पर किया जाता है।
Nature of subject (विषय की प्रकृति):-
प्रत्येक विषय के अध्ययन क्षेत्र, विधि, उपयोगिता उसके अलग-अलग स्वरूप प्रकट करते हैं, 20 आई जब सामाजिक विकास के विषय के रूप में अध्ययन किए जाते हैं तो सामाजिक विज्ञान का रूप प्रकट करते हैं, जब सत्य की खोज एवं वैज्ञानिक विधि द्वारा अध्ययन किया जाता है तो उसका स्वरूप वैज्ञानिक प्रकट होता है । मुख्य रूप से विषय के तीन स्वरूप दिखाई पड़ते हैं :-
Subject as a science
Subject as an art
Subject as a social science
I. Subject as a science :- कोई भी विषय विज्ञान के रूप में तभी प्रकट होती है जब इससे निम्नलिखित विशेषताएं दिखाई देती है।
Ø Search of truth
Ø Scientific method of study
Ø Re examine
Ø Experimentable
Ø Having hypothesis
Ø Study of cause and effect
Ø Qualitative and quantitative analysis
Ø Systematic and organised
Ø Discovery and innovation
Ø Specific principle
II. Subject As An Art :- कोई भी विषय कला के रूप में अपने स्वरूप को तब प्रकट करती है या जानी जाती है जब इसमें निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती है।
Ø Beautiful presentation
Ø Aesthetic value
Ø Systematic and organised
Ø Attraction
Ø Develop aesthetic sense
Ø Imagination
v Nature Of Discipline:- Discipline का स्वरूप उसके अध्ययन विधि क्षेत्र एवं उपयोगिता के आधार पर निर्धारित की जा सकती है जो निम्नलिखित इस प्रकार है:-
Ø Multi-disciplinary
Ø Interdisciplinary
Ø Trance disciplinary
Ø Cross disciplinary
1. Multi-disciplinary -: जब कोई शास्त्र अपने अपने अध्ययन के क्रम में कई शास्त्रों के साथ संबंध स्थापित करता है।
2. Inter-disciplinary -: दो या दो से अधिक विद्यार्जन विषयों में मिलकर अध्ययन करने की क्षेत्र को कहते हैं । भुमन्डलीय उष्मीकरण में भौतिक , भुगोल , जीव विज्ञान और कई अन्य विधा (शाखा) का एक अंतः क्षेत्र है ।
3. Trance-disciplinary-: जब दो या दो से अधिक शास्त्र एक दुसरे के साथ मिल कर कार्य करतें है ताकि एक समग्र रुप ले सकें, Trance disciplinary कहलाता है ।
4. Cross-disciplinary -: Bio- chemistry
· Scops
i. Social
ii. Economical
iii. Religious
iv. Poltical
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें